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मुनक नहर में दरार पर LG का लेटर; पार्टी बोली- सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं हैं उपराज्यपाल

मुनक नहर में आई दरार को लेकर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को नहर के अपर्याप्त रखरखाव को गंभीरता से लेने को कहा। साथ ही डीजेबी को हरियाणा सरकार के साथ मिलकर इसका रखरखाव करने को कहा।

Sneha Baluni हिन्दुस्तान टाइम्स, नई दिल्लीFri, 12 July 2024 10:02 AM
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मुनक नहर के बराज में दरार आने से दिल्ली का बवाना इलाका जलमग्न हो गया। इसे लेकर सरकार और उपराज्यपाल के बीच भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को नहर के अपर्याप्त रखरखाव को गंभीरता से लेने को कहा। उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को हरियाणा सिंचाई विभाग के जरिए समय-समय पर मरम्मत का काम करना चाहिए था।

एलजी कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि सक्सेना ने जून में इस मामले को पहले भी उठाया था। उस समय सरकार ने नहर से पानी के रिसाव, चोरी और कम पानी छोड़े जाने का मामला उठाया था। सक्सेना ने सीएस से यह मामला मंत्रियों के सामने उठाने को भी कहा था, ताकि नहर की मरम्मत सुनिश्चित की जा सके 

हरियाणा के सामने उठाएं मामला

एलजी के प्रधान सचिव द्वारा सीएस को भेजे गए पत्र में कहा गया है, 'मुनक नहर में दरार नहर के उचित रखरखाव की कमी को दिखाती है, जिसे डीजेबी द्वारा हरियाणा सिंचाई विभाग के जरिए समय-समय पर किया जाना चाहिए था। एलजी ने मामले को गंभीरता से लिया है और सीएस को सलाह दी है कि वे इस मामले को मंत्री (जल) और मंत्री (बाढ़ नियंत्रण विभाग), जीएनसीटीडी के समक्ष उठाएं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस मामले को उचित स्तर पर हरियाणा के अधिकारियों के सामने उठाया जाए और इस चैनल का जल्द से जल्द मरम्मत और रखरखाव किया जाए।'

सत्यवादी हरिश्चंद्र' नहीं हैं एलजी

वहीं एलजी के पत्र का जवाब देते हुए आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि इसके लिए हरियाणा जिम्मेदार है। पार्टी ने बयान में कहा, 'जहां तक ​​रखरखाव का सवाल है, यह हरियाणा की जिम्मेदारी है। कैनल सिस्टम में नहर का स्वामित्व एक राज्य के पास रहता है, भले ही वह नहर दूसरे राज्य तक जाती हो। अगर नहर दिल्ली में एंटर करती है, तो भी स्वामित्व हरियाणा के पास ही है। दिल्ली के अंदर होने के बावजूद, यह हरियाणा के अधिकार क्षेत्र में है। दिल्ली सरकार इससे छेड़छाड़ या कोई महत्वपूर्ण काम नहीं कर सकती। एलजी 'सत्यवादी हरिश्चंद्र' नहीं हैं। अगर वह कुछ लिखते हैं, तो हमें यह नहीं मानना ​​चाहिए कि अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। एलजी अक्सर अपने पत्रों में भ्रामक बातें लिखते हैं।'

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