Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Drishti IAS MD Vikas Divyakirti said No coaching institute in Delhi has fire NOC meant for educational institutions

'दिल्ली में किसी भी कोचिंग सेंटर के पास...': दृष्टि IAS के एमडी विकास दिव्यकीर्ति ने बताई एक बड़ी सच्चाई

विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि यदि भविष्य में उन्हें बेसमेंट में संस्थान चलाने की अनुमति मिल भी जाती है तो वे ऐसा नहीं करेंगे और यह भी सुनिश्चित करेंगे कि एक भी कोचिंग संस्थान बेसमेंट में न चले।

Praveen Sharma नई दिल्ली। एएनआई, Wed, 31 July 2024 01:04 AM
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दिल्ली में 3 यूपीएससी छात्रों की मौत के बाद नियमों का उल्लंघन करने वाले कोचिंग सेंटरों पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का ऐक्शन तेज हो गया है। यह दर्दनाक घटना शनिवार शाम को भारी बारिश के बाद ओल्ड राजेंद्र नगर के राउ के स्टडी सर्किल के बेसमेंट में पानी भर जाने से हुई थी। इस हादसे के बाद एमसीडी हरकत में आ गई है। एमसीडी की कार्रवाई के बीच दृष्टि आईएएस के संस्थापक और एमडी डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली में 1000 से अधिक कोचिंग सेंटर हैं, लेकिन उनमें से किसी के पास भी फायर डिपार्टमेंट की अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं है। 

इसकी जटिलताओं को समझाते हुए उन्होंने कहा कि फायर डिपार्टमेंट का तर्क है कि चूंकि बिल्डिंग कॉमर्शियल है, इसलिए एनओसी कॉमर्शियल उद्देश्यों के लिए होनी चाहिए, जबकि एमसीडी एजुकेशनल प्रमाणपत्र की मांग करती है।

एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में दिव्यकीर्ति ने कहा कि मंगलवार को उनकी दिल्ली के एलजी के साथ बैठक हुई थी। उस बैठक में कुछ छात्र भी आए थे और कई संस्थानों के मालिक भी थे। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), फायर डिपार्टमेंट और मुख्य सचिव से लेकर दिल्ली सरकार के शीर्ष अधिकारी भी मौजूद थे।

उन्होंने कहा कि जब हम फायर डिपार्टमेंट से सर्टिफिकेट मांगते हैं, तो वे हमें एमसीडी या डीडीए के माध्यम से आने के लिए कहते हैं। हमने आज बैठक में इस पर चर्चा की। फायर डिपार्टमेंट ने हमें आश्वासन दिया है कि वे एक ऐसी व्यवस्था बनाएंगे, जिसके माध्यम से हम सीधे उनसे सर्टिफिकेट ले सकेंगे। अगर हम फायर डिपार्टमेंट से सर्टिफिकेट प्राप्त भी करते हैं, तो उसमें यह उल्लेख किया जाता है कि चूंकि भवन कॉमर्शियल है, इसलिए सर्टिफिकेट भी वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए है। एमसीडी का कहना है कि उन्हें शैक्षिक एनओसी चाहिए। मेरी जानकारी के अनुसार, एक भी शैक्षणिक संस्थान के पास शैक्षिक भवन एनओसी नहीं है। केवल कॉलेज, स्कूल और विश्वविद्यालय ही इसे प्राप्त करते हैं। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि 2020 से पहले, डीडीए के अनुसार, हम एजुकेशनल कैटेगरी में नहीं थे; हम कॉमर्शियल कैटेगरी में थे। जीएसटी के अनुसार, कोचिंग संस्थान अभी भी कॉमर्शियल कैटेगरी में आते हैं।

भविष्य में कभी ऐसा नहीं करेंगे

उन्होंने कहा कि यदि भविष्य में उन्हें बेसमेंट में संस्थान चलाने की अनुमति मिल भी जाती है तो वे ऐसा नहीं करेंगे और यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि एक भी कोचिंग संस्थान बेसमेंट में न चले।

डीडीए, एमसीडी और दिल्ली फायर डिपार्टमेंट के मानदंडों में विरोधाभास की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "हमें एनओसी क्यों नहीं मिल रही है? डीडीए का मानना ​​है कि यह एमसीडी का काम है और एमसीडी कहती है कि यह डीडीए का काम है। एमसीडी ने डीडीए को कई पत्र लिखे हैं और डीडीए ने भी कई पत्रों का जवाब देते हुए यहां तक ​​कहा है कि उनके पास दस्तावेज नहीं हैं और आपको उन्हें देखना होगा। हाईकोर्ट में पिछली बैठक में डीडीए ने पहली बार कहा था कि वे एमसीडी को अधिकार दे रहे हैं और अब बुधवार को होने वाली सुनवाई में एमसीडी हमें अनुमति दे सकती है।"

उल्लेखनीय है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने अवैध रूप से संचालित प्रतिष्ठानों" पर कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय राजधानी में कई कोचिंग संस्थानों के बेसमेंट को सील कर दिया है।

उन्होंने कहा, "हम इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि बेसमेंट को सील किया जाना चाहिए, लेकिन दिल्ली मेट्रो बेसमेंट में चलती है, अंडरग्राउंड है और पालिका बाजार बेसमेंट में ही है। दिल्ली के लगभग हर मॉल के बेसमेंट में बहुत बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स हैं, क्योंकि बेसमेंट का निर्माण सही तरीके से किया गया है।"

उन्होंने इस बात पर सहमति जताते हुए कहा कि बेसमेंट में कोचिंग सेंटर नहीं चलने चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं ऑन रिकॉर्ड कह रहा हूं कि हमने बेसमेंट का पूरा लेआउट स्ट्रक्चर एमसीडी, डीडीए और फायर डिपार्टमेंट को एनओसी के लिए सौंप दिया है और अभी तक वहां से कोई अस्वीकृति नहीं आई है, लेकिन इसके बावजूद पिछले 3 दिनों में जो घटना हुई, उसे देखने के बाद मुझे लगता है कि यह लापरवाही थी। हमारे मन में कभी यह विचार नहीं आया और मैं खुले तौर पर कह रहा हूं कि अगर भविष्य में हमें अनुमति मिल भी जाती है, तो भी हम बेसमेंट में काम नहीं करेंगे। मैं आपको इस बात का भरोसा देता हूं और एक भी कोचिंग संस्थान बेसमेंट में नहीं चलना चाहिए।"

हर कोई बलि का बकरा चाहता है

कोचिंग सेंटर त्रासदी में उन्हें क्यों निशाना बनाया जा रहा है, इस बारे में पूछे जाने पर दिव्यकीर्ति ने कहा कि हर कोई 'बलि का बकरा' चाहता है क्योंकि इससे प्रशासन के लिए चीजें आसान हो जाती हैं। उन्होंने कहा, "मुझे निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि ऐसे मामलों में हर कोई बलि का बकरा चाहता है। इससे प्रशासन के लिए चीजें आसान हो जाती हैं, उन्हें लगता है कि वे सुरक्षित हैं; और यहां तक ​​कि समाज को भी लगता है कि उन्होंने आरोपी को पकड़ लिया है...छात्र भावनात्मक उथल-पुथल से गुजर रहे हैं और उनके गुस्से का कारण यह है कि मैं उनके साथ खड़ा क्यों नहीं हुआ...सीलिंग की कार्रवाई 50 से अधिक संस्थानों में हुई, जिनमें से एक हमारा भी है।

अब तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखने के बारे में बोलते हुए दृष्टि आईएएस के संस्थापक ने कहा कि यह उनका स्वभाव है और वे बहुत बात नहीं करते हैं।

दिव्यकीर्ति ने कहा कि पिछले 3 दिनों से जब भी हम घर पर बात करते हैं या मैं सोने जाता हूं तो मेरे दिमाग में एक तस्वीर उभरती है कि जब पानी अंदर भर गया था, तो उन बच्चों पर क्या गुजरी होगी... जो छात्र अभी विरोध कर रहे हैं, उन्होंने जो भी बातें कही हैं, वो सब सही हैं। अच्छा हुआ कि आज मैं 3-4 छात्रों से मिला हूं। 

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