Hindi Newsएनसीआर न्यूज़man locked in house by bank staff for not repaying the loan

अमानवीय : जब कर्ज न चुकाने पर बैंक ने युवक को घर में ही किया सील

करीब 35 लाख रुपये लोन न चुकाने पर बैंककर्मियों ने कथिततौर पर फरीदाबाद की डबुआ कॉलोनी में रहने वाले एक युवक को घर के अंदर ही सील कर दिया। यह गर 100 गज का है। बुधवार को जब यह मामला मीडिया में आया तो...

Praveen Sharma फरीदाबाद | वरिष्ठ संवाददाता , Thu, 5 Sep 2019 06:39 PM
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करीब 35 लाख रुपये लोन न चुकाने पर बैंककर्मियों ने कथिततौर पर फरीदाबाद की डबुआ कॉलोनी में रहने वाले एक युवक को घर के अंदर ही सील कर दिया। यह गर 100 गज का है। बुधवार को जब यह मामला मीडिया में आया तो बैंक की ओर से बैंक द्वारा घर के मेनगेट पर लगी सील को खोल दिया गया। हालांकि, बैंक का दावा है कि जब घर का दरवाजा सील किया गया था तो उस वक्त घर के अंदर कोई नहीं था।

मूलरूप से उत्तराखंड के रानीखेत निवासी कैलाश अपने परिवार के साथ करीब 35 वर्ष से डबुआ कॉलोनी में रहते हैं। वह राजा चौक पर चाय की दुकान चलाते हैं। मंगलवार को उनका 30 वर्षीय बेटा नरेश चंद घर के अंदर सो रहा था। आरोप है कि तभी वहां ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के बैंककर्मी पहुंच गए घर के दरवाजे को बाहर से सील कर दिया।

घर के अंदर सील हुए नरेश चंद का दावा है कि बैंक कर्मियों ने उसके बार-बार मना करने के बावजूद उसे घर के अंदर सील कर दिया था। वह मंगलवार से ही घर के अंदर बंद है। नरेश के पिता कैलाश ने दावा किया कि किसी गगन वाधवा और दीपा वाधवा ने उनके घर के फर्जी कागजात तैयार कर लोन ले लिया है। जबकि उन्होंने कभी भी बैंक से कोई लोन नहीं लिया था। 

बेटी की शादी के लिए लोन लेने में फर्जीवाड़ा

कैलाश ने दावा किया कि करीब छह वर्ष पहले उन्हें बड़ी बेटी की शादी के लिए ऋण की जरूरत थी। उन्होंने अपने परिचित अशोक के जरिए बैंक से ऋण दिलाने में मदद मांगी। मगर, अशोक उसे अदालत ले गया। वहां उससे कागजातों पर हस्ताक्षर करवा लिए। मगर, उसे ऋण नहीं मिला। उन्हें काफी समय से बैंक की ओर ऋण चुकता करने के नोटिस मिल रहे थे। नौ जुलाई को भी उनके घर पर नोटिस लगाया गया था। एक सप्ताह पहले बैंककर्मी उनके घर के कमरों को सील कर गए थे। वे घर के बरामदे में रह रहे थे। मंगलवार को घर के प्रवेशद्वार को भी सील कर दिया गया। हालांकि वह स्थानीय अदालत में बैंक से केस हार चुके हैं। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में उनका मामला विचाराधीन है।

बैंक ने कहा, करीब सात वर्ष पूर्व घर बेच चुका है परिवार

बैंक की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, यह घर कैलाश के पिता देवीदत्त के नाम पर था। आरोप है कि उनकी मौत के बाद 17 दिसंबर सन् 2012 को कैलाश ने देवीदत्त बनकर 100 गज का यह घर डबुआ कॉलोनी निवासी अशरफी देवी को बेच दिया था। घर का मीटर कनेक्शन भी अशरफी देवी के नाम पर है। अशरफी देवी ने 25 जून सन् 2014 को यह घर किसी दीपा वाधवा को बेच दिया। दीपा वाधवा ने घर खरीदने के लिए बैंक से ऋण लिया था। कैलाश का इस घर पर कोई हक नहीं है। वह अदालत में भी केस हार चुका है। यह सारा मामला पूरी तरह से धोखाधड़ी का है।

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