RTI से खुली दिल्ली की शिक्षा क्रांति के दावों की पोल, सरकारी स्कूलों में 10 साल से टीचर्स के 2000 से ज्यादा पद खाली
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन के सरकार के बड़े-बड़े दावों के बीच एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि शिक्षकों के 2000 से अधिक पद पिछले दस साल से खाली पड़े हुए हैं।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 2000 से अधिक पद पिछले 10 साल से खाली पड़े हुए हैं। इतना ही नहीं, पिछले दस सालों में पहली से पांचवीं क्लास में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों के लिए एक भी स्थायी शिक्षक नियुक्त नहीं किया गया। दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन के अरविंद केजरीवाल सरकार के बड़े-बड़े दावों के बीच एक आरटीआई से यह खुलासा हुआ है।
आरटीआई से यह बात सामने आई है कि पिछले 10 साल में विभिन्न कारणों से 5747 स्थायी शिक्षकों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया, लेकिन उनके बदले में केवल 3715 पदों पर ही शिक्षकों को भर्ती किया गया। स्थायी शिक्षकों के ये पद रिटायरमेंट, इस्तीफे, निधन, शैक्षणिक रूप से सेवानिवृत्ति और स्कूल से निकाले जाने जैसे विभिन्न कारणों के चलते रिक्त हुए थे।
दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत पीटीआई/भाषा के संवाददाता द्वारा दायर आवेदन के जवाब में यह जानकारी मुहैया कराई है। निदेशालय से मिली जानकारी के मुताबिक, 2014 में कुल 448 शिक्षकों ने सरकारी विद्यालयों को छोड़ा। वहीं 2015 में 411 शिक्षकों ने, 2016 में 458 शिक्षकों ने, 2017 में 526 शिक्षकों ने, 2018 में 515 शिक्षकों ने, 2019 में 519 शिक्षकों ने, 2020 में 583 शिक्षकों ने, 2021 में 670 शिक्षकों ने, 2022 में 667 शिक्षकों ने और 2023 में 950 शिक्षकों ने सरकारी विद्यालयों को छोड़ा।
इस प्रकार पिछले दस सालों में शिक्षकों के 5747 पद रिक्त हुए, लेकिन इनके एवज में 2014 में नौ स्थायी शिक्षकों की, 2015 में आठ स्थायी शिक्षकों की, 2016 में 27 स्थायी शिक्षकों की, 2017 में 668 स्थायी शिक्षकों की, 2018 में 207 स्थायी शिक्षकों की, 2019 में 1576 स्थायी शिक्षकों की, 2020 में 127 स्थायी शिक्षकों की, 2021 में 42 स्थायी शिक्षकों की, 2022 में 931 स्थायी शिक्षकों की और 2023 में 120 शिक्षकों की भर्ती स्थाई रूप से हुई। इसके बावजूद 2032 पद अभी भी रिक्त हैं। आरटीआई के अनुसार, दिल्ली के सरकारी स्कूलों में फिलहाल 12 फरवरी 2024 तक कुल 15,021 गेस्ट टीचर्स (अतिथि शिक्षक) काम कर रहे हैं।
स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति एक बेहद गंभीर विषय : अशोक अग्रवाल
‘ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2001 में एक आदेश में कहा था कि शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में विद्यालयों में शिक्षकों की रिक्ति शून्य होनी चाहिए, लेकिन 23 वर्ष बीतने के बाद आज भी हजारों की संख्या में स्थायी शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं या उन पर गेस्ट टीचर्स काम कर रहे हैं। अग्रवाल ने दावा किया कि सरकारी स्कूलों में 15 से 20 फीसदी स्थायी शिक्षक मातृत्व अवकाश, अध्ययन अवकाश, मेडिकल लीव आदि के चलते किसी न किसी कारण से छुट्टी पर रहते हैं। ऐसे में जरूरत है कि अलग से शिक्षकों का एक वर्ग तैयार रखा जाए ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। वकील अग्रवाल ने कहा कि स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति एक बेहद गंभीर विषय है और कम से कम सरकार को 10 फीसदी शिक्षक अलग से भर्ती करने चाहिए।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले स्थायी शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुछ वक्त पहले तक उनके स्कूल का 10वीं और 12वीं का रिजल्ट जो सौ फीसदी हुआ करता था, आज वह घटकर 47 प्रतिशत रह गया है, जिसकी वजह शिक्षकों की भारी कमी है।
दिव्यांग बच्चों के लिए स्थायी स्पेशल टीचर्स नियुक्त नहीं किया
दिव्यांग बच्चों के लिए स्पेशल टीचर्स के मामले में भी हालात ठीक नहीं हैं। आरटीआई से मिली जानकारी से पता चलता है कि पहली से पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों के लिए पिछले 10 वर्षों में 415 गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति की गई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि कोई भी स्थायी शिक्षक नियुक्त नहीं किया गया।
आरटीआई से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में दसवीं से 12वीं क्लास में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों के लिए 'स्पेशल एजुकेशन टीचर' (एसईटी) की कुल संख्या 291 है, जिसमें 277 स्थायी और 14 अतिथि शिक्षक हैं। निदेशालय ने बताया कि छठी से 10वीं कक्षा तक के दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए 1712 शिक्षक मौजूद हैं, जिनमें से 937 अतिथि शिक्षक और 775 स्थायी शिक्षक शामिल हैं।