चाइल्ड पोर्नोग्राफी के बहाने ठगी, अमेरिकी नागरिकों से ठगे 20 मिलियन; पुलिस और FBI के ऑपरेशन में कई खुलासे
पुलिस के विशेष सेल के स्पेशल कमिश्नर ने कहा कि यह सच है कि कई लोग इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी सर्च करते हैं। लोग डार्क नेट का इस्तेमाल ऐसे लोगों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए करते थे।
दिल्ली पुलिस ने एक कॉल सेंटर चलाने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया है। देश से चलने वाले इस गैंग के सदस्यों ने अमेरिका के नागरिकों से 20 मिलियन डॉलर की ठगी की है। इस कॉल सेंटर के लोग खुद को यूएस ड्रग्स एनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (DEA) का शीर्ष अधिकारी बताते थे। इस मामले में दिल्ली पुलिस और अमेरिकी की सबसे अहम जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI)ने मिलकर कुल 6 लोगों को पकड़ा है। पकड़े गये लोगों में से 4 भारतीय और एक आरोपी युगांडा और एक कनाडा का है। जिन चार लोगों को पकड़ा गया है उनकी पहचान वत्सल मेहता, पार्थ अर्माकर, दीपक अरोड़़ा और प्रशांत कुमार के तौर पर हुई है। पुलिस के मुताबिक, मेहता इस रैकेट का मास्टरमाइंड है और अर्माकर युगांडा और भारत में कॉल सेंटर चलाता है।
दिल्ली पुलिस के विशेष सेल के स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस, एचसीएस धालीवाल ने बताया कि एफबीआई ने हमें पार्थ अर्माकर के बारे में सूचना दी थी। पार्थ मूल रूप से गुजरात का रहने वाला है लेकिन वो युगांडा में लंबे समय से रह रहा था। युगांडा में वो कॉल सेंटर चलाता था। यूएस के डीईए में एक वरिष्ठ उत्तम ढिल्लन कार्यरत थे। अर्माकर खुद को उत्तम ढिल्लन बताया था और अपने शिकार फंसाता था।
पुलिस अफसर ने बताया कि ज्यादा केसों में कॉल करने वाला खुद को डीईए का अधिकारी उत्तम ढिल्लन बताता था। वो अपने शिकार से कहता था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े सामान यूएस-मैक्सिको सीमा पर जब्त किये गये हैं। वो पीड़ितों को बताता था कि जांच-पड़ताल के दौरान उसे उनका नाम और नंबर इन सामानों से मिला है और अगर उन्होंने पैसे नहीं दिये तो वो उनपर केस दर्ज करेगा।
सावधानी से चुनते थे शिकार
पुलिस अफसर ने बताया कि इस गैंग के सदस्य बेहद ही सावधानीपूर्वक अपने शिकार का चयन करते थे। वो पैसे वाले लोगों को टारगेट करते थे तो कानूनी एजेंसियों के पास रिपोर्ट करने नहीं जाते थे। वरिष्ठ पुलिस अफसर ने बताया कि शुरुआत में उन्हें लगा कि अर्माकर ही इस गैंग का मुखिया है लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि मेहता इस रैकेट को चला रहा था। एजेंसियों के संयुक्त ऑपरेशन के बाद मेहता, अर्माकर और उनके दो प्रमुख सहयोगियों को पकड़ लिया गया।
भारत में टारगेट को किया था फोन
यह गैंग मुख्य रूप से युगांडा के बाहर काम करता था। हालांकि, हाल ही में अर्माकर ने भारत में अपने एक शिकार को टारगेट कर फोन किया उनसे पैसों के बदले सोने की मांग की। पुलिस अफसर ने बताया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि इनका शिकार यूएस के किस राज्य का था वो ये सुनिश्चित करते थे कि उनसे वसूली की रकम मिल जाए।
50 पीड़ितों के बारे में मिली जानकारी
एफबीआई की तरफ से कहा गया है कि अब तक की जानकारी के मुताबिक 50 पीड़ितों के बारे में पता चला है। इस गैंग के सदस्यों ने अपने रैकेट के जरिए इनसे 20 मिलियन डॉलर ऐंठे हैं। अफसर ने कहा कि यह कोई स्कैम नहीं है कि किसी ने सॉप्टवेयर से धोखाधड़ी कर 200-300 डॉलर ठग लिये। यहां ये लोग अपने हर शिकार से 1 लाख डॉलर से ज्यादा की रकम लेने का लक्ष्य रखते थे। ये अपने शिकार का सोशल मीडिया अकाउंट चेक करते थे और फिर उनका प्रोफाइल बनाते थे।
धालीवाल ने कहा कि अभी और भी पीड़िता सामने आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह सच है कि कई लोग इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी सर्च करते हैं। लोग डार्क नेट का इस्तेमाल ऐसे लोगों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए करते थे। इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी सर्च करने वालों को ऐसा लगता था कि वो पुलिस की निगाह में आ गए हैं और कानूनी पचड़ों से बचने के लिए वो पैसे ट्रांसफर कर देते थे।