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आरुषि-हेमराज हत्याकांडः पहले था डर अब आखें नम, बरी होने के बाद भी नहीं उठी नूपुर की नजरें 

आरुषि हत्याकांड में सीबीआई की विशेष अदालत ने डॉ. राजेश और नूपुर तलवार को 25 नवबंर 2013 को दोषी और 26 नवंबर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर अब सोमवार 16 अक्तूबर 2017 को उसी अदालत से...

गाजियाबाद। संजीव वर्मा Tue, 17 Oct 2017 10:47 AM
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आरुषि हत्याकांड में सीबीआई की विशेष अदालत ने डॉ. राजेश और नूपुर तलवार को 25 नवबंर 2013 को दोषी और 26 नवंबर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर अब सोमवार 16 अक्तूबर 2017 को उसी अदालत से दोनों की रिहाई का परवाना जारी हुआ। इस दो तारीखों पर तलवार दंपति के भाव अलग-अलग रहे। 

जानें आरुषि की हत्या के बाद से लेकर तलवार दंपति के रिहा होने तक की पूरी कहानी
 
25 नवंवर 2013 को फैसले के दिन दोनों सीधे कोर्ट नहीं पहुंचे। 
सुबह ही वह कोर्ट के बराबर में मौजूद एक होटल में पहुंचे गए। 
कोर्ट में जज के पहुंचने पर पता चला कि आरुषि हत्याकांड की सुनवाई लंच के बाद होगी। 
तब तलवार दंपति को लगा कि फैसला उनके पक्ष में होगा। 
जब दोनों को कोर्ट में मेन गेट से न लाकर पीछे से लाया गया तो उन्हे शक हो गया। 
ठीक दो बजे तलवार दंपति को कोर्ट में लाया गया। दोनों बेंच पर बैठ गए। 
3:25 बजे न्यायाधीश एस. लाल सीट पर आए।
न्यायाधीश ने कहा को दोनों को आरुषि व हेमराज  हत्याकांड में 302, 201 व 34 के तहत दोषी ठहराया गया है। राजेश तलवार को धारा 203 के तहत अतिरिक्त दोषी माना गया है। 
इतना सुनते ही नूपुर तलवार रो पड़ीं। राजेश तलवार भी भावुक हो गए। 
आठ से दस परिजन भी मौजूद थे। वह भी फैसला सुनकर सन्न रह गए।

26 नवंबर 2013 को दोनों के चेहरों पर चिंता व आंखों में डर साफ दिखाई दे रहा था।
कोर्ट में पहुंचने के बाद राजेश व नूपुर दोनों सीट पर नहीं बैठे बल्कि सबसे पीछे जाकर खड़े हो गए। 10 मिनट बाद ही उनके अधिवक्ता तनवीर अहमद मीर कोर्ट पहुंचे। राजेश उनसे गले मिले।
पूरे समय में उन्होंने परिवार वालों से कोई बात नहीं की। 
जैसे ही न्यायाधीश एस. लाल ने उम्रकैद की सजा सुनाई, तलवार दंपति के परिजन रो पड़े। 
तलवार दंपति को फैसले पर हस्ताक्षर कराने के बाद अदालत के पिछले रास्ते से जेल भेज दिया गया।
उस दिन उनके चेहरे पर तनाव नहीं था लेकिन आंखों में डर साफ झलक रहा था। 
राजेश के मुकाबले नूपुर तलवार ज्यादा सहमी हुई थी। 

16 अक्तूबर 2017
डासना जेल से रिहाई के बाद भी नूपुर की आंखे झुकी हुई थीं। 
डॉ. राजेश के मुकाबले डॉ. नूपुर तलवार ज्यादा सहमी लगी। उनकी आंखे नम थीं।
राजेश ने जेल के मुख्य गेट पर आने के बाद एक बार ऊपर आसमान की ओर देखा।
उन्होंने बाहर चारों ओर देखा तो मीडियाकर्मियों व भारी पुलिस के अलावा कोई दिखाई नहीं दिया।
नूपुर के हाथ में तो बैग थे जबकि डॉ. राजेश एक बैग लिए हुए थे। 
इस दौरान दोनों ने एक दूसरे से कोई बात भी नहीं की व सीधे गाड़ी में आकर बैठ गए। 

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