अतिरिक्त पानी छोड़ने का अपना दावा साबित करे हिमाचल, सुप्रीम कोर्ट में अपर यमुना रिवर बोर्ड
अपर यमुना रिवर बोर्ड (यूवाईआरबी) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- हिमाचल प्रदेश को यह साबित करना चाहिए कि वह छह जून के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार दिल्ली के लिए 137 क्यूसेक पानी छोड़ रहा है...
हिमाचल प्रदेश को यह साबित करना चाहिए कि वह छह जून के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार दिल्ली के लिए 137 क्यूसेक पानी छोड़ रहा है... यह बात अपर यमुना रिवर बोर्ड (यूवाईआरबी) ने सुप्रीम कोर्ट में कही है। बोर्ड का कहना है कि वह यह अनुमान लगाने की स्थिति में नहीं है कि हिमाचल प्रदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर रहा है या नहीं। अपर यमुना रिवर बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट ने एक हलफनामा भी दाखिल किया है।
अपर यमुना रिवर बोर्ड का यह रुख ऐसे वक्त में सामने आया है जब दिल्ली जल संकट से जूझ रही है। वहीं हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि उनकी सरकार दिल्ली के हिस्से का पानी छोड़ने के लिए तैयार है। शीर्ष अदालत के समक्ष दायर हलफनामे में यूवाईआरबी ने हिमाचल प्रदेश द्वारा हरियाणा को भेजे गए एक पत्र का हवाला दिया। इसमें हिमाचल सरकार ने कहा है कि उसके हिस्से का अप्रयुक्त पानी पहले से ही हथिनीकुंड बैराज में निर्बाध रूप से बह रहा है। हरियाणा को इसे दिल्ली के लिए छोड़ना चाहिए।
अपर यमुना रिवर बोर्ड की ओर से हलफनामे में कहा गया है कि पत्र के अनुसार, 137 क्यूसेक अप्रयुक्त जल हिमाचल प्रदेश के क्षेत्र से ताजेवाला (हरियाणा में) तक पहले से ही निर्बाध रूप से बह रहा है। ऐसे में यह बात सामने आती है कि क्या हिमाचल प्रदेश सुप्रीम कोर्ट के छह जून के आदेश के अनुरूप कोई अतिरिक्त पानी नहीं छोड़ रहा है, जिसे यूवाईआरबी द्वारा मापा जा सके।
अधिवक्ता ब्रजेश कुमार के जरिये दायर हलफनामे में कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश के पास कोई भंडारण नहीं है, जहां से वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में 137 क्यूसेक अतिरिक्त जल छोड़ सके और इसलिए हिमाचल द्वारा दिल्ली के लिए छोड़े गए अतिरिक्त पानी का पता केवल दो पद्धतियों से लगाया जा सकता है, जिसका जिक्र हरियाणा ने भी किया है।
हलफनामे में कहा गया है कि हथनीकुंड बैराज में पानी कितना आ रहा है इसकी केवल अप्रत्यक्ष माप हो सकती है। हथिनीकुंड बैराज में जल प्राप्ति की सीधा माप प्राकृतिक प्रवाह में उतार-चढ़ाव और उत्तराखंड पनबिजली परियोजनाओं से होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण संभव नहीं है। हलफनामा दिल्ली सरकार की एक याचिका के जवाब में दायर किया गया था। इस याचिका में हरियाणा को दिल्ली को पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ने का निर्देश देने की मांग की गई थी, ताकि जलसंकट दूर किया जा सके।