Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Kidney racket probe: kidney donor photo is real rest all are fake Delhi Police Crime Branch sends notice to 11 hospitals

डोनर का फोटो असली, बाकी सब फर्जी; किडनी रैकेट में एक और चौंकाने वाला खुलासा, 11 अस्पतालों को क्राइम ब्रांच का नोटिस

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच किडनी रैकेट से जुड़ी सबसे अहम कड़ी डोनर की तलाश में जुटी है। अब तक पुलिस ने सिर्फ दो लोगों को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला है कि डोनर का सिर्फ फोटो ही असली है।

Praveen Sharma नई दिल्ली। हिन्दुस्तान , Mon, 22 July 2024 06:16 AM
share Share

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच किडनी रैकेट से जुड़ी सबसे अहम कड़ी डोनर की तलाश में जुटी है। अब तक पुलिस ने सिर्फ दो लोगों को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला है कि डोनर का सिर्फ फोटो असली है और बाकी जानकारी फर्जी हैं। इसके लिए अब पुलिस फेस रिकग्निशन सिस्टम (एफआरएस सॉफ्टवेयर) का इस्तेमाल करेगी।

दरअसल, क्राइम ब्रांच ने शुक्रवार को बताया था कि इंस्पेक्टर पवन कुमार की टीम ने किडनी रैकेट से जुड़े 15 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें दो किडनी बेचने वाले और पांच खरीदने वाले शामिल थे। अभी तक की जांच में कुल 34 किडनी प्रत्यारोपण की बात सामने आई है, लेकिन किडनी बेचने वालों के नाम आदि जरूरी जानकारी खरीदने वालों के अनुसार लिखी गई है। इसके अलावा सभी किडनी बेचने वाले सोशल मीडिया साइट से ढूंढे गए हैं, लेकिन अधिकांश ऐसे पेज बंद हो चुके हैं, इसलिए सबूत तलाशना कठिन होता जा रहा है।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्राथमिकता किडनी बेचने वालों को पकड़ने की है। इन लोगों की सिर्फ फोटो असली है। इसलिए पुलिस ने इन फोटो के बारे में जानकारी एफआरएस सॉफ्टवेयर से जुटाने का फैसला लिया है। इस सॉफ्टवेयर में सोशल मीडिया पर मौजूद शख्स, मतदाता पहचान पत्र और ड्राइविंग लाइसेंस आदि का डेटा रहता है। अगर इन तीन जगहों पर फोटो वाला शख्स मौजूद होगा तो एफआरएस से पूरी जानकारी मिल जाएगी।

क्राइम ब्रांच ने 11 अस्पतालों को नोटिस जारी कर जांच में शामिल होने के लिए कहा है। दरअसल, इन्हीं अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण हुआ था। पुलिस अधिकारी ने बताया पूरी प्रक्रिया में अस्पताल प्रशासन की पकड़े गए आरोपियों से मिलीभगत का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। इंटरव्यू के दौरान की गई वीडियोग्राफी भी कब्जे में लेकर जांच के लिए एफएसएल भेजी है। इन अस्पतालों से दूसरे मामलों में इंटरव्यू की वीडियोग्राफी की फुटेज मांगी है।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि जांच के दायरे वाली वीडियो फुटेज से दोनों का मिलान कराया जाएगा, ताकि अगर कोई मिलीभगत हो तो वह सामने आ सके।

आरोपियों के फोन की जांच होगी

पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों के फोन को कब्जे में लेकर मिरर इमेजिंग के लिए इफ्सो भेज दिया गया है। इससे फोन के डिलीट डाटा को पुन प्राप्त करने में आसानी होगी। पुलिस का मानना है कि मिरर इमेजिंग से किडनी खरीदने और बेचने वालों के बारे में जानकारी मिल सकती है।

25 से 50 फीसदी तक रकम एडवांस ली

जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि जिन मरीजों की आरोपियों ने फाइल तैयार की थी, उनसे एडवांस में रकम ले ली थी। पूरी रकम का लेन-देन होना अभी बाकी था। दरअसल, यह गिरोह रिसीवर के तैयार होने के बाद ही उनके परिजनों से बतौर एडवांस 25 से 50 फीसदी तक रकम ले लेता था। इसके बाद ऑपरेशन की तारीख तय हो जाने के बाद बाकी की रकम लेता था। आरोपियों से पूछताछ के बाद सामने आया है कि दिल्ली-एनसीआर सहित देश में 10 से ज्यादा गिरोह सक्रिय है, जो अवैध रूप से लोगों की किडनी प्रत्यारोपण का काम कर रहे हैं।

अगला लेखऐप पर पढ़ें