Hindi Newsएनसीआर न्यूज़one hundred seventy pakistani hindu families could lose homes in demolition drive

9 साल के आशियाने पर खतरा, 170 परिवारों का छलका दर्द; DDA इस इलाके में चलाने जा रहा बुलडोजर 

दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से जारी एक नोटिस के बाद 170 परिवारों के आशियाने पर खतरा मंडरा गया है। ये परिवार 9 साल से अपने इस आशियाने में रह रहे हैं। इन परिवारों को चिंता सता रही है कि वे कहां रहेंगे।

Admin पीटीआई, नई दिल्लीFri, 12 July 2024 10:38 PM
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दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से जारी एक नोटिस के बाद 170 परिवारों के आशियाने पर खतरा मंडरा गया है। ये परिवार 9 साल से अपने इस आशियाने में रह रहे हैं। अब उन्हें यह चिंता सता रही है कि वे कहां रहेंगे।

49 वर्षीय पाकिस्तानी हिंदू व्यक्ति दयाल दास उस समय रो पड़े जब डीडीए ने दिल्ली के मजनू का टीला में उनके पिछले नौ वर्षों के घर को ध्वस्त करने के अभियान के संबंध में एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया।
इस साल वह अपने तीन बच्चों को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत भारतीय नागरिकता दिए जाने के बाद जश्न मना रहे थे। अब अपना घर खोने के डर ने दास परिवार निराश है। 

दयाल दास और कई पाकिस्तानी हिंदू परिवारों का भाग्य शनिवार और रविवार को विध्वंस अभियान चलाने के डीडीए के फैसले से जुड़ा है। दास ने पीटीआई-भाषा को बताया कि वह यहां रहने वाले 170 परिवारों की ओर से अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि घरों को गिराने का अभियान चलाने से पहले उन्हें स्थायी आश्रय प्रदान किया जाए। उनके पास कहीं और जाने और अपनी आजीविका कमाने के लिए कोई जगह नहीं है।

दयाल दास का नौ लोगों का परिवार है। वह चिप्स बेचने का एक छोटा सा कियोस्क चलाते हैं। परिवार में उनकी पत्नी, बुजुर्ग माता-पिता और बच्चे शामिल हैं। डीडीए की कार्रवाई से पहले उन्हें एक अस्थायी आश्रय में जाने के लिए कहा गया है। दास का कहना है कि अगर उन्हें जबरदस्ती दूसरे स्थानों पर ले जाया गया तो वे विरोध करेंगे।

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा जारी एक सार्वजनिक नोटिस के अनुसार, 13 और 14 जुलाई को मजनू का टीला गुरुद्वारे के दक्षिण में यमुना बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाएगा। पाकिस्तान से आए लोगों ने इस क्षेत्र में अपने घर बसा लिए हैं।

40 साल की मीरा पिछले 12 साल से मजनू का टीला में रह रही हैं। वह कहती हैं, ''मेरा परिवार बहुत बड़ा है और अगर हमें यहां से निकाला गया तो हम सड़क पर आ जाएंगे।'' यहां के परिवारों के बच्चों को पढ़ाने वाली 18 साल की रामकली इस बात पर अड़ी हुई हैं कि वे कहीं नहीं जाएंगी।

कृष्णा मल को हाल ही में भारतीय नागरिकता मिली है। वह अब सम्मान की जिंदगी जीने की उम्मीद कर रहे थे। वह 2013 में पाकिस्तान से भारत आए थे। 30 साल के मल ने भारत आने से पहले पाकिस्तान में होम्योपैथी की पढ़ाई की। वे कहते हैं, "नागरिकता के बिना मुझे भारत में होम्योपैथी का अभ्यास करने की अनुमति नहीं थी। लेकिन हाल ही में नागरिकता प्राप्त करने के बाद मुझे काम करने और कमाने की कुछ उम्मीद जगी है।"

मल कहते हैं, "मेरे माता-पिता पाकिस्तान में हैं। मैं तभी शिफ्ट होऊंगा जब सरकार मेरे परिवार को सभी सुविधाएं मुहैया कराएगी। मेरे बच्चे अभी स्कूल में हैं और अगर उन्हें शिफ्ट होना पड़ा तो उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने में दिक्कत होगी।" बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले मजनू का टीला क्षेत्र में रहने वाले कुछ शरणार्थियों को सीएए के तहत नागरिकता दी गई थी।

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