नई गोलियां खरीदने को पुरानी का हिसाब देने में छूट रहे लोगों के पसीने, खोखे भी जमा कराने पड़ रहे
शस्त्र विक्रेताओं की दुकानों पर एक-एक गोली का हिसाब रखा जा रहा है। प्रशासन की टीम लगातार इनकी मॉनिटरिंग कर रही है। कौन कितनी गोली खरीद रहा है और उनकी खपत का भी ध्यान रखा जा रहा है।
गाजियाबाद जनपद में शस्त्र लाइसेंस धारकों को अब एक-एक गोली का हिसाब रखना होगा। गोलियां चलाने के बाद नई गोलियां खरीदने के लिए पुलिस और प्रशासन की इजाजत लेनी होगी। इतना ही नहीं, गोलियां कहां और क्यों चलाईं इसकी भी लिखित जानकारी देनी होगी। नई व्यवस्था से शस्त्र लाइसेंस धारकों को गोलियों का हिसाब देने में पसीने छूट रहे हैं।
गाजियाबाद जिले में करीब 14 हजार शस्त्र लाइसेंस धारक हैं। लाइसेंस धारकों को एक बार में अधिकतम दस और साल में 20 गोलियां खरीदने की ही इजाजत है। कुछ लाइसेंसों पर 100 गोलियां तक खरीदने की भी इजाजत है। पहली बार गोलियां खरीदने के बाद अब यदि किसी शस्त्र लाइसेंस धारक को नई गोलियां चाहिए तो उसे प्रशासन और पुलिस से इजाजत लेनी पड़ रही है। इतना ही नहीं लाइसेंस धारकों को सबसे बड़ी समस्या गोलियां कहां और क्यों चलाई गईं इसकी जानकारी देने में हो रही है। बड़ी संख्या में पुलिस और प्रशासन के पास गोलियां खरीदने के प्रार्थना पत्र लंबित हैं। इन सभी से चलाई गई गोलियों की जानकारी मांगी गई है। वहीं शस्त्र विक्रेताओं के यहां गोलियां खरीदने वालों की लाइन है, लेकिन सभी से परमिशन लेटर मांगा जा रहा है।
शस्त्र विक्रेताओं की दुकानों पर एक-एक गोली का हिसाब रखा जा रहा है। प्रशासन की टीम लगातार इनकी मॉनिटरिंग कर रही है। कौन कितनी गोली खरीद रहा है और उनकी खपत का भी ध्यान रखा जा रहा है।
जानवरों को भगाने की दे रहे दलील
जो शस्त्र लाइसेंस धारक गोलियां खरीद रहे हैं वह पिछली गोलियों को खेतों में जानवार भगाने या शस्त्र की गुणवत्ता जांचने के लिए चलाने की दलील दे रहे हैं।
खोखे भी कराने पड़ रहे जमा
शस्त्र लाइसेंस धारकों को नई गोलियां खरीदने के लिए पुरानी गोलियों के खोखे भी जमा कराने पड़ रहे हैं। तय सीमा में जितनी गोलियां खरीदना चाहते हैं उतने खाली खोखे भी दिखाने पड़ रहे हैं। साथ ही शस्त्र विक्रेताओं के पास इनको जमा भी कराना पड़ रहा है। विक्रताओं को भी इनका हिसाब रखने को कहा गया है।
गाजियाबाद के जिलाधिकारी इंद्रविक्रम सिंह ने कहा, ''शस्त्र लाइसेंस धारकों को नई गोलियां खरीदते समय पुरानी गोलियों की जानकारी देनी जरूरी है। इसके बाद पुलिस अधिकारी तय करेंगे कि उन्हें कितनी गोलियां उपलब्ध कराई जाएं।''
कविनगर स्थित प्रताप गन हाउस के संचालक दुष्यंत सिसोदिया ने कहा, ''पुलिस और प्रशासन की रिपोर्ट के बिना गोलियां नहीं बेची जा रही हैं। बड़ी संख्या में शस्त्र धारक गोलियों की मांग कर रहे हैं।''