दिल्ली की तपिश अब डराने लगी, हीटस्ट्रोक से दूसरी मौत; अस्पातल में 28 घंटे तक लड़ी जिंदगी की जंग
Delhi Heatstroke Second Death: दिल्ली की तपती गर्मी अब डराने लगी है। हीटस्ट्रोक से 55 साल के शख्स की मौत हो गई है। मृतक को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था उसपर इलाज का असर नहीं पड़ा।
दिल्ली में भीषण गर्मी और लू से हाहाकार मचा हुआ है। बढ़ता पारा अब लोगों की जान भी लेने लगा है। गुरुवार को दिल्ली में हीट स्ट्रोक से 40 साल के एक फैक्ट्री मजदूर की मौत हो गई थी। अब एक दिन बाद शनिवार को 55 साल के शख्स की सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई है। अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में भर्ती होने के 28 घंटे बाद उसकी मृत्यु हो गई। डॉक्टर्स ने बताया कि हीट स्ट्रोक क्लिनिक में इलाज के बावजूद उनकी हालत में कोई सुधार नहीं आया।
सफदरजंग अस्पताल के नए आपातकालीन ब्लॉक की ऑफिसर इंचार्ज डॉ. चारू बांबा के अनुसार, शुक्रवार को अस्पताल के हीट स्ट्रोक क्लिनिक में पांच मरीज भर्ती हुए। उन्होंने कहा, 'अभी तक हमारे पास हीट स्ट्रोक के 11 केस आए हैं, जिनमें से एक मरीज की मौत हो गई।' बता दें कि शुक्रवार को लगातार छठे दिन दिल्ली में लू की स्थिति बनी रही और अधिकतम तापमान 45.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से छह डिग्री अधिक है।
डॉक्टर्स का कहना है कि हीट स्ट्रोक तब होता है, जब शरीर अपने बढ़ते तापमान को कंट्रोल नहीं कर पाता और शरीर को ठंडा रखने में मदद करने वाला पसीना निकालने वाला मैकेनिज्म (तंत्र) काम करना बंद कर देता है। गर्मी से होने वाली बीमारियों की आशंका के मद्देनजर, सफदरजंग अस्पताल ने आपातकालीन रूम में दो बेड, आपातकालीन मेडिसिन वार्ड ए में पांच बेड और मेडिसिन वार्ड नंबर 16 में छह बेड तैयार किए हैं। इसे लेकर अस्पताल प्रबंधन ने प्रोटोकॉल और गर्मी से होने वाली बीमारी के लक्षणों को लेकर बैनर भी लगाए हैं।
सफदरजंग अस्पताल की पीआरओ पूनम ढांडा ने कहा कि अस्पताल में पर्याप्त संख्या में आइस पैक के साथ-साथ ओआरएस और आईवी फ्लूइड मौजूद हैं। उन्होंने कहा, 'हमने डॉक्टर्स, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ को गर्मी से होने वाली बीमारियों से निपटने के तरीके के बारे में प्रशिक्षित और जागरूक किया है। हमारे पास पर्याप्त पेयजल सुविधा है... एक कूलिंग मैकेनिज्म भी है जिसमें सेंट्रलाइज्ड एसी सुविधा, पेडेस्टल पंखे और गार्डन होज स्प्रे शामिल हैं। सबसे अच्छी विधि वाष्पीकरण (इवैपोरेटिव) कूलिंग है।'
पहला मरीज पाइपलाइन फिटिंग बनाने वाली एक फैक्ट्री में काम करता था। वह बिना कूलर या पंखे वाले कमरे में रह रहा था और उसे बहुत तेज बुखार हो गया। उसका इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने कहा, 'उसके शरीर का तापमान 107 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर चला गया।' मृतक बिहार का निवासी था और पिछले पांच सालों से दिल्ली में काम कर रहा था।