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AAP ने किया था चुनावी गाने पर बैन का दावा, चुनाव आयोग ने बताया पूरा सच

चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के कैम्पेन सॉन्ग ‘जेल के जवाब में हम वोट देंगे’ पर बैन लगाने संबंधी दावों पर सफाई दी है। आयोग ने कहा कि मीडिया में चल रही ऐसी खबरें तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है।

Praveen Sharma नई दिल्ली। लाइव हिन्दुस्तान, Mon, 29 April 2024 03:46 AM
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चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी (आप) के लोकसभा चुनाव कैम्पेन सॉन्ग ‘जेल के जवाब में हम वोट देंगे’ पर बैन लगाने संबंधी 'आप' के दावों पर सफाई दी है। आयोग ने 'आप' को अपने कैम्पेन सॉन्ग में संशोधन करने को कहा गया है क्योंकि यह आयोग के दिशानिर्देशों और विज्ञापन नियमों का उल्लंघन करता है। चुनाव आयोग ने इस कैम्पेन सॉन्ग में 8 ऑब्जेक्शन लगाए हैं। आयोग ने कहा कि 'आप' के चुनाव कैम्पेन सॉन्ग पर रोक संबंधी मीडिया के कुछ वर्गों में दिखाई देने वाली खबरें तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है।

गाने पर 'आप' को अपने जवाब में दिल्ली के मुख्य चुनाव कार्यालय ने कहा कि यह लाइन कि ‘जेल के जवाब में हम वोट देंगे’, ईसीआई के दिशानिर्देशों के प्रावधानों और केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के तहत निर्धारित कार्यक्रम और विज्ञापन नियमों का उल्लंघन है।

दरअसल, आम आदमी पार्टी (आप) ने रविवार को दावा किया था कि चुनाव आयोग ने पार्टी के लोकसभा चुनाव प्रचार के कैम्पेन सॉन्ग पर बैन लगा दिया है। ‘आप’ के 2 मिनट से अधिक के इस प्रचार गीत को पार्टी के विधायक दिलीप पांडे ने लिखा और गाया है। यह गीत बीते गुरुवार को आम आदमी पार्टी मुख्यालय में जारी किया गया था।

दिल्ली के मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि गाने पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया, लेकिन पार्टी को केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के तहत निर्धारित विज्ञापन संहिता और प्रमाणन के लिए 24 अगस्त 2023 को जारी एक पत्र के माध्यम से प्रसारित आयोग के दिशानिर्देश/मानदंडों के अनुसार कुछ संशोधनों के साथ प्रस्ताव फिर से जमा करने के लिए कहा गया है।

दिल्ली चुनाव आयोग ने कहा कि कुछ तस्वीरें और वाक्यांश ‘अपमानजनक’ टिप्पणियां और ‘असत्यापित तथ्यों के आधार पर सत्तारूढ़ दल की आलोचना’ हैं और न्यायपालिका और पुलिस पर भी संदेह पैदा करते हैं।

आयोग ने कहा कि आवेदक को यह भी सूचित किया गया कि यदि वे समिति के निर्णय से सहमत नहीं हैं, तो वे मुख्य निर्वाचन अधिकारी, दिल्ली की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय एमसीएमसी के समक्ष दायर और अपील कर सकते हैं।इसलिए, यह अफवाह कि 'ईसीआई ने गाने पर प्रतिबंध लगा दिया है' तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है।

दिल्ली चुनाव आयोग द्वारा उठाई गई आठ आपत्तियां 

1. वाक्यांश "जेल के जवाब में हम वोट देंगे" में एक आक्रामक भीड़ को सीएम अरविंद केजरीवाल की तस्वीर पकड़े हुए दिखाया गया है, जिसमें उन्हें सलाखों के पीछे दिखाया गया है। दिल्ली सीईओ के कार्यालय में पूर्व-प्रमाणन समिति ने कहा कि यह "न्यायपालिका पर कलंक लगाता है।" आयोग ने यह भी कहा कि यह वाक्यांश विज्ञापन में कई बार दिखाई देता है जो 24 अगस्त, 2023 के ईसीआई दिशानिर्देशों के प्रावधानों और केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के तहत निर्धारित कार्यक्रम और विज्ञापन संहिता के नियम 6(1)(जी) का उल्लंघन करता है।

2. दूसरी आपत्ति यह है कि प्रदर्शनकारियों और पुलिस की झड़प दिखाने वाली क्लिप के साथ 'तानाशाही पार्टी को हम चोट देंगे' वाक्यांश "स्पष्ट रूप से हिंसा भड़काता है।"

3. 'गुंडागर्दी के खिलाफ वोट देंगे' और 'तानाशाही करने वाली पार्टी को हम चोट देंगे' जैसे वाक्यांश जेल में बंद 'आप' नेता मनीष सिसोदिया को पुलिस द्वारा ले जाते हुए दिखाने वाली क्लिप के साथ इस्तेमाल किए गए हैं, जो 'पुलिस की खराब छवि पेश करते हैं' और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठता है। 

4. समिति ने कहा कि “आवाजें खिलाफ थीं जो सबको जेल में डाल दिया, उनको ही बाहर रखा जिसने इनको माल दिया। इतना लालच, इतनी नफरत, भ्रष्टाचारी से मोहब्बत'' जैसी निंदनीय टिप्पणियां, यह "असत्यापित तथ्यों" के आधार पर सत्तारूढ़ दल की आलोचना है और न्यायपालिका पर भी आक्षेप लगाता है।

5. आयोग ने अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं की तस्वीरों के साथ उनके पार्टी चिन्ह के साथ दिखाए गए वाक्यांश "गुंडों वाली पार्टी छोड़ो" के उपयोग को "दूसरे दल और उनके नेता को संबोधित अपमानजनक टिप्पणी" के रूप में चिह्नित किया।

6. क्लिप के साथ वाक्यांश "तानाशाही पार्टी को हम चोट देंगे" जिसमें आक्रामक भीड़ को पुलिस के साथ भिड़ते दिखाया गया है, असत्यापित तथ्यों के आधार पर सत्तारूढ़ दल की आलोचना को दर्शाता है। इसमें कहा गया है कि गाने में यह वाक्यांश कई बार दोहराया गया है "जो आपत्तिजनक है।"

7. अंत में 10 सेकेंड के लिए इस्तेमाल किया गया वाक्यांश "जेल के जवाब हम वोट से देंगे" प्रस्तुत प्रतिलेख से गायब है।

8. समिति ने कहा कि वाक्यांश 'जेल का जवाब हम वोट से देंगे', 'गुंडागर्दी के खिलाफ वोट देंगे' और 'तानाशाही करने वाली पार्टी को हम चोट देंगे' दिनांक 24.08.2023 के ईसीआई दिशानिर्देशों के पैरा 2.5 (डी) के प्रावधान और केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के तहत निर्धारित कार्यक्रम और विज्ञापन कोड के नियम 6(1)(जी) के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।

समिति ने 27 अप्रैल को लिखे एक पत्र में 'आप' को 2 मिनट के गीत और वीडियो में संशोधन करने की सलाह दी है। यह स्पष्ट नहीं है कि गाना रिलीज होने के दो दिन बाद पत्र क्यों भेजा गया था। सॉन्ग को अनुमोदन के लिए दिल्ली सीईओ को कब प्रस्तुत किया गया था, इस बारे में अधिक जानकारी के लिए एचटी ने 'आप' से संपर्क किया है। 

आतिशी बोलीं- भाजपा का राजनीतिक हथियार बना चुनाव आयोग 

गौरतलब है कि, दिल्ली सरकार की मंत्री और 'आप' की वरिष्ठ नेता आतिशी ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए निर्वाचन आयोग पर ‘भाजपा का राजनीतिक हथियार’ बनने और इसके उल्लंघन पर आंखें मूंद लेने का आरोप लगाया था। उन्होंने पूछा, ‘‘क्या निर्वाचन आयोग सच्चाई को दबाना चाहता है? क्या चुनाव एजेंसी पुलिस के कदाचार या भाजपा द्वारा जांच एजेंसियों के राजनीतिक दुरुपयोग को छिपाना चाहती है?’

आतिशी ने कहा कि यह संभवत: पहली बार है कि निर्वाचन आयोग ने किसी पार्टी के कैम्पेन सॉन्ग पर बैन लगाया है।उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग के अनुसार, यह सॉन्ग सत्तारूढ़ दल और जांच एजेंसियों की छवि खराब करता है। उन्होंने कहा कि इस सॉन्ग में भाजपा का जिक्र नहीं है और यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करता। इसमें तथ्यात्मक वीडियो और घटनाएं शामिल हैं।

आतिशी ने निर्वाचन आयोग पर भाजपा द्वारा किए गए चुनाव आचार संहिता उल्लंघनों पर कार्रवाई नहीं करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा तानाशाही करे तो ठीक, लेकिन अगर कोई इसके बारे में बात करे तो वह गलत। इससे पता चलता है कि लोकतंत्र खतरे में है। मैं निर्वाचन आयोग से भाजपा द्वारा किए गए (चुनाव संहिता के) उल्लंघन को लेकर कार्रवाई करने और विपक्षी दलों के प्रचार अभियानों पर रोक नहीं लगाने का आग्रह करती हूं।

उन्होंने कहा कि सबसे दिलचस्प बात यह है कि पूरे प्रचार गीत में कहीं भी भारतीय जनता पार्टी का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन निर्वाचन आयोग का कहना है कि अगर आप तानाशाही के बारे में बात करते हैं, तो यह सत्तारूढ़ दल की आलोचना है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि आयोग खुद मानता है कि भाजपा इस देश में तानाशाही शासन चला रही है।

(भाषा के इनपुट के साथ) 

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