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सांसद मनोज तिवारी नहीं आते, स्कूल-अस्पताल और क्राइम समस्या; दिल्ली की उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट का हाल

दिल्ली की उत्तर पूर्वी लोकसभा क्षेत्र की अधिकतर गली मोहल्लों में कहीं कोई चुनावी बैनर, पोस्टर नजर नहीं आता और राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं की गतिविधियां भी फिलहाल कम हैं। 25 मई को वोटिंग है।

Nishant Nandan भाषा, नई दिल्लीMon, 13 May 2024 10:08 AM
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राष्ट्रीय राजधानी का उत्तर पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों की कमी से जूझ रहा है। नेता हर चुनाव में जन सरोकार के मुद्दों को हल करने का वादा तो करते हैं लेकिन क्षेत्रवासियों का आरोप है कि चुनाव जीतने के बाद वे नज़र नहीं आते। क्षेत्र के मतदाताओं को शिकायत है कि यहां आबादी के अनुपात में स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं। साथ ही अतिक्रमण, यातायात जाम और बढ़ते अपराध भी बड़ी समस्या हैं। सीलमपुर विधानसभा सीट के तहत जाफराबाद में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और पेशे से डॉक्टर फहीम बेग ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, यह इलाका विकास के मामले में खासा पिछड़ा हुआ है।' उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ से क्षेत्र में जन कल्याणकारी ढांचागत सुविधाओं के लिए 23 करोड़ रुपये सालाना आते हैं, लेकिन ये रकम खर्च नहीं की जाती।

इसकी वजह बताते हुए बेग का कहना था, 'उत्तर पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी (डीएम) को हर दो-तीन महीने में बदल दिया जाता है जिससे विकास कार्य प्रभावित होते हैं। एक अधिकारी जिस काम को शुरू करता है, नया अधिकारी उसे रोक देता है।' उन्होंने यह भी कहा, 'इलाके में लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए अलग से कोई कॉलेज और कोई पॉलीटेक्निक नहीं है जिस वजह से कई लड़कियां 12वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देती हैं।'

साल 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस सीट पर 2009 में पहली बार चुनाव हुआ था और कांग्रेस के जेपी अग्रवाल ने जीत दर्ज की थी। लेकिन 2014 और 2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर भोजपुरी अभिनेता मनोज तिवारी कांग्रेस के इस गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब हो गए। मौजूदा चुनाव में पार्टी ने एक बार फिर मनोज तिवारी को मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस ने बिहार से ताल्लुक रखने वाले कन्हैया कुमार को टिकट दिया है जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष हैं।

अतिक्रमण और क्राइम से परेशानी

दिल्ली की सात लोकसभा सीट पर चुनाव के तहत इस सीट पर भी 25 मई को मतदान होगा। चुनाव में अब महज कुछ ही दिन शेष बचे हैं लेकिन इलाके में कोई चुनावी हलचल नहीं है। अधिकतर गली मोहल्लों में कहीं कोई चुनावी बैनर, पोस्टर नजर नहीं आता और राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं की गतिविधियां भी फिलहाल कम हैं। गोकलपुरी विधानसभा क्षेत्र के सबोली गांव के रहने वाले जगदीश चौधरी ने बताया, 'पूरे क्षेत्र में कानून एवं व्यवस्था का बुरा हाल है। हत्या और लूटपाट की वारदात आम बात हो गई हैं। इसके अलावा, स्कूलों की संख्या आबादी के हिसाब से काफी कम हैं।' उनका कहना था कि इलाके में अतिक्रमण स्थानीय निवासियों के लिए एक बहुत बड़ा सिरदर्द है जिसके चलते सड़कों पर जाम लगा रहता है। इसके अलावा क्षेत्र में पार्कों की भी कमी है।

जगदीश चौधरी अपने क्षेत्र के मौजूदा सांसद मनोज तिवारी के कामकाज से खुश नहीं हैं और इस बार चुनाव में 'नोटा' का बटन दबाने का मन बना रहे हैं। उनका कहना था कि पिछले चुनावों के बाद उन्होंने अपने इलाके में कभी मनोज तिवारी को किसी कार्यक्रम में नहीं देखा। बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र के बलबीर नगर में रहने वाले मुकेश गौड़ को भी अपने जनप्रतिनिधि से यही शिकायत है। उन्होंने निराशा जताते हुए कहा, 'कोई भी उम्मीदवार सांसद बन जाने के बाद जनता से वास्ता नहीं रखता और सिर्फ चुनाव के समय ही निकल कर आता है।' साथ ही बेग, चौधरी और गौड़ ने क्षेत्र में बढ़ते अपराधों को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की।

AAP से पहले कांग्रेस की थी पकड़

आम आदमी पार्टी के उदय से पहले साल 2013 तक कांग्रेस की इस क्षेत्र पर मजबूत पकड़ थी लेकिन 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के ज्यादातर उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में तिवारी ने दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं तथा कांग्रेस की वरिष्ठ एवं कद्दावर नेता शीला दीक्षित को 3.66 लाख से ज्यादा मतों से शिकस्त दी थी।

सरकार नहीं देती ध्यान..

गौड़ ने कहा कि जनप्रतिनिधि लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देते। उनका कहना था कि क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार की बड़ी समस्या है। उन्होंने इस बात पर भी अफसोस जताया कि आबादी के हिसाब से क्षेत्र में अस्पतालों की संख्या कम है जिस वजह से सरकारी अस्पतालों में काफी भीड़ रहती है और लोग निजी अस्पतालों में इलाज कराने को मजबूर हैं। रोज़गार के सवाल पर बेग कहते हैं कि सीलमपुर और आसपास के क्षेत्रों में लोग जेकैट और जींस बनाने के उद्योग से जुड़े हैं, जिससे न सिर्फ क्षेत्र बल्कि उत्तर प्रदेश और बिहार तक के कारीगरों को यहां रोज़गार मिलता है।

उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि जेकैट और जींस बनाने का छोटा-मोटा उद्योग चलाने वाले लोग सरकार की अनदेखी की वजह से असंगठित हैं और उन्हें सरकारी मदद नहीं मिल पाती जिससे उनका उद्योग तरक्की नहीं कर पाया। मुस्लिम और पूर्वांचली आबादी बहुल यह क्षेत्र विकास के मामले में खासा पिछड़ा माना जाता है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा गठित सच्चर समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले का जिक्र किया था।

कितनी है मतदाताओं की संख्या...

इस संसदीय क्षेत्र में सीलमपुर, बाबरपुर, घोंडा, गोकलपुरी (एससी), मुस्तफाबाद, करावल नगर, सीमापुरी (एससी), रोहताश नगर, बुराड़ी और तिमारपुर विधानसभा सीट आती हैं। घोंडा, करावल नगर और रोहताश नगर विधानसभा क्षेत्रों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है जबकि शेष सात सीट पर आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक हैं।

इस बार कांग्रेस और आप दिल्ली में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही हैं और दोनों पार्टी विपक्षी दलों के 'इंडिया' गठजोड़ का हिस्सा हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, इस लोकसभा सीट पर कुल मतदाता 2381442 हैं जिनमें 1287660 पुरुष, 1093638 महिलाएं और 144 थर्ड जेंडर के वोटर हैं। दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर 25 मई को मतदान होगा।
 

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