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शक व शराब ने खत्म कर दिया परिवार, यूं हुआ 13 साल के प्रेम विवाह का खौफनाक अंत

  शक, शराब और बेरोजगारी ने हंसते-खेलते परिवार को खत्म कर दिया। 12वीं कक्षा तक पढ़ा प्रदीप पत्नी से चिढ़ने लगा था। इसकी वजह उसकी बेरोजगारी थी। पत्नी संगीता की कमाई अच्छी थी। वह तीनों बेटियों की...

गाजियाबाद | हिन्दुस्तान टीम Sat, 6 July 2019 08:05 AM
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शक, शराब और बेरोजगारी ने हंसते-खेलते परिवार को खत्म कर दिया। 12वीं कक्षा तक पढ़ा प्रदीप पत्नी से चिढ़ने लगा था। इसकी वजह उसकी बेरोजगारी थी। पत्नी संगीता की कमाई अच्छी थी। वह तीनों बेटियों की परवरिश अच्छी तरह कर रही थी, उनकी हर खुशी का ध्यान रखती थी। 

बेरोजगारी ने प्रदीप को शराबी बना दिया। वह तनाव में शराब के साथ ही कई तरह का नशा करने लगा था। उसकी इस आदत से परिवार के सभी सदस्य परेशान थे। प्रदीप पत्नी के चरित्र पर शक था, वह उसे हर बात पर टोकता था। संगीता जब भी किसी से मोबाइल पर देर तक बात करती थी तो प्रदीप को बुरा लगने लगता था। शताब्दीपुरम में शुक्रवार सुबह दिल दहलाने वाली घटना के बारे में जिस किसी ने सुना, घटनास्थल की तरफ दौड़ पड़ा। तीन बेटियों और पत्नी की हत्याकर अपनी जान देने की घटना की हर कोई चर्चा कर रहा था। 

प्रदीप की बहन रीना अपनी भाभी और बच्चों को याद कर बार-बार रो रही थी। वह महिलाओं को रोते हुए बता रही थी कि उसकी भाभी और बच्चे बहुत अच्छे थे। प्रदीप की बहन और पिता ने खुद स्वीकार किया कि नशे का आदी होने की वजह से प्रदीप ने परिवार को खत्म कर दिया।

प्रेम विवाह किया था

प्रदीप और संगीता वर्ष 2006 से दिल्ली के पटपड़गंज स्थित मैक्स अस्पताल में नौकरी करते थे। प्रदीप सुपरवाइजर था, जबकि संगीता नर्स थी। 17 दिसंबर वर्ष 2006 को दोनों ने प्रेम विवाह कर लिया। शादी के एक साल बाद ही संगीता की एम्स में स्टाफ नर्स के रूप में नौकरी लग गई। संगीता का वेतन अच्छा हो गया, जबकि प्रदीप पिछले तीन साल से बेरोजगार था।

पत्नी के साथ ही मेरी चिता जलाई जाए : पुलिस सूत्रों का कहना है कि प्रदीप ने सामूहिक हत्याकांड और खुदकुशी की वारदात को अंजाम देने से पहले सुसाइड नोट लिखा था। सुसाइड नोट में प्रदीप ने पत्नी के चरित्र पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। छह पन्नों के सुसाइड नोट में उसने पत्नी पर कम प्यार करने और कई दिन कमरे में घुसने के बाद अंदर से कुंडी बंद कर उसे जाने से रोकने का भी आरोप है। प्रदीप ने लिखा है कि पत्नी ने कमरे में एसी लगा रखा है, जिसका बिल उसे भरना पड़ता था। कई बार कहने पर भी पत्नी उस कमरे में जाने नहीं देती थी। पुलिस सूत्रों की मानें तो मौत से पहले लिखे सुसाइड नोट के आखिर में प्रदीप ने लिखा कि उसके शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया जाए और उसे व संगीता की चिता को एक साथ जलाया जाए। 

परिवार को कोई आर्थिक तंगी नहीं थी

प्रदीप के परिवार में कोई आर्थिक तंगी नहीं थी। संगीता के व्यवहार से ससुराल में हर कोई खुश था। संगीता की कमाई और ससुर फेरूराम की पेंशन मिलाकर हर महीने सवा लाख रुपये आते थे, जिससे परिवार की सारी जरूरतें अच्छी तरह पूरी हो जाती थीं। पड़ोसी जेपी शर्मा ने बताया कि प्रदीप के पिता फेरूराम ने एक साल पहले ही अपना घर बनाया था। घर में आठ लोग रहते थे। संगीता भी दफ्तर आते-जाते कॉलोनी में सभी लोगों से बातचीत करती थी। संगीता को हर माह करीब 80 हजार रुपये वेतन मिलता था। बच्चों और पति का खर्च संगीता खुद उठाती थी।

''अधिकांश लोग पीड़ित को डांटते हैं और राय देने लगते हैं। ऐसे मे वह और चिड़चिड़े हो जाते हैं। पीड़ित को समझाने के साथ समझना भी चाहिए।'' -डॉ. संजीव त्यागी, मनोचिकित्सक

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