दिल्ली में एक और 'घोटाले' की ED जांच, 4 शहरों में ऐक्शन; दस्तावेज और नकदी जब्त
ईडी ने डीजेबी में एसटीपी घोटाले की जांच के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। ईडी ने एक बयान में कहा है कि दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा की एक एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की गई है।
ईडी ने डीजेबी में एसटीपी घोटाले की जांच के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। जांच एजेंसी ने शुक्रवार को कहा कि उसने दिल्ली जल बोर्ड के कुछ सीवेज ट्रीटमेंट के विस्तार में कथित भ्रष्टाचार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के तहत की गई तलाशी के दौरान 41 लाख रुपये नकद, आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए हैं। जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि इस मामले में 3 जुलाई को छापेमारी शुरू की गई और दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई और हैदराबाद में कई जगहों पर छापे मारे गए।
मनी लॉन्ड्रिंग की जांच यूरोटेक एनवायर्नमेंटल प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी और अन्य के खिलाफ दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) की एक एफआईआर के आधार पर शुरू की गई है। एसीबी द्वारा दर्ज एफआईआर में 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के विस्तार और नवीनीकरण के नाम पर दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले का आरोप लगाया गया है। ) कहा गया है कि
ईडी के अनुसार, एसीबी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि केवल तीन विभिन्न संयुक्त उद्यम (जेवी) कंपनियों ने चार निविदाओं में भाग लिया। ईडी के अनुसार, दो जेवी को एक-एक टेंडर मिला और एक जेवी को दो टेंडर मिले। तीनों जेवी ने चार एसटीपी टेंडरों में पारस्परिक रूप से भाग लिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक जीवी को टेंडर मिले।
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि निविदा की शर्तों को प्रतिबंधात्मक बनाने के लिए आईएफएएस प्रौद्योगिकी को अनिवार्य बना दिया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुछ चुनिंदा संस्थाएं ही इन चार बोलियों में भाग ले सकें। केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, शुरुआत में तैयार की गई लागत का अनुमान 1,546 करोड़ रुपये था, लेकिन निविदा प्रक्रिया के दौरान इसे संशोधित कर 1,943 करोड़ रुपये कर दिया गया। आरोप लगाया गया है कि तीनों जेवी को बढ़ी हुई दरों पर ठेके दिए गए, जिससे सरकारी खजाने को काफी नुकसान हुआ।
ईडी ने कहा कि उसकी जांच में पाया गया कि 1,943 करोड़ रुपये मूल्य के एसटीपी से संबंधित चार टेंडर दिल्ली जल बोर्ड द्वारा तीन जेवी को दिए गए थे। एजेंसी ने कहा कि सभी चार निविदाओं में दो जेवी ने प्रत्येक निविदा में भाग लिया और सभी तीन जेवी ने निविदाएं हासिल कीं।
सभी 3 जेवी ने निविदाएं हासिल करने के लिए ताइवान के एक प्रोजेक्ट से जारी एक ही अनुभव प्रमाण पत्र जमा किया था, जिसे बिना किसी सत्यापन के स्वीकार कर लिया गया था। तीनों संयुक्त उद्यमों ने हैदराबाद के यूरोटेक एनवायरनमेंट प्राइवेट लिमिटेड को चार निविदाओं से संबंधित कार्य का उप-अनुबंध दिया।
ईडी के अनुसार, निविदा दस्तावेजों के सत्यापन से पता चलता है कि चार निविदाओं की प्रारंभिक लागत लगभग 1,546 करोड़ रुपये थी, जिसे उचित परियोजना रिपोर्ट का पालन किए बिना संशोधित कर 1,943 करोड़ रुपये कर दिया गया।