दिल्ली में फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट समेत 4 गिरफ्तार
आरोपी नरेंद्र पाल सिंह अपने साथियों के साथ मिलकर अभी तक सैंकड़ों अवैध जाति प्रमाण पत्र बना चुका है। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस टीम ने उनके पास से बड़ी संख्या में जाली प्रमाणपत्र बरामद किए हैं।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने फर्जी तरीके से जाति प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इसके साथ ही सैकड़ों अवैध जाति प्रमाण पत्र भी बरामद किए हैं। पुलिस ने इस मामले में दिल्ली कैंट के कार्यकारी मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) और उसके चार सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया है।
आरोपी वारिस अली, सौरभ गुप्ता, नरेंद्र पाल सिंह और चेतन यादव अपना गिरोह चला रहे थे। आरोपी नरेंद्र पाल सिंह को 1991 में सीजी केस के रूप में एलडीसी नियुक्त किया गया था। मार्च, 2023 में उसे पदोन्नत कर दिल्ली कैंट स्थित राजस्व विभाग में तहसीलदार/कार्यकारी मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्त किया गया था।
आरोपी नरेंद्र अपने साथियों के साथ मिलकर अभी तक सैंकड़ों अवैध जाति प्रमाण पत्र बना चुका है। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस टीम ने उनके पास से बड़ी संख्या में जाली प्रमाण पत्र बरामद किए हैं। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने गैर-आरक्षित श्रेणियों के आवेदकों से 3000 से 3500 रुपये लेकर जाति प्रमाण पत्र बनाए हैं। पुलिस आरोपियों के मोबाइल फोन और लैपटॉप को कब्जे में लेकर जांच कर रही है।
डीसीपी राकेश पावरिया ने बताया कि अपराध शाखा सेंट्रल रेंज के इंस्पेक्टर सुनील कुमार की टीम को फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने के बारे में सूचना मिली थी। टीम ने मामले को पुख्ता करने के लिए दो लोगों को अलग-अलग समय पर फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भेजा। दोनों लोगों ने सौरभ गुप्ता को पैसे देकर ओबीसी का फर्जी प्रमाण पत्र बनवा लिया। दोनों फर्जी आवेदकों ने कथित व्यक्ति के खाते में ऑनलाइन माध्यम से भुगतान किया था। यह फर्जी प्रमाण पत्र दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड किए गए थे। पुलिस ने आरोपी सौरभ गुप्ता को 9 मई की शाम संगम विहार स्थित उसके घर पर गिरफ्तार किया है।
मोबाइल से खुले राज : पुलिस ने सौरभ से पूछताछ की और उसके मोबाइल को जब्त कर जांच शुरू की। मोबाइल के डेटा की जांच करने पर पुलिस को फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने वाले आवेदकों के साथ हुई चैट बरामद हुई। इसके अलावा उसके मोबाइल फोन से कई दस्तावेजों के स्नैपशॉट और पीडीएफ फाइल भी मिलीं हैं। सौरभ से पूछताछ के बाद पुलिस दिल्ली कैंट स्थित राजस्व विभाग, कार्यकारी मजिस्ट्रेट के कार्यालय तक पहुंच गई। जांच में सामने आया कि इसी कार्यालय से फर्जी ओबीसी प्रमाण पत्र जारी किए थे। पुलिस ने ऑफिस में काम करने वाले चेतन यादव को गिरफ्तार किया गया। चेतन ठेकेदार के माध्यम से यहां नौकरी पर रखा गया था। चेतन से पूछताछ के बाद वारिस अली को गिरफ्तार किया गया। वारिस अली कार्यकारी मजिस्ट्रेट नरेंद्र पाल सिंह की गाड़ी चलाता है। तीनों आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने गिरोह में शामिल कार्यकारी मजिस्ट्रेट नरेंद्र पाल सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया।
ऐसे होता था फर्जीवाड़ा
पूछताछ के दौरान आरोपी सौरभ गुप्ता ने खुलासा किया कि जनवरी, 2024 में वह एक चेतन यादव के संपर्क में आया, जो पहले एक ठेकेदार के माध्यम से तहसीलदार, दिल्ली कैंट के कार्यालय में दिल्ली सरकार के हेल्पलाइन नंबर 1076 सेवा प्रदाता के रूप में काम कर रहा था। वारिस अली नरेंद्र पाल सिंह (कार्यकारी मजिस्ट्रेट) का चालक था। उसी ने फर्जी प्रमाण पत्र जारी करके पैसे कमाने की योजना बनाई थी। वह उम्मीदवार की ओर से प्रमाण पत्र जारी करने के लिए राजस्व विभाग की वेबसाइट पर आवेदन करता था और अपने नकली दस्तावेज जैसे कि निवास प्रमाण पत्र, रिश्तेदार के परिवार के किसी अन्य सदस्य का जाति प्रमाण पत्र और पहचान दस्तावेज अपलोड करता था। इसके बाद वह आवेदक की डिटेल और आवेदन संख्या आदि चेतन यादव को शेयर करता था और ऐसे प्रत्येक मामले के बदले में पैसे भी ट्रांसफर करता था।