सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट भ्रष्टाचार मामले में अफसरों पर गिरेगी गाज, DDA ने CBI में दर्ज कराई शिकायत
मुखर्जीनगर में बने सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट में कथित भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी ने CBI में शिकायत दर्ज कराई है। IIT की रिपोर्ट के बाद साल 2022 के आखिर में DDA ने जांच शुरू की थी।
डीडीए ने उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर में सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के निर्माण में भ्रष्टाचार और गबन के आरोपी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने जनवरी में दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही का आदेश दिया था। जिसके बाद डीडीए ने उपराज्यपाल के निर्देशों का पालन करते हुए मामले में अधिकारियों की भूमिका का पता लगाने के लिए एक सतर्कता जांच भी की थी।
दरअसल, मुखर्जी नगर में बने इस अपार्टमेंट में कई खामियां सामने आयी थीं। कंक्रीट क्वालिटी से लेकर भ्रष्टाचार की वारदात को भी अंजाम दिया गया। इसके खिलाफ उपराज्यपाल के निर्देशों का पालन करते हुए, डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) ने शीर्ष स्तर पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई की है। मामले में शामिल डीडीए के अधिकारियों, ठेकेदारों/बिल्डरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई। 2007-2009 में बने इस कॉम्प्लेक्स में 336 एचआईजी/एमआईजी फ्लैट हैं।
जनवरी में, सक्सेना ने ठेकेदारों/बिल्डरों/निर्माण एजेंसियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही करने के आदेश दिए थे। निर्माण में चूक और भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार सभी डीडीए अधिकारियों की पहचान करने और उनके खिलाफ एक्शन लेने के आदेश दिए थे।
DDA के एक अधिकारी ने बताया कि डीडीए ने सीबीआई से अनुरोध किया है कि 'मैसर्स विनर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स ग्रोवर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, परीक्षण एजेंसियों - मेसर्स भारत टेस्ट हाउस और मेसर्स दिल्ली सहित ठेकेदारों सहित सभी संबंधितों' के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। टेस्ट हाउस, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, जीवन को खतरे में डालने और दूसरों की सार्वजनिक सुरक्षा और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज होगा। सभी डीडीए अधिकारियों और शामिल लोगों को नामजद किया गया है।
उन्होंने कहा कि दोषी डीडीए अधिकारियों में इस अवधि के दौरान तीन अभियंता, छह मुख्य अभियंता, नौ अधीक्षण अभियंता, नौ कार्यकारी अभियंता, चार सहायक अभियंता और आठ कनिष्ठ अभियंता शामिल हैं। सतर्कता जांच ने डीडीए अधिकारियों और बिल्डरों/ठेकेदारों के बीच मिलीभगत की पुष्टि हुई है। जिसके परिणामस्वरूप निर्माण के दौरान गुणवत्ता और संरचनात्मक सुरक्षा की आवश्यकता से समझौता हुआ। इसके चलते डीडीए को नुकसान हुआ और सैकड़ों लोगों की जान और संपत्ति को नुकसान पहुंचा। यह पाया गया कि अनुबंध और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के नियमावली में उल्लिखित गुणवत्ता नियंत्रण के प्रावधानों को दरकिनार कर दिया गया था। नतीजता ये हुआ कि एक दशक के पहले बिल्डिंग जर्जर होने लगी।
बता दें, साल 2011-2012 में लोगों को आबंटन के बाद अपार्टमेंट में दरारें आणि शुरू हो गई थी। जिसके बाद निवासियों ने डीडीए से संपर्क किया। डीडीए के इशारे पर आईआईटी-दिल्ली द्वारा 2021-2022 के एक अध्ययन में इमारत को संरचनात्मक रूप से असुरक्षित पाया गया है। अध्ययन ने इमारत को तुरंत 'खाली करने और गिराने' की भी सिफारिश की। उपराज्यपाल ने डीडीए को रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के परामर्श से परिसर के लिए एक पुनर्विकास और पुनर्वास योजना तैयार करने का आदेश दिया है।