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100KM तक पीछा, मंदिर-मस्जिद से अनाउंसमेंट; UP से 7 साल के बच्चे को दिल्ली पुलिस ने कैसे किया रेस्क्यू

दिल्ली पुलिस ने 100 किलोमीटर तक आरोपी का पीछा करके उसके चंगुल से सात साल के मासूम को सकुशल बरामद करके परिवार के हवाले कर दिया। बच्चे का अपहरण करने वाला पड़ोसी गिरफ्तार हो गया है।

Sneha Baluni लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 20 March 2024 08:31 AM
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दिल्ली के दयालपुर थाना पुलिस ने 13 मार्च को फिरौती के लिए नेहरू नगर इलाके से अपहृत बच्चे को सकुशल उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से मुक्त करा लिया है। आरोपी 46 वर्षीय वीरेश उर्फ वीरु को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस उपायुक्त जॉय टिर्की ने बताया 13 मार्च को दयालपुर थाने को सात वर्षीय बच्चे के अगवा होने की सूचना मिली थी। पुलिस ने उसकी जानकारी जुटाई तो उसकी अंतिम लोकेशन बुलंदशहर जिले में गंगा किनारे मिली। वहां लोगों ने बच्चे की तस्वीर को पहचान लिया और उसकी लोकेशन राजघाट गांव के पास पता चली। संदिग्ध आरोपी अपहृत बच्चे के साथ रेलवे स्टेशन के पास छिपा हुआ था। इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।

दिल्ली पुलिस के करीब 24 पुलिसकर्मियों की एक टीम ने अपहरणकर्ता का पता लगाया। इसके लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाले, खेतों, मंदिरों और ढाबों में डेरा डाला, स्थानीय मुखबिरों से जानकारी निकाली और घर-घर जाकर तलाशी ली। आखिरकार रविवार को बुलंदशहर और संभल रेलवे स्टेशन के बीच से आरोपी को पकड़ लिया गया। पांच दिनों तक दिल्ली पुलिस पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 100 किमी तक सात साल के बच्चे और उसके अपहरणकर्ता को ढूंढती रही। आरोपी बच्चे का पड़ोसी निकला। पुलिस ने मासूम को सकुशल बरामद करके उसके माता-पिता को सौंप दिया।

निजी रंजिश के लिए अपहरण

46 साल के आरोपी वीरेश उर्फ वीरू ने परिवार के साथ पुरानी रंजिश का हिसाब चुकाने और पैसे ऐंठने के लिए 13 मार्च को मासूम का अपहरण किया था। वह लड़के को बहला-फुसलाकर संभल ले गया और उसके माता-पिता को फिरौती के लिए फोन किया। जब पुलिस उसका पीछा कर रही थी, तो वीरेश ने उसे स्थानीय रेलवे स्टेशन राजगढ़ ले जाने से पहले डुबाकर मारने की कोशिश की, ताकि वह दूसरे राज्य भाग सके लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया। उस पर फिरौती के लिए अपहरण और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है।

सूचना मिलते ही एक्शन में आई पुलिस

बच्चे के लापता होने के कुछ घंटों के अंदर पुलिस को इसकी जानकारी मिली। जिसके बाद दयालपुर एसएचओ अतुल त्यागी के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम कार्रवाई में जुट गई। सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण करने और तकनीकी निगरानी के दौरान, पुलिस ने संदिग्ध की पहचान कर ली। वीरेश की आखिरी लोकेशन संभल के एक मंदिर में पाई गई और जल्द ही पुलिस की टीम उसकी तलाश में जुट गई। स्थानीय लोगों को अपहरणकर्ता की फोटो दिखाई गई लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इसके बाद पुलिस टीम ने संभल में धर्मशालाओं और विभिन्न मंदिरों को स्कैन किया। मस्जिदों और मंदिरों में भी बच्चे को लेकर एनाउंसमेंट कराई गईं। बाद में उन्हें बच्चे के राजगढ़ में होने की जानकारी मिली। टीम गांव पहुंची और सरपंच से संपर्क किया। उन्होंने ग्रामीणों के साथ मिलकर घर-घर की तलाशी ली। गुप्त जानकारी के आधार पर वीरेश को स्थानीय रेलवे स्टेशन से बच्चे के साथ पकड़ लिया।

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