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श्रद्धा हत्याकांड और कंझावला केस से पुलिस की कौन सी कमी हुई उजागर, LG ने बताया

उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा कि पुलिस को सलाह दिया है कि वो सड़कों पर चौबीस घंटे अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने का प्रयास करे। एलजी ने कहा कि इससे एक तरफ जहां बदमाशों में डर पैदा होगा।

Nishant Nandan पीटीआई, नई दिल्लीTue, 21 Feb 2023 08:28 PM
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दिल्ली के चर्चित कंझावला केस और श्रद्धा मर्डर केस को लेकर दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर कई बड़े सवाल खड़े किये गये हैं। अब उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इन दोनों ही मामलों का जिक्र करते हुए कहा है कि इसमें फिल्ड लेवल पुलिसिंग में बड़ी कमी नजर आई है। मंगलवार को उपराज्यपाल ने कहा कि हाल ही में कंझावला हिट-एंड-ड्रैग की घटना और श्रद्धा मर्डर केस फिल्ड लेवल पुलिसिंग में एक चमकदार कमी को उजागर करती है। उन्होंने इसी के साथ सभी डीसीपी से आग्रह किया कि वो इस कमी को दूर करें।

दिल्ली पुलिस मुख्यालय में एक कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उपराज्यपाल ने भ्रष्टाचार, पुलिसिया अत्याचार और पुलिसिया जांच-पड़ताल में कमी समेत अन्य कई अहम मुद्दों पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने जी-20 समिट को देखते हुए पुलिस बल से आग्रह किया कि सभी स्तरों पर की सुरक्षा के लिए पुलिस पहले से ही अपनी सक्रियता सुनिश्चित करे। 

बता दें कि कंझावला कांड में दिल्ली पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी। 20 साल की एक लड़की अंजलि सिंह को 31 दिसंबर की रात दिल्ली की सड़कों पर एक कार ने टक्कर मार दी थी। अंजलि उस वक्त अपनी स्कूटी पर थीं। हादसे के बाद अंजलि कार के नीचे फंस गई थीं। इसके बाद उन्हें दिल्ली की सड़कों पर कई किलोमीटर तक घसीटा गया। 

उपराज्यपाल ने कहा कि लड़की की हत्या और उसे कई टुकड़ों में काटकर दिल्ली के विभिन्न इलाकों में फेंके जाने की घटना कई महीनों के बाद उजागर हुई। इसी तरह नववर्ष की रात जब यह माना जाता है कि चेक प्वाइंट और पुलिस पेट्रोलिंग काफी मुश्तैद होगी तब उस वक्त एक लड़की को धक्का मारकर एक कार उसे घसीटती रहती है। एक चेन स्नेचिंग की घटना के दौरान एएसआई शंभू दयाल मीणा की मौत और शाम में भीड़भाड़ के वक्त एक ट्रैफिक इंटरसेक्शन पर खुलेआम फायरिंग में दो निर्दोष लोगों की मौत हो जाती है। ऐसी घटनाओं में फिल्ड लेवल पुलिसिंग की चमकदार कमियां उजागर हुई हैं। डीसीपी को इस दिशा में जल्द से जल्द प्रयास कर इन कमियों को दूर करना चाहिए।

वीके सक्सेना ने पुलिस को सलाह दिया है कि वो सड़कों पर चौबीस घंटे अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने का प्रयास करे। एलजी ने कहा कि इससे एक तरफ जहां बदमाशों में डर पैदा होगा तो वही दूसरी तरफ इससे लोगों का विश्वास भी पुलिस पर बढ़ेगा। 

इस केस में अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस मामले में 11 पुलिसवाले अब तक सस्पेंड भी किये जा चुके हैं। इसके साथ ही उपराज्यपाल ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड शाखा के डेटा का भी जिक्र किया। एलजी ने कहा कि प्रति एक लाख जनसंख्या पर हिंसा से जुड़ी घटनाओं में दिल्ली तीसरे स्थान पर है। महिलाओं के प्रति अपराध के मामले में दिल्ली देश में दूसरे स्थान पर है। यह हालत तब है जब हमारे पास 81,000 पुलिस बल मौजूद है। 

एलजी ने कहा कि मैं यह अवश्य कहूंगा कि कंझावला केस ने यह दिखाया है कि कोई भी ढिलाई प्रलयकारी हो सकती है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस अधिकारियों को आईना दिखाते हुए एलजी ने सिविल एडमिनिस्ट्रेशन की तुलना में हमारा पुलिस प्रशासन खासकर जिला लेवल पर ज्यादा भ्रष्ट हैं। एलजी ने कहा कि चार्जशीट में देरी, रिहाई में देरी गंभीर विषय है। इससे सिर्फ जनता का विश्वास कमजोर होता है। एलजी ने कहा कि शिकायतें मिलती है जैसे कि जांच नहीं हो रही, पुलिस दूसरे पक्ष के साथ मिल गई है, पुलिस मौके पर नहीं पहुंच सकी। उन्होंने कहा कि जो कोई भी नागरिक पुलिस के पास आता है उसके प्रति जिम्मेदारी का एहसास होना पुलिस के लिए काफी जरूरी है।

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