60 साल की उम्र तक पढ़ा सकेंगे अतिथि शिक्षक, दिल्ली कैबिनेट ने दी मंजूरी
दिल्ली में अतिथि शिक्षक अब 60 साल की उम्र तक पढ़ा सकेंगे। दिल्ली सरकार ने बुधवार को कैबिनेट बैठक में इसके लिए नई नीति को मंजूरी दे दी है। एलजी की सहमति मिलने के बाद सभी अतिथि शिक्षक दिल्ली में नियमित...
दिल्ली में अतिथि शिक्षक अब 60 साल की उम्र तक पढ़ा सकेंगे। दिल्ली सरकार ने बुधवार को कैबिनेट बैठक में इसके लिए नई नीति को मंजूरी दे दी है। एलजी की सहमति मिलने के बाद सभी अतिथि शिक्षक दिल्ली में नियमित शिक्षकों की उम्र तक काम कर सकेंगे।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि नईनीति से वर्तमान में कार्यरत सभी अतिथि शिक्षकों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा, मैं नीति लेकर एलजी के पास जा रहा हूं। राजधानी में 28 फरवरी से अतिथि शिक्षकों की तैनाती अमान्य हो गई है। परीक्षा और नए सत्र में इसे लेकर बड़ी दिक्कत होगी। सिसोदिया ने कहा कि हरियाणा में 58 साल की उम्र तक अतिथि शिक्षक काम करते हैं। जब वहां हो सकता है तो दिल्ली में क्यों नहीं।
ये भी जानें
- 22000 अतिथि शिक्षकों की संख्या
- 64000 शिक्षकों के पद हैं राजधानी में
- 15 लाख से ज्यादा छात्र सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे
सरकार बोली, अतिथि शिक्षक सुनवाई होने तक पढ़ाएं
वहीं, दिल्ली सरकार ने सभी अतिथि शिक्षकों को फिर से स्कूल जाने का आदेश दिया है। सरकार ने कहा है कि बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं, इसलिये वह जाकर स्कूल में सेवाएं दें। जब तक अदालत की अगली सुनवाई नहीं हो जाती वह स्कूलों में पढ़ाएं। इस आदेश को सभी उप शिक्षा निदेशकों को लागू करने के लिए कहा गया है।
हालांकि, अतिथि शिक्षकों का कहना है कि यह आदेश महज बोर्ड की परीक्षा संपन्न कराने के लिए है। यह हमारा स्थाई समाधान नहीं है। स्कूलों को एक और मेल आया है, जिसमें कहा गया है कि अतिथि शिक्षकों की उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज नहीं की जाए। इनकी उपस्थिति एक कागज पर दर्ज की जाए। जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाती हम विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।
शिक्षकों के बिना मुश्किल में स्कूल प्रशासन : राजधानी के स्कूलों से अतिथि शिक्षकों के हटने के बाद स्कूलों में व्यवस्था चरमरा सी गई है। सबसे अधिक समस्या बोर्ड परीक्षा के कारण हो रही है। कई स्कूलों में शिक्षकों की कम संख्या के कारेण स्थाई शिक्षकों ने चपरासी व अन्य कर्मचारियों की सहायता से परीक्षा कराई।
इसके लिए उन्होंने सभी छात्रों को एक स्थान पर बैठाकर परीक्षा ली। राजधानी के स्कूलों में 22 हजार से अधिक शिक्षक हैं। यह कुल शिक्षकों की संख्या के 38 फीसदी है। एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि बस किसी तरह काम चल रहा है।
बोर्ड परीक्षा को सुचारू रूप से संपन्न कराना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए हम तत्काल बाहर से भी व्यवस्था नहीं कर सकते हैं। एक अन्य सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कहा कि बोर्ड की परीक्षा के समय शिक्षकों को लेकर अदालत का निर्देश आया है। सरकार को इसके बारे में ध्यान देना चाहिए। अभी परीक्षा में शिक्षकों की जरूरत है। उसके बाद नए सत्र के दाखिले करना यह सब शिक्षकों के बिना संभव नहीं है।
स्थायी नियुक्ति को लेकर धरना जारी
स्थायी नियुक्ति को लेकर अतिथि शिक्षकों का उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर के बाहर अतिथि शिक्षकों का धरना प्रदर्शन बुधवार को भी जारी रहा। अतिथि शिक्षकों के नेता शोएब राणा ने बताया कि हम लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हमारी मांगों की अनदेखी की गई है। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कोई बैठक की है, लेकिन उसमें हमारे प्रतिनिधियों को शामिल नहीं किया गया है। इसलिए हमने धरना समाप्त के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है। हम स्थायी समाधान चाहते हैं।