एम्स का चमत्कार, बर्फ की 80 मीटर गहरी खाई में 72 घंटे दबे पर्वतारोही की बचाई जान
एम्स ने एकबार फिर यह साबित कर दिया है कि दिल्ली एम्स देश का सबसे बड़ा और सर्वश्रेष्ठ अस्पताल है। एम्स के डॉक्टरों ने बर्फ की 80 मीटर गहरी खाई में 72 घंटे दबे पर्वतारोही की बचाई जान बचाई है।
दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने एकबार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया है। एम्स के डॉक्टरों ने छह सर्जरी करने के बाद नेपाल की अन्नपूर्णा चोटी से लौटते वक्त बर्फ की दो चोटियों के बीच बनी 80 फुट की गहरी खाई में गिरे पर्वतारोही की जान बचाई है। मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले अनुराग करीब 72 घंटे तक बर्फ में रहे थे। एम्स के डॉक्टरों ने उन्हें 200 दिनों तक अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया और अनुराग की जान बचाई। अनुराग कैसे खाई में गिरे, कैसे उन्हें एम्स के डॉक्टरों ने नया जीवन दिया, पूरी कहानी इस रिपोर्ट में जानें...
12 घंटे तक बेहोश रहे
पहाड़ों की ऊंची चोटियों पर चढ़ने के शौकीन अनुराग जब नेपाल में अन्नपूर्णा चोटी की चढ़ाई कर वापस लौट रहे थे तो उस वक्त एक गलत रस्सी पकड़ने की वजह से वे बर्फ की दो चोटियों के बीच मौजूद खाई में गिर गए। अनुराग ने बताया कि इस खाई में गिरने के बाद शुरू के दो दिन तो वे होश में थे लेकिन अगले 12 घंटे तक बेहोश रहे। इसके बाद उनके ग्रुप के सदस्यों ने बड़ी मशक्कत के बाहर उन्हें बाहर निकाला।
छह सर्जरी और बचा ली जान
नेपाल के पोखरा में शुरुआती इलाज के बाद अनुराग को दिल्ली लाया गया। जयप्रकाश ट्रामा सेंटर एम्स से बर्न एंड प्लास्टिक विभाग के प्रमुख डॉ मनीष सिंघल ने बताया कि बहुत ही मुश्किल हालात में इन्हें एम्स लाया गया। जहां छह सर्जरी के बाद अनुराग आज अपने पैरों पर चलने की स्थिति में है।
वीडियो बनाकर खुद को जिंदा रखने की हिम्मत दी
34 साल के अनुराग ने बताया कि बर्फ की खाई में गिरने के बाद मैं होश में था। 80 मीटर गिरने के बाद भी मैं होश में था। दो ट्रेंच में गिरा लेकिन मुझे फ्रैक्चर नहीं हुआ था। गड्ढे में भी मैं अपने गोप्रो कैमरे से वीडियो बनाता रहा ताकि मैं हिम्मत न हार सकूं। मुझे उम्मीद थी कि कोई मुझे आकर बचा लेगा। हालांकि अंतिम12 घंटे मैं बेहोश हो गया था। उसके बाद क्या हुआ मुझे कुछ भी याद नहीं है।
बहुत ही मुश्किल वक्त
डॉ मनीष सिंघल ने बताया कि उनके शाम को सात बजे कॉल आयी थी। वहां से आने में ही पांच दिनों तक मरीज यहां नहीं आ पा रहा था। बड़ी मुश्किल से नेपाल से यहां अनुराग यहां आ पाए। फ्रासबाइट कंडीशन में अनुराग आए थे। डॉ मनीष सिंघल ने बताया कि जब यहां पहुंचे तब तक उनके काफी अंग काम करना बंद कर चुके थे। उनकी छह सर्जरी हुई।
जान बचाने में लगे नौ विभागों के डॉक्टर
एम्स के वरिष्ठ डॉक्टर कपिल देव सोनी ने बताया कि जब अनुराग हमारे पास आए तब उनकी हालत बहुत ही गंभीर थी। डॉक्टर कपिल ने कहा कि जिस समय अनुराग आए थे तभी यह ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे और इनका डायलायसिस हो रहा था। सर्जरी से पहले इन्हें स्थिर करना जरूरी था। नर्सों से लेकर आईसीयू स्टाफ के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती थी ताकि मरीज को संक्रमण से बचाया जा सके। डॉ कपिल ने बताया कि एम्स के नौ विभाग के डॉक्टरों ने मिलकर अनुराग की जान बचाई है।
मेरा जिंदा बचना चमत्कार से कम नहीं
अनुराग ने बताया कि मैं यहां जिंदा हूं यह मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। पिछले 200 दिनों के बाद मेरी नई जिंदगी एम्स के वजह से मिली है। मेरा बेड नम्बर 9 था। शायद वह मेरे लिए काफी लकी रहा। पूरे 5.5 महीने मैं उसी बेड पर पड़ा रहा। मुझे नहीं पता था कि चलने की बात तो दूर मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं खड़ा भी हो सकता है। मेरे लिए एम्स एक मंदिर है जहां के भगवान की वजह से मैं आपके सामने जिंदा खड़ा हूं। अनुराग ने कहा कि सब कुछ ठीक हो जाएगा तो फिर से वह पर्वतारोहण शुरू करेंगे।