Delhi AIIMS : दिल्ली एम्स में बदलेगा इलाज का तरीका, नई रेफरल नीति से ऐसे मरीजों पर होगा असर
दिल्ली एम्स देशभर के अन्य एम्स के साथ मरीजों की रेफर नीति पर काम कर रहा है। इसके तहत दूसरे राज्यों से आने वाले मरीजों को दिल्ली एम्स में डॉक्टर के परामर्श के लिए अपने नजदीकी एम्स रेफर लिखवाना होगा।
दिल्ली एम्स में जल्द ही दूसरे राज्यों से आने वाले मरीजों के इलाज का तरीका बदल सकता है। दिल्ली एम्स मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए देशभर में मौजूद अन्य एम्स के साथ रेफर नीति बनाने पर काम कर रहा है। इसके तहत दूसरे राज्यों से आने वाले मरीजों को दिल्ली एम्स में डॉक्टरों से इलाज और परामर्श के लिए अपने नजदीकी एम्स से रेफर लिखवाना होगा। इसके बाद ही उनका इलाज दिल्ली एम्स में किया जाएगा।
एम्स के अधिकारियों ने रेफर नीति बनाने पर शुक्रवार को चर्चा की है। इसमें तय हुआ कि दूसरे राज्यों में काम करने वाले डॉक्टर रेफर मॉड्यूल के जरिये दिल्ली एम्स के डॉक्टरों के साथ मरीज की रिपोर्ट साझा करेंगे। अगर दिल्ली एम्स के डॉक्टरों को लगता है कि मरीज को उनके अस्पताल में भेजने की जरूरत है तो वे उसे रेफर नीति के जरिये बुला सकेंगे।
जल्द लागू होने की उम्मीद : साथ ही मरीज के स्थिर होने पर बीमारी के फॉलोअप के लिए उसे उसी के राज्य के एम्स में वापस भेज दिया जाएगा। इसके लिए एक डैशबर्ड भी तैयार किया जाएगा, जहां सभी एम्स के डॉक्टर आपस में खाली बेड्स की जानकारी साझा करेंगे। एम्स के सूत्रों का कहना है कि रेफर नीति बनाने के लिए तैयारी पूरी हो चुकी हैं। बहुत जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा।
30 से 40 फीसदी मरीज आते हैं अन्य राज्यों से : दिल्ली एम्स की ओपीडी में हर रोज 15 हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसके अलावा इमरजेंसी में भी प्रतिदिन 1200 लोग इलाज के लिए आते हैं। वहीं, प्रतिदिन 900 से अधिक मरीज भर्ती किए जाते हैं। इससे अन्य मरीजों को इलाज और जांच की लंबी तारीखें देनी पड़ती हैं। वहीं, दिल्ली एम्स में आने वाले 30 से 40 फीसदी मरीज उन राज्यों से आते हैं जहां पहले से ही एम्स मौजूद हैं। कई ऐसी बीमारियां हैं, जिन्हें वहीं पर इलाज कर ठीक किया जा सकता है, उनके लिए भी मरीज राजधानी का रुख करते हैं।
अस्पतालों में भटकने को मजबूर मरीज
दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों को परेशानी से बचाने के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रेफर करने की बेहतर नीति बनाने के लिए एम्स के निदेशक ने डेढ़ साल पहले राजधानी के 14 सरकारी अस्पतालों के प्रमुखों को बैठक के लिए बुलाया था। इसका मकसद सरकारी अस्पतालों के बीच बेहतर समन्वय बनाकर एक रेफरल सिस्टम विकसित करना था, लेकिन अभी भी सही रेफर नीति न होने की वजह से मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पतालों में भटकने को मजबूर हैं। एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई बार दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के सामने इसे लागू करने की अपील की है, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।