हाईकोर्ट के फैसले से बैकफुट पर क्यों AAP? BJP गदगद, क्या थम जाएगी MCD में तकरार
mcd standing committee election: दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जाने पर रोक लगा दी है। बड़ा सवाल यह कि क्या इससे MCD में जारी तकरार थम जाएगी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी की स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जाने पर शनिवार को रोक लगा दी। मेयर की ओर से इस चुनाव को 27 फरवरी को कराए का कार्यक्रम था। इस मसले पर अदालत ने 15 दिन के भीतर जवाब तलब किया है। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश से आम आदमी पार्टी की मेयर के दोबारा चुनाव कराए जाने के मंसूबों को करारा झटका लगा है तो दूसरी तरफ दिल्ली भाजपा को इस आदेश से बड़ी राहत मिली है। हालांकि अभी भी एक बड़ा सवाल बरकरार है कि क्या इससे दिल्ली एमसीडी में AAP और भाजपा के बीच जारी तकरार खत्म हो जाएगी।
दिल्ली भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने शनिवार को कहा है कि हम दिल्ली उच्च न्यायालय के द्वारा नगर निगम महापौर शैली ओबरॉय द्वारा नगर निगम की स्थाई समिति का चुनाव पुनः कराने की घोषणा के क्रियान्वयन पर रोक लगाये जाने का स्वागत करते हैं। आम आदमी पार्टी को मनमाने ढंग से विधायिका एवं प्रशासन चलाने की आदत है। उच्च न्यायालय का यह निर्णय एक एतिहासिक निर्णय है जिसने आम आदमी पार्टी के मनमानी निरंकुशता से नगर निगम को चलाने के प्रयास पर रोक लगी है।
गौरतलब है कि महापौर ने 27 फरवरी को दोबारा स्थाई समिति चुनाव की घोषणा की थी। इसके खिलाफ भाजपा की दो वरिष्ठ निगम पार्षद कमलजीत सहरावत एवं शिखा राय ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इस विशेष याचिका पर शीघ्र सुनवाई की गुजारिश की गई थी। इस पर न्यायालय ने शनिवार को सुनवाई की और पुनः चुनाव के निर्णय पर रोक लगा दी। अब कमलजीत सहरावत एवं शिखा राय का कहना है कि न्यायलय का यह पहला निर्णय आया है जिसने सच को स्थापित करने मे हमारी मदद की है, यानी जाहिर है जब तक इस चुनाव पर कोई अंतिम और मुक्कमल परिणाम नहीं आता तब तक टकराव थमने वाला नहीं है।
समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा का कहना है कि एक दिन पहले तकनीकी विशेषज्ञ द्वारा की गई गणना के तहत एमसीडी की स्थायी समिति के लिए BJP और आम आदमी पार्टी के तीन-तीन सदस्यों का निर्वाचन होना चाहिए। यही नहीं इस परिणाम को महापौर को परिणामों को स्वीकार कर उसकी घोषणा करनी चाहिए। छह सदस्यीय स्थायी समिति का दोबारा चुनाव कराने का महापौर शैली ओबरॉय का एलान अलोकतांत्रिक और अंसवैधानिक है। भाजपा अपनी मांगों पर कायम रहेगी। इस मसले पर वह कानूनी विकल्पों को आजमाने से पीछे नहीं हटेगी।
भाजपा के रुख से साफ है कि अब वह इस लड़ाई को नतीजे तक लेकर जाएगी। वहीं आम आदमी पार्टी भी पीछे हटती नजर नहीं आ रही है। आम आदमी पार्टी ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि अब मेयर और कुछ पार्षद पुलिस कमिश्नर से जाकर मिलेंगे। यदि एमसीडी में बहुमत लाने के बावजूद चुने हुए एक पार्टी के प्रतिनिधि सुरक्षित नहीं हैं, तो देश कैसे चलेगा? आम आदमी पार्टी और भाजपा ने सदन में पार्षदों के बीच हुई हाथापाई को लेकर एक दूसरे के खिलाफ पुलिस में शिकायत तक दर्ज करा दी है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दोनों पक्षों से शिकायतें मिली हैं। छानबीन के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
दोनों पार्टियों के रुख से साफ है कि लड़ाई लंबी खिंचेगी। साथ ही दोनों पक्षों की ओर से हर दांव पेंच आजमाए जाएंगे। यह भी संभव है कि आगे यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाए। मौजूदा सियासी परिदृश्य से लगता है कि टकराव लंबा चलेगा। इससे दिल्ली के काम भी प्रभावित होने के आसार बन रहे हैं। दरअसल, एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। कमेटी के पास कई तरह के अधिकार होते हैं। कमेटी से ही होकर अधिकांश बड़े फैसले गुजरते हैं। इस कमेटी की मंजूरी के बिना कोई प्रस्ताव अपने अंजाम तक नहीं पहुंच सकता है। यही कारण है कि इस पर पकड़ बनाए रखने के लिए दोनों दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है।