कंझावला केस: हत्या की धारा 302 पर अदालत में कहां फंस सकता है मामला? जानें
Kanjhawala Case: दिल्ली पुलिस यह कहती आई है कि दो गाड़ियों की टक्कर हुई थी, जिसके बाद अंजली कार के नीचे फंस गई थी। जिसके बाद कार में फंसी अंजली को घसीटा गया जिससे की उसकी मौत हो गई थी।
Kanjhawala Case: दिल्ली के कंझावला केस में पुलिस ने अपनी सभी जांच-पड़ताल के बाद हत्या की धारा 302 जोड़ दी है। करीब 17 दिन बाद पुलिस ने इस मामले में यह बड़ा ऐक्शन लिया है। सुल्तानपुरी में 31 दिसंबर की रात अंजली को कार से दिल्ली में 12 किलोमीटर तक घसीटा गया था। इस घटना में अंजली की मौत हो गई थी। लंबी जांच-पड़ताल के बाद अब दिल्ली पुलिस ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ हत्या की धारा लगा दी है। लेकिन हत्या की धारा लगने के बाद अब दिल्ली पुलिस के सामने एक और चुनौती आ सकती है। अब सवाल यह उठता है कि क्या धारा 302 पर अदालत में मामला फंस सकता है?
दिल्ली पुलिस को अब इस मामले में कोर्ट को हत्या का मकसद बताना होगा। यानी पुलिस को बताना होगा कि आखिर किस वजह से आरोपियों ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया। अदालत में 302 यानी इसे हत्या साबित करना दिल्ली पुलिस के लिए टेढ़ी खीर से कम नहीं है। दिल्ली पुलिस यह कहती आई है कि दो गाड़ियों की टक्कर हुई थी, जिसके बाद अंजली कार के नीचे फंस गई थी। जिसके बाद कार में फंसी अंजली को घसीटा गया जिससे की उसकी मौत हो गई थी।
मृत्युदंड या उम्रकैद की सजा हो सकती है
कंझावला केस के सात में से छह आरोपियों के खिलाफ पहले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-304 (गैर-इरादतन हत्या) के तहत आरोप तय किए गए थे। हत्या का आरोप लगाए जाने के बाद आरोपियों को मृत्युदंड या उम्रकैद और जुर्माने की सजा दी जा सकती है। विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा, 'सुल्तानपुरी की घटना में भौतिक, मौखिक, फॉरेंसिक और अन्य वैज्ञानिक सबूतों को जुटाने के बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा-304 की जगह धारा-302 शामिल कर दी है। मामले में आगे की जांच जारी है।'
यह कदम दिल्ली पुलिस द्वारा एक सत्र अदालत को यह बताए जाने के एक दिन बाद उठाया गया है कि वह मामले में आईपीसी की धारा-302 शामिल करेगी। अंजलि सिंह (20) की स्कूटी को 31 दिसंबर की देर रात एक कार ने टक्कर मार दी थी, जिसके बाद वह कार में फंसकर सुल्तानपुरी से कंझावला के बीच 12 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक घसीटती चली गई थी। इस घटना में अंजलि की मौत हो गई थी।
इस केस में अब तक दो आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। दिल्ली की एक अदालत ने इस केस के एक आरोपी आशुतोष भारद्वाज को मंगलवार को जमानत दे दी है। बता दें कि आशुतोष भारद्वाज की बलेनो कार से ही वो भयानक हादसा हुआ था।
बता दें कि मर्डर के मामले में सजा सुनाने के पहले हत्या के मकसद पर ध्यान दिया जाता है। इस तरह के मामलों को साबित करने के लिए यह भी साबित करना पड़ता है कि आरोपी के पास न सिर्फ मकसद था बल्कि कत्ल जान बूझकर किया गया है।
परिजनों ने धारा 302 लगाने की उठाई थी मांग
पुलिस ने दो जनवरी को मामले में दीपक खन्ना (26), अमित खन्ना (25), कृष्ण (27), मिथुन (26) और मनोज मित्तल को गिरफ्तार किया था। एक अन्य आरोपी अंकुश ने छह जनवरी को आत्मसमर्पण कर दिया था और अगले दिन जमानत पर रिहा हो गया था। चार दिन बाद एक अन्य आरोपी आशुतोष को गिरफ्तार कर लिया गया था।
अंजलि के माता-पिता और रिश्तेदारों ने अपनी बेटी के लिए न्याय की मांग को लेकर सुल्तानपुरी थाने के बाहर धरना भी दिया था। उन्होंने यह आरोप लगाते हुए प्राथमिकी में धारा-302 को जोड़े जाने की मांग की थी कि आरोपियों ने यह जानते हुए भी कार चलाना जारी रखा कि युवती उनकी कार में फंसकर घिसटती जा रही है।