5 लाख का कमरा 33 लाख में, क्लासरूम घोटाले का दावा कर बोली BJP- सिसोदिया और सत्येंद्र को मिला है नोटिस
मनोज तिवारी ने कहा, '7180 कमरे बनाने के लिए 999 करोड़ रुपये के टेंडर बने तब उन्होंने इस 999 करोड़ रुपये के टेंडर को 16 टुकड़ों में बांटा। ऐसा इसलिए किया गया ताकि यह टेंडर एलजी के पास ना जा सके।'
दिल्ली में कथित तौर से क्लासरूम घोटाले की बात काफी दिनों से कही जा रही है। लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी के सांसद मनोज तिवारी ने दावा किया है कि इस मामले में लोकायुक्त ने आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को नोटिस भेजा है। यह दावा करते हुए मनोज तिवारी ने यह भी बताया है कि 999 करोड़ रुपये के इस घोटाले को कैसे अंजाम दिया गया। इसके साथ ही भाजपा सांसद ने AAP के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी घेरा है।
मनोज तिवारी ने दावा किया, 'बुधवार को लोकायुक्त में हमारा केस था। साल 2016 में मैंने और हरीश खुराना ने एक केस दायर किया था कि दिल्ली में क्लासरूम घोटाला हुआ है। एक लंबे समय के बाद हमारा केस लोकायुक्त के पास गया तो उन्होंने निगरानी निदेशालय से रिपोर्ट मांगी। यह रिपोर्ट सामने आ चुकी है। इसके बाद कल जो लोकायुक्त का निर्देश आया उस निर्देश की एक प्रति हमारे पास है।'
भाजपा सांसद ने आगे दावा किया कि इस फैसले में लोकायुक्त ने रेस्पॉन्डेंट नंबर-1 (मनीष सिसोदिया) और रेस्पॉन्डेंट नंबर -2 (सत्येंद्र जैन) से रिपोर्ट मांगी है। मनोज तिवारी ने कहा कि स्कूल के क्लासरूम जो 5 लाख में बन सकते थे और उसे 33 लाख में बनाया गया और इन दोनों AAP नेताओं ने इसके लिए टेंडर जारी किया। मनोज तिवारी ने आरोप लगाया कि क्लासरूम बनाना उद्देश्य नहीं था। सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के मीटिंग में हुई बातें हैरान करने वाली हैं। मनोज तिवारी ने आगे कहा कि जिस लोकायुक्त और लोकपाल के लिए आम आदमी पार्टी ने सबसे ज्यादा हल्ला किया उन्होंने ही कहा कि अगर वो (मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन) जेल में भी हैं तो उन्हें कहिए अपना जवाब दें क्योंकि वो संदिग्ध लग रहे हैं।
मनोज तिवारी ने बताया- कैसे हुआ घोटाला
मनोज तिवारी ने दावा किया कि लोकायुक्त ने अपने फैसले में लिखा, 'अगर उत्तरदायी जेल में बंद हैं तो उन्हें संबंधित जेल डीजी के जरिए नोटिस भेजा जाए।' मनोज तिवारी ने कहा, '7180 कमरे बनाने के लिए 999 करोड़ रुपये के टेंडर बने तब उन्होंने इस 999 करोड़ रुपये के टेंडर को 16 टुकड़ों में बांटा। ऐसा इसलिए किया गया ताकि यह टेंडर किसी और प्राधिकार, एलजी या कैबिनेट में ना जा सके और सिर्फ शिक्षा विभाग और PWD विभाग के पास ही जाए। जिसकी वजह से यह टेंडर 100 करोड़ रुपये से नीचे हो गया। नियम यह है कि 100 करोड़ से नीचे के टेंडर को मंत्री अपने स्तर से स्वीकृति दे सकते हैं लेकिन टेंडर तो एक ही था 999 करोड़ का।'
आगे मनोज तिवारी ने दावा किया जब इन दोनों नेताओं ने 999 करोड़ के टेंडर को 16 टुकड़ों में बांटा तब उनके नीचे के अधिकारियों ने इसे 65 टुकड़ों में बांटा। मनोज तिवारी ने कहा, 'मैं अरविंद केजरीवाल से पूछना चाहता हूं कि क्या यह आपके अपराध करने का एक तरीका है। इसके पहले भी कई बार ऐसा हुआ कि वो एक प्रोजेक्ट को कई टुकड़ों में बांटते हैं ताकि किसी और अथॉरिटी के पास ना जाए।'