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गाजियाबाद की स्वर्ण जयंतीपुरम योजना प्लॉट घोटाले में GDA के ये 30 इंजीनियर दोषी, 7 अन्य दोषमुक्त

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में 137 प्लॉटों के घोटाले में 30 इंजीनियरों को जांच में दोषी ठहराया गया है। इनमें से कई को नोटिस जारी कर दी गए हैं। वहीं, सात अन्य इंजीनियरों को दोष मुक्त कर दिया गया है।

Praveen Sharma लखनऊ गाजियाबाद। संवाददाता, Wed, 17 Jan 2024 08:36 AM
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गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में 137 प्लॉटों के घोटाले में 30 इंजीनियरों को जांच में दोषी ठहराया गया है। इनमें से कई को नोटिस जारी कर दी गए हैं। वहीं, सात अन्य इंजीनियरों को दोष मुक्त कर दिया गया है। एलडीए में तैनात रहे कई इंजीनियरों की भी इस घोटाले में गर्दन फंसी है।

गाजियाबाद के स्वर्ण जयंतीपुरम योजना में तत्कालीन इंजीनियरों ने घोटाला किया। योजना के 137 प्लॉटों का आवंटन निरस्त होने के बाद इनकी पुनर्बहाली कर दी गई थी। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों ने प्लॉटों पर बिल्डिंग बनवा दी। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें 26 प्लॉटों पर बिना नक्शे पास कराए इमारतें बनवा दी गईं, जबकि 40 प्लॉटों पर नक्शे के विपरीत अवैध निर्माण हुआ। हाईकोर्ट के आदेश पर जांच हुई तो इंजीनियरों को दोषी पाया गया था। पहले चरण में कुल 37 इंजीनियरों को दोषी पाया गया था, लेकिन दोबारा जांच में इसमें सात को दोष मुक्त कर दिया गया।

तीसरी जांच मेरठ के कमिश्नर ने की, जिसमें उन्होंने कई इंजीनियरों को फिर से दोषी करार दिया है। कमिश्नर ने सात जुलाई 2023 को जांच रिपोर्ट शासन को भेजी थी। अब इस मामले में एलडीए में तैनात तत्कालीन अधिशासी अभियंता वकील अहमद सहित करीब एक दर्जन इंजीनियरों को चार्जशीट जारी कर दी गई है। 15 दिन में शासन में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया है।

इन जेई को दोषी ठहराया

आरसी वर्मा, सुनील त्यागी, मोहम्मद कमर, मनोज अग्रवाल, नरेश त्यागी, राजबली सिंह, पारसनाथ, अनिल कुमार, आशू, निमिश गुप्ता, राम सागर वर्मा, विवेश शर्मा, श्याम मोहन शुक्ला, वीके मित्तल, सत्येन्द्र श्रीवास्तव, अशोक त्यागी, बीडी शुक्ला, केपी यादव, टीएन सिंह को दोषी ठहराया गया।

 

दोष मुक्त होने के बाद दोबारा जांच, कोर्ट ने लगाई रोक

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में 137 प्लॉटों के घोटाले में सात इंजीनियरों को दोष मुक्त कर दिया गया है। एलडीए में तैनात सहायक अभियंता अजय गोयल को भी कमिश्नर ने दोष मुक्त पाया है। उन पर लगाए गए आरोप सिद्ध नहीं हुए थे। मेरठ कमिश्नर ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी। जिस तरह सात अन्य को दोष मुक्त किया गया था उसी तरह यह भी दोष मुक्त हुए थे। शासन ने सात को तो मुक्त कर उन्हें पदोन्नति दे दी, लेकिन अजय गोयल की दोबारा जांच का आदेश किया। इसके खिलाफ वह हाईकोर्ट गए। अदालत ने जांच रोक दी। अब निर्दोष साबित होने के बावजूद उनकी पदोन्नति नहीं हो पा रही है, जबकि उन्हीं के समकक्ष दूसरे आरोपियों को दोष मुक्त कर शासन ने पदोन्नति दे दी। 

इन सहायक अभियंताओं को दोषी बताया गया

सहायक अभियंता वकील अहमद, किशन सिंह, शिव कुमार, पंकज शर्मा, प्रमोद कुमार शर्मा, एपी सिंह, किशन सिंह, विवेक शर्मा, धीरज सिंह, एआर राही, हीरालाल यादव, जयपाल सिकरवार, अरुण कुमार शर्मा तथा धर्मवीर सिंह को भी जिम्मेदार बनाया गया था।

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