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महापौर चुनाव कराने के लिए कब तक आएगा फैसला, एलजी की भूमिका भी अहम

दिल्ली नगर निगम के महापौर और उपमहापौर पद के चुनाव कराने के लिए निगम प्रशासन ने 8 अप्रैल को मुख्य निवार्चन आयोग को फाइल भेज दी थी। जानें निर्वाचन आयोग कब तक इस मसले पर लेगा फैसला...

Krishna Bihari Singh राहुल मानव, नई दिल्लीSat, 20 April 2024 11:57 PM
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दिल्ली नगर निगम के महापौर और उपमहापौर पद के चुनाव पर अंतिम फैसला मुख्य निर्वाचन आयोग करेगा। लोकसभा चुनाव के कारण दिल्ली में आचार संहिता लागू है। इस परिस्थिति में निगम प्रशासन ने 8 अप्रैल को मुख्य निवार्चन आयोग को महापौर और उपमहापौर के चुनाव कराने के लिए फाइल भेज दी थी। अब निगम प्रशासन को आयोग के फैसले का इंतजार है। निगम में प्रत्येक वर्ष की अवधि के लिए महापौर और उपमहापौर का कार्यकाल होता है। हर वर्ष सदन में चुनाव के तहत इस पर पार्षद, विधायक, लोकसभा सांसद और राज्यसभा सदस्य मतदान करते हुए वोट देते हैं। जिसके बाद महापौर और उपमहापौर का चयन होता है। 

कब तक होगा फैसला?
निगम प्रशासन ने 26 अप्रैल को दोनों पद के चुनाव की तारीख तय की है। इस संबंध में निगम के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चुनाव आयोग के अधिकारियों से लगातार बात कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि अगले सप्ताह में बुधवार व गुरुवार से पहले इस पर फैसला हो जाएगा। साथ ही दिल्ली की उपराज्यपाल की तरफ से महापौर व उपमहापौर का चुनाव कराने के लिए पीठासीन अधिकारी की भी नियुक्ति होगी। इस बारे में भी जल्द ही फैसला होगा। वर्ष 2022 में फरवरी में उपराज्यपाल ने ही पीठासीन अधिकारी को नियुक्त किया था। जिन्होंने महापौर व उपमहापौर पद के चुनाव उस दौरान सुनिश्चित कराए थे। 

प्रशासनिक फैसलों के एजेंडे को तय करने के लिए जरूरी है महापौर की नियुक्ति
निगम के मामलों से जुड़े विशेषज्ञों ने कहा है कि निगम के प्रशासनिक फैसलों के लिए महापौर की नियुक्ति अप्रैल में होना अनिवार्य होता है। निगम के नियम अनुसार यह जरूरी है। निगम आयुक्त प्रशासनिक मुद्दों और विभागों की कई परियोजनाओं के एजेंडे को तैयार करते हैं। लेकिन इसको स्वीकृति सदन की बैठक में होती है। सदन में महापौर की निगरानी में विभिन्न परियोजनाओं से जुड़े एजेंडे को पास या अस्वीकार किया जाता है। नए वित्तीय वर्ष की कई परियोजनाओं को शुरू करने के लिए महापौर का जल्द से जल्द चुनाव होना अहम है। 

आप और भाजपा में हुई थी तकरार 
वर्ष 2022 के महापौर और उपमहापौर के चुनाव के दौरान उपराज्यपाल ने गौतमपुरी से पार्षद और पूर्ववर्ती पूर्वी दिल्ली नगर निगम में महापौर रह चुकी सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया था। वह भाजपा की पार्षद हैं। इस दौरान आम आदमी पार्टी और भाजपा में महापौर और उपमहापौर के चुनाव के दौरान तकरार हुई थी। उस समय में पीठासीन अधिकारी ने दस मनोनीत पार्षदों को दोनों पद के चुनाव में मतदान करने की अनुमति दी थी। जिसके बाद आप ने इसका विरोध किया था। 

लोगों से मिलने का समय बढ़ाया जाए : आरडब्ल्यूए 
दोनों पदों के चुनाव के बीच विभिन्न आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधियों ने कहा है कि निगम से जुड़ी सेवाओं के बारे में जनप्रतिनिधियों को पारदर्शी तरीके से काम करने की आवश्यकता है। महापौर और उपमहापौर को लोगों से मिलने का समय को भी बढ़ाना चाहिए। यह सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक होना चाहिए। कई बार लोग अपनी समस्या लेकर सुबह पहुंचते हैं तब उन्होंने दोपहर 3 बजे तक भी इंतजार करना पड़ता है। इस बारे में उचित कदम उठाए जाने की जरूरत है। पीतमपुरा के एक ब्लॉक के आरडब्ल्यूए प्रतिनिधि नवीन ने कहा कि संवैधानिक पद पर नियुक्त होने वाले जनप्रतिनिधियों को लोगों से मिलने की सीमा को बढ़ाना जरूरी है।

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