इस साल दिल्ली में नहीं आएगी बाढ़! NDMC का एक्शन प्लान तैयार; ड्रेनेज पर खर्च करेगा 1600 करोड़
दिल्ली में इस साल बाढ़ से निपटने के लिए नई दिल्ली नगरपालिका परिषद ने एक एक्शन प्लान तैयार किया है। पिछले साल की खामियों से सबक लेते हुए इस साल ड्रेनेज सिस्टम को कार्ययोजना बनाी गई है।
दिल्ली में मॉनसून सीजन आते ही सड़कों पर जगह-जगह जलभराव दिखने लगता है। जिससे ट्रैफिक जाम और गाड़ियों की लंबी कतारें देखने को मिलती हैं। इसके अलावा ज्यादा बारिश होने पर दिल्ली पर बाढ़ का खतरा भी मंडराने लगता है। इस साल नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने पिछले साल की खामियों से सबक लेते हुए इस साल अपने ड्रेनेज सिस्टम (जल निकासी) को लेकर लॉन्ग टर्म (दीर्घकालिक) कार्य योजना तैयार की है। यह जानकारी नगर निकाय के अधिकारियों ने गुरुवार को दी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एजेंसी अपनी जल निकासी प्रणालियों में आई दिक्कतों को तुरंत ठीक करने के लिए शॉर्ट टर्म (अल्पकालिक) योजनाएं भी बनाई हैं। अधिकारी ने कहा कि योजनाएं एनडीएमसी द्वारा किए गए एक अध्ययन के बाद तैयार की गईं। इसमें 17 संवेदनशील क्षेत्रों से गाद निकालना भी शामिल है।
अधिकारी ने कहा, 'हमने नई दिल्ली क्षेत्र के अंदर जल निकासी प्रणालियों के अधिकतम डिस्चार्ज कैपेसिटी (क्षमता) का अध्ययन किया है और जलभराव के पीछे प्रमुख कारणों को रेखांकित किया है। समग्र प्रणाली में कुल 14 उप-जल निकासी प्रणालियां चिह्नित की गई हैं, जिनमें 578 किमी लंबी ढकी हुई नालियां, 11,907 मैनहोल और 14,264 बेल माउथ शामिल हैं।' एजेंसी के दूसरे अधिकारी ने कहा कि एनडीएमसी की ड्रेनेज सिस्टम सीमा पूर्व में पश्चिमी यमुना पर रिज और दक्षिण में रिंग रोड के बीच है।
अधिकारी ने कहा, 'इंडिया गेट के उत्तर का क्षेत्र- कनॉट प्लेस और आसपास का क्षेत्र- एमसीडी ड्रेन सिस्टम के जरिए सीधे यमुना तक पहुंचता है।' दूसरे अधिकारी ने कहा, 'हमारे ज्यादातर जल निकासी चैनल कुशक नाले और सुनहरी पुल्ला नाले में गिरते हैं जो अंततः बारापुला तक जाते हैं और फिर यमुना में पहुंचते हैं।' योजना के अनुसार, क्षेत्र में बाढ़ के पीछे प्रमुख कारणों में बारापुला बेसिन के पास तेजी से शहरीकरण, पीडब्ल्यूडी और दिल्ली मेट्रो के काम के कारण नालों का रीअलाइनमेंट और सुनहरी पुल्ला नाले के निकास के पास इनवर्टिड (बेतरतीब) ऊंचाई स्तर शामिल है। नगर निकाय का अनुमान है कि जल निकासी सब-सिस्टम में पुनर्वास (रिहैबिलिटेशन) और मजबूतीकरण के काम पर लगभग 1,600 करोड़ खर्च किए जाएंगे।