दिल्ली लॉकडाउन : कैब के पहिए थमे, घर चलाने के लिए पेशा बदलने की सोच रहे चालक
राजधानी दिल्ली में तीन मई तक लॉकडाउन बढ़ने के बाद कैब चालकों की परेशानी बढ़ गई है। पहले से बुकिंग कम होने के चलते आर्थिक तंगी से गुजर रहे कैब चालक की हालत अब और खस्ता हो गई है। काम नहीं मिलने से चालक...
राजधानी दिल्ली में तीन मई तक लॉकडाउन बढ़ने के बाद कैब चालकों की परेशानी बढ़ गई है। पहले से बुकिंग कम होने के चलते आर्थिक तंगी से गुजर रहे कैब चालक की हालत अब और खस्ता हो गई है। काम नहीं मिलने से चालक पेशा बदलने के कगार पर पहुंच गए हैं। चालकों ने बताया कि कैब की किस्त देने, ईंधन भरवाने तक के पैसे नहीं हैं। घर का खर्च चलाने के लिए अब कुछ न कुछ दूसरा काम करना पड़ेगा।
मैं परिवार में अकेला कमाने वाला पर काम नहीं है
लोधी कॉलोनी में रहने वाले कमलजीत गिल के परिवार में मां, पत्नी, दो बच्चे और दो छोटे भाई व बहन हैं। कमलजीत बताते हैं कि वह घर में अकेले कमाने वाले हैं, लेकिन अब उनके पास भी काम नहीं है। कमलजीत बताते हैं कि कमाई खत्म हो गई है जबकि रोजमर्रा का खर्च पहले की तरह बना हुआ है। कैब की किस्त देनी है। सालाना रोड टैक्स समेत कई खर्च हैं जिन्हें टाला नहीं जा सकता। बच्चों की फीस, मां की दवा, यह सब कहां से लाऊं। ऐसा भी नहीं है कि हालात तुरंत सुधर जाएंगे। ऐसे में काम बदलने के अलावा उन्हें रास्ता नहीं सूझ रहा है। परिजन भी चिंतित रहते हैं। सभी जगह नकारात्मक माहौल बना हुआ है। प्रशासन को चाहिए कि हमारी सुध ले।
कई दिनों तक एक भी सवारी नहीं मिल रही
बदरपुर निवासी राज कर्दम के मुताबिक, पिछले साल पहली बार लॉकडाउन लगा तब काम आधा हो गया था, जिसके बाद कंपनियों ने कमीशन घटा दिया। अभी ये हालात हैं कि कैब की किस्त भरने तक के पैसे नहीं हैं। इस लॉकडाउन में कई-कई दिनों तक एक भी सवारी नहीं मिल रही। राज कर्दम बताते हैं कि घर का खर्च तो दूर कैब में ईंधन तक डलवाने के रुपये नहीं कमा पा रहे हैं, क्योंकि कई बार कैब दिनभर खाली सड़क पर घूमकर लौट आ रही है मगर कोई सवारी नहीं मिल रही। बावजूद कैब का नियमित सेनेटाइजेशन करना पड़ रहा है। राज कर्दम के अनुसार, गाड़ी को सीएनजी पर करने से पहले पेट्रोल पर शार्ट करनी पड़ती है। कैब की मेंटेनेंस का खर्च नहीं रुका है। वर्षों इस पेशे में बिताने के बाद अब इससे आमदनी का रास्ता बंद हो गया है। कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा। जिंदगी और बच्चों के भविष्य की चिंता हो रही है।
प्रमुख समस्याएं
1. कॉल सेंटर, दफ्तर बंद होने से सवारियां नहीं मिल रहीं
2. कैब की किस्त, राज्य सरकारों को देने वाले टैक्स बरकरार हैं
3. कंपनियों ने चालकों का कमीशन घटा दिया है
4. एयरपोर्ट व बॉर्डरों पर हर बार निकलने पर टोल टैक्स देना है जबकि आमदनी घटी है
5. ईंधन के दाम बढ़ गए, सरकार से कोई आर्थिक मदद नहीं मिल रही
लोन पर ब्याज माफ हो
कैब चालकों के मुताबिक, जब उनके पास काम नहीं हैं तो जिन कंपनियों में वे पंजीकृत हैं, उन्हें हर माह कम से कम 7500 रुपये का कोरोना भत्ता देना चाहिए ताकि घर चल सके। चालकों का कहना है कि कंपनियां उनसे 25 से 30 फीसदी कमीशन लेती हैं, जिसे घटाकर पांच फीसदी किया जाए। लोन की किस्त पर ब्याज दर माफ की जाए।