दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण में एक साल की देरी होना तय, ये हैं विलंब के 3 प्रमुख कारण
दिल्ली मेट्रो के सबसे बड़े कॉरिडोर 58 किलोमीटर लंबी पिंक लाइन (शिव विहार से मजलिस पार्क) को रिंग लाइन मेट्रो में बदलने में करीब एक साल की देरी होगी। मेट्रो फेज चार के तहत बन रहे मौजपुर से मजलिस पार्क...
दिल्ली मेट्रो के सबसे बड़े कॉरिडोर 58 किलोमीटर लंबी पिंक लाइन (शिव विहार से मजलिस पार्क) को रिंग लाइन मेट्रो में बदलने में करीब एक साल की देरी होगी। मेट्रो फेज चार के तहत बन रहे मौजपुर से मजलिस पार्क कॉरिडोर, जिसके बनने से यह रिंग मेट्रो बनेगी, उसका काम अब दिसंबर 2022 के बजा/ अक्टूबर 2023 तक पूरा होगा। मेट्रो फेज चार के तीनों कॉरिडोर पर कोविड की मार पहले से ही है, लेकिन उसके बाद पर्यावरणीय मंजूरी और इंजीनियरिंग चुनौतियों के चलते इसमें एक साल की देरी तय है।
मेट्रो फेज चार के तहत 65.10 किलोमीटर के तीन कॉरिडोर बन रहे हैं। इनमें से दो कॉरिडोर जनकपुरी पश्चिम से आरके आश्रम और तुगलकाबाद से एरोसिटी पर पहले ही वन क्षेत्र और रिज एरिया से गुजरने के चलते मुश्किल थी। अब मौजपुर से मजलिस पार्क कॉरिडोर पर भी पेड़ों की कटाई की मंजूरी के साथ इंटिग्रेटिड फ्लाईओवर कम मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण के चलते देरी तय है।
मेट्रो का कहना है कि हमारी कोशिश थी कि हम मौजपुर से मजलिस पार्क कॉरिडोर को 2022 में पूरा कर लेंगे। इसके बाद दिल्ली को रिंग मेट्रो मिलने के साथ-साथ दुनिया के 400 किलोमीटर लंबे नेटवर्क वाले कॉरिडोर में शामिल होंगे, लेकिन अब यह 2023 में ही पूरा होगा।
इन कारणों के चलते हो सकती है देरी
मौजपुर से मजलिस पार्क : 12.55 किलोमीटर के मौजपुर-मजलिस पार्क कॉरिडोर दो दिसंबर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। पेड़ों को काटने की मंजूरी में हो रही देरी और कुछ इंजीनियरिंग चुनौतियों से देरी तय है। अब पूरा होने का लक्ष्य अक्टूबर 2023 रखा गया है।
जनकपुरी पश्चिम से आरके आश्रम : 28.9 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर की मुश्किल विकासपुरी से पीरागढ़ी के बीच होने वाले निर्माण वाली जगह का वन क्षेत्र घोषित होना है। यहां निर्माण रुक गया है। इस संबंध में अंतिम मंजूरी सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी लेगी।
तुगलकाबाद-एरोसिटी कॉरिडोर : तुगलकाबाद से एरोसिटी के 20.8 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर का 5.2 किलोमीटर नेटवर्क रिज एरिया से होकर गुजरता है। इसके चलते कुतुबमीनार क्षेत्र से होकर गुजर रहे 3.2 किलोमीटर के हिस्से का अलाइनमेंट बदलना पड़ा। मेट्रो ने इस कॉरिडोर के लिए डिपो की योजना भी रद्द कर दी है। इसे पूरा करने का लक्ष्य मार्च 2025 रखा गया है।