दिल्ली में 40 हजार से अधिक लोगों के पास लाइसेंसी हथियार, चौंका देगी इनमें महिलाओं की संख्या
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, कुल 41,600 लाइसेंसी हथियार रखने वालों में से सिर्फ 888 महिलाओं के पास लाइसेंसी हथियार है। यानी दिल्ली में महज दो फीसदी महिलाएं लाइसेंसी हथियार रखी हैं।
देश की राजधानी दिल्ली में 40 हजार से अधिक लोगों के पास लाइसेंसी हथियार है। दिल्ली पुलिस के लाइसेंस विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि शहर के 15 पुलिस जिलों में 41,600 लोग लाइसेंसी हथियार रखे हैं। हालांकि इनमें से काफी कम लाइसेंसी हथियार महिलाओं के पास है। जिन महिलाओं के पास हथियार है उनमें से ज्यादातर या तो खेल क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं या फिर जिन्हें यह विरासत में मिला है।
सिर्फ 888 महिलाओं के पास लाइसेंसी हथियार
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, कुल 41,600 लाइसेंसी हथियार रखने वालों में से सिर्फ 888 महिलाओं के पास लाइसेंसी हथियार है। यानी दिल्ली में महज दो फीसदी महिलाएं लाइसेंसी हथियार रखी हैं। पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, 'लिंग के आधार पर लाइसेंसी हथियार देने में कोई छूट नहीं दी जाती है। चाहे पुरुष हो या महिला, हम यह जांच करते हैं कि किसे हथियार की जरूरत है। जिस आवेदक की जान को वास्तव में खतरा है उसी को लाइसेंस जारी किया जाता है।'
पुलिस अधिकारी ने बताया, शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन देने वाली महिलाओं की संख्या बहुत कम है। आंकड़ों का हर जिले के अनुसार विश्लेषण करने से पता चला है कि कई पॉश कॉलोनी वाले साउथ पुलिस जिले में सबसे ज्यादा 264 महिलाओं के पास लाइसेंसी हथियार हैं। लाइसेंस विभाग के एक रिटायर्ड अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया, 'इन इलाकों में कई जाने-माने लोग रहते हैं और उनमें से कुछ को विभिन्न कारणों से सच में जान का खतरा होता है। इसके अलावा, कुछ महिला निशानेबाज भी यहां रहती हैं और इसलिए यह संख्या थोड़ी ज्यादा है।'
रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने बताया, 'दक्षिण-पश्चिम जिले में पूर्व में कई गिरोहों के बीच झड़प हुई है और इन झड़पों में कई महिलाओं ने अपने पति को खोया है। इनमें से कुछ को सच में जान का खतरा है, क्योंकि उनके पति किसी न किसी गिरोह से जुड़े हुए थे। इसलिए वे शस्त्र लाइसेंस की मांग करती हैं और हम उन्हें जारी करते हैं। इसलिए आपको इस जिले में संख्या अधिक मिल सकती है।'
शस्त्र लाइसेंस रखने वाली 888 महिलाओं के प्रोफाइल के बारे में बात करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है। 'इन लाइसेंस धारकों में एक वर्ग महिला निशानेबाजों का है। फिर वे महिलाएं हैं, जिन्हें अपने परिवार के पुरुष सदस्यों की मौत के बाद ये लाइसेंस मिले। फिर तीसरी श्रेणी अकेली रह रही और कामकाजी महिलाओं की है। इनमें से कुछ राजनीतिक घरानों से आती हैं।'
एक महिला डॉक्टर ने बताया, 'मेरे काम के घंटे काफी अनियमित हैं और मुझे अक्सर बेवक्त अस्पताल आना-जाना होता है। इसलिए मैंने लाइसेंसी हथियार लिया। यह देर रात को खाली सड़कों पर गाड़ी चलाते वक्त मुझे सुरक्षा की भावना देता है।' राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों से पता चलता है कि सभी महानगरों में से दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित है। विशेषज्ञों ने कहा कि हथियार रखने के साथ ही बड़ी जिम्मेदारी भी आती है, क्योंकि इसके दुरुपयोग के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि शस्त्र कानून बहुत सख्त हैं।