एमपी के 'बैंड बाजा बारात' नाम के शादी चोर गिरोह का भंडाफोड़, दिल्ली पुलिस ने बताया- कैसे उड़ाते थे गहने
दिल्ली पुलिस ने मध्य प्रदेश के एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो शादी समारोहों से गहने और नकदी वाले बैग उड़ाने का काम करता था। जानें कैसे 'बैंड बाजा बारात' नाम का यह गिरोह करता था चोरियां...
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मध्य प्रदेश के शादी चोरों के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने एक किशोर समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि 'बैंड बाजा बारात' नाम का चोरों का यह गिरोह मेट्रो शहरों में विवाह स्थलों से शगुन, गहने और नकदी वाले बैग उड़ाने का काम करता था। डीसीपी क्राइम राजेश देव ने कहा कि इस गिरोह का पर्दाफाश कर पुलिस ने दिल्ली, फरीदाबाद और गाजियाबाद में विवाह स्थलों पर हुई चोरियों के कम से कम सात मामलों को सुलझा लिया है। जांच टीम ने शादी समारोहों के वीडियो फुटेज के आधार पर गिरोह का भंडाफोड़ किया।
दिल्ली पुलिस की जांच टीम ने उन बैंक्वेट हॉल, फार्महाउस आदि पर मुखबिरों को तैनात किया, जहां शादी समारोह आयोजित किए गए थे। इन शादी समारोह के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर एक किशोर समेत तीन संदिग्धों की पहचान की गई। वीडियो फुटेज से पुलिस को पता चला कि चोरी करने से पहले संदिग्धों ने आयोजन स्थलों पर काफी वक्त बिताया। आरोपियों ने खुद को मेहमानों से परिचित कराया और कभी भी जल्दबाजी में वारदात को अंजाम नहीं दिया। गिरोह के सदस्य शादी समारोह में रात का भोजन करते और उचित समय देखकर मौके से गहने और नकदी उड़ा देते।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरोह के सदस्य शादी समारोहों में शामिल होने के लिए अच्छे कपड़ों में दाखिल होते। शिकायते मिलने पर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने अपराधियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी। टीम ने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के जरिए दोषियों की पहचान करने की भी कोशिश की। आखिरकार गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस टीम ने एक गुप्त सूचना के आधार पर छापा मारा और एक किशोर समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी दिल्ली छोड़कर मध्य प्रदेश भागने की तैयारी कर रहे थे।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह गिरोह मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले से संचालित होता था। आरोपी मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के ग्राम गुलखेड़ी, कदिया के रहने वाले हैं। पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि शादियों के मौसम में वे मेट्रो शहरों का दौरा करते थे। गिरोह के सरगना ने खुलासा किया कि वह 9 से 15 साल की उम्र के बच्चों के माता-पिता को प्रति वर्ष एक निश्चित राशि का लालच देकर फंसाते थे। इन बच्चों को चोरी के लिए रखा जाता था। बच्चों को एक महीने तक शादियों में चोरी करने और आयोजन स्थलों पर लोगों से घुलने-मिलने की खास ट्रेनिंग दी जाती थी।
गिरोह के सरगना ने पूछताछ में पुलिस को यह भी बताया कि बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाया जाता था ताकि वे पकड़े जाने की स्थिति में अपनी या गिरोह के सदस्य की पहचान न उजागर कर सकें। बच्चों को समारोह में भाग लेने के लिए सुंदर कपड़े पहनने के साथ अन्य कई तरह की ट्रेनिंग दी जाती थी। गिरोह के सरगना का कहना था कि गिरोह बच्चों को अपने बच्चे की तरह उचित देखभाल करता है। यही नहीं इन बच्चों के असल माता-पिता को नियमित रूप से बच्चों की खैरियत के बारे में सूचित किया जाता है।