Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Delhi government increases number of beds for Covid patients at hospitals amid rise in cases

दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सरकार ने अस्पतालों में बढ़ाई बेड की संख्या 

दिल्ली में लगातार बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने दो केविड अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ा दी है। दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में 2000 बिस्तर हैं।

Shivendra Singh पीटीआई, नई दिल्लीMon, 2 May 2022 04:19 PM
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कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली सरकार ने अपने दो केंद्रों में कोविड मरीजों के लिए बिस्तरों की संख्या बढ़ा दी है जिनमें से एलएनजेपी अस्पताल में 80 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। लोक नायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल कोविड-19 महामारी के खिलाफ सरकार की लड़ाई का मुख्य केंद्र है। 2020 की शुरुआत में यहां महामारी फैलने के बाद यह पहला अस्पताल था जिसे कोविड-19  उपचार केंद्र घोषित किया गया था।

दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 1,485 नए मामले सामने आए और संक्रमण दर 4.89 प्रतिशत दर्ज की गई। नए मामलों के साथ ही दिल्ली में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 18,84,560  हो गई तथा महामारी से मरने वालों की संख्या 26,175 है। वर्तमान में दिल्ली में कोरोना के 154 मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं तथा 4,358 लोग होम आइसोलेशन में हैं।

दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग द्वारा 25 अप्रैल को जारी किए गए एक आदेश के अनुसार, एलएनजेपी अस्पताल में कोविड मरीजों के लिए बिस्तरों की संख्या पहले के 250  बिस्तरों से बढ़ाकर अब 450 कर दी गई है, जबकि गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) कोविड रोगियों के लिए बिस्तरों की संख्या पहले के 100 से बढ़ाकर 178 कर दी गई है। वहीं, गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल में बिस्तरों की संख्या में लगभग 300 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। पहले इस अस्पताल में कोविड रोगियों के लिए बिस्तरों की संख्या 100  थी जो अब बढ़ाकर 400 कर दी गई है। अस्पताल में आईसीयू में बिस्तरों की संख्या पहले शून्य थी, लेकिन अब यह 50 कर दी गई है।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने पिछले हफ्ते कहा था कि राजधानी में कोरोना के मामले बढ़े हैं, लेकिन स्थिति गंभीर नहीं है। अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की दर कम है। उन्होंने अस्पताल में भर्ती होने की कम दर के लिए टीकाकरण और स्वाभाविक रूप से अर्जित प्रतिरक्षा को जिम्मेदार ठहराया था।

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