एक्शन मोड में फरीदाबाद निगम, BSNL के बाद छह सरकारी दफ्तर होंगे सील; फैसले की क्या वजह
फरीदाबाद नगर निगम करीब करीब छह सरकारी भवनों को सील करने की तैयारी में जुटा है। बकाया वसूली के लिए नगर निगम ने दो दिन पहले ही भारत संचार निगम लिमिटेड का कार्यालय सील कर दिया था।
केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के करीब 53 भवनों पर नगर निगम का 37 करोड़ से अधिक संपत्तिकर बकाया है। इनमें से करीब छह भवनों को सील करने की तैयारी में नगर निगम जुटा है। बकाया वसूली के लिए नगर निगम ने दो दिन पहले ही भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) का कार्यालय सील कर दिया था, जिसे बाद में केंद्रीय मुख्यालय के हस्तक्षेप के बाद खोला गया।
नगर निगम का शहर की संपत्तियों का करीब 140 करोड़ रुपये संपत्तिकर बकाया है। इनमें से कई सरकारी विभागों पर तो दो करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। इन बकायेदारों को कई बार नोटिस दिए गए हैं, लेकिन संपत्तिकर की वसूली नहीं हो पा रही है। ऐसे में नगर निगम ने फिलहाल छह दफ्तरों के दफ्तरों को सील करने की तैयारी की है।
संपत्तिकर शाखा ने नगर निगम आयुक्त के सामने ब्योरा प्रस्तुत किया गया। अनुमति मिलते ही सीलिंग की कार्रवाई शुरू की जाएगी। जिले में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के दफ्तरों से बकाया टैक्स वसूली की योजना तैयार कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि कर नहीं चुकाने वालों पर नरमी नहीं बरती जाएगी।
राज्य सरकार पर 23 और केंद्र पर 14 करोड़ बकाया
केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के कार्यालयों पर करीब 14 करोड़ रुपये बकाया है। वहीं राज्य सरकार के विभिन्न भवनों पर करीब 23 करोड़ रुपये बकाया है। केंद्र सरकार के बड़े बकायेदार बीएसएनएल के भवन हैं। दूसरी ओर, राज्य सरकार के भवन अधिक हैं। सभी विभागों को बीते वर्ष भी नगर निगम का बकाया चुकाने के दिशा-निर्देश सरकार की तरफ से दिए गए थे, लेकिन नगर निगम ने इसके लिए प्रयास नहीं किया।
कुछ बड़े बकायेदारों पर एक नजर (राशि रुपये में)
● बीएसएनएल करीब 10 करोड़
● रक्षा विभाग करीब 5 करोड़
● प्रशासनिक सुधार विभाग करीब 5 करोड
● केंद्रीय ऊर्जा विभाग करीब 4 करोड़
● राजकीय प्रेस भारत सरकार करीब 1.50 करोड़
● डीसीए क्लब एनएच-दो 2.62 करोड़
● खेल विभाग 2.17 करोड़
● सेक्टर-16 में परियोजना निदेशक भवन 2.16 करोड़
● एचएसवीपी 1.72 करोड़
● डाकघर मुख्यालय 90 लाख
अतिरिक्त निगमायुक्त स्वप्निल पाटिल ने कहा, ‘काफी सरकारी विभागों ने संपत्तिकर जमा नहीं करवाया है। हम बकायेदार सरकारी विभागों का अध्ययन कर रहे हैं। अगर विभाग बकाया जमा नहीं करेंगे तो सीलिंग की कार्रवाई संभव है।’
गलत प्रॉपर्टी आइडी के चलते नहीं हो पा रही संपत्तिकर की वसूली
प्रॉपर्टी आइडी में खामियों के कारण भी नगर निगम को झटका लगा है और बीते वर्ष करीब 20 फीसदी कम संपत्तिकर वसूली हुई है। बीते साल करीब 60 करोड़ रुपये की वसूली हुई है। इस वर्ष भी करीब 140 करोड़ रुपये संपत्तिकर बकाया है। जबकि नगर निगम आर्थिक तंगी के चलते अपने कर्मचारियों को वेतन भी समय पर नहीं दे पाता है। नगर निगम छोटे-छोटे विकास कार्यो के लिए भी चंडीगढ़ की तरफ अनुदान या उधार के लिए भागता है।