ठगों ने पुलिस कमिश्नर को भी नहीं छोड़ा, व्हाट्सऐप पर लगाई डीपी; मैसेज भेज अधिकारियों से मांगे गिफ्ट कूपन
साइबर ठगों के हौसले कितने बुलंद हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने व्हाट्सऐप पर पुलिस कमिश्नर की डीपी लगाई। इतना ही नहीं साथियों को मैसेज करके गिफ्ट कूपन मांगे।
गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर विकास अरोड़ के नाम पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ठगी करने का मामला सामने आने से पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया। ठग ने अपने व्हाट्सएप पर डिस्प्ले पिक्चर (डीपी) के रूप में पुलिस कमिश्नर विकास अरोड़ा की तस्वीर लगाई और डिप्टी कमिश्नरों और सहायक पुलिस कमिश्नरों को मैसेज भेजकर 50,000 रुपये के गिफ्ट कूपन खरीदने और उसके साथ कोड को शेयर करने के लिए कहा। इसकी जानकारी अधिकारियों ने मंगलवार को दी।
चूंकि अधिकारियों के फोन में पुलिस कमिश्नर का नंबर सेव था, इसलिए उन्हें इस मैसेज को लेकर संदेह हुआ और उन्होंने एक-दूसरे को इसे लेकर सतर्क किया। एक अधिकारी ने कहा, संदेश 23 नवंबर और 24 नवंबर की शाम को भेजे गए थे। पुलिस ने बताया कि साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ईस्ट में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। साइबर सेल के एक अधिकारी ने कहा कि उस व्यक्ति ने गुरुग्राम पुलिस की वेबसाइट से वरिष्ठ अधिकारियों के नंबरों के साथ पुलिस आयुक्त की तस्वीर ली थी।
धोखाधड़ी के दूसरी मामले में भोंडसी जेल के तीन कैदियों के परिवार के सदस्यों को धोखा देने और खुद को जेल प्रशासन का कर्मचारी बताकर उनसे पैसे लेने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि सेक्टर 31 अपराध इकाई की एक टीम ने सोमवार को दोनों आरोपियों को उत्तर प्रदेश के बरेली से गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान बरेली के सैनिक कॉलोनी निवासी मधुर सक्सेना और कनिष्क भटनागर के रूप में हुई है।
एसीपी (अपराध) वरुण दहिया ने कहा कि दोनों का पिछला आपराधिक रिकॉर्ड है। सक्सेना के खिलाफ यूपी में मारपीट, धोखाधड़ी, बलात्कार और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) अधिनियम के तहत पांच मामले दर्ज हैं। वहीं भटनागर के खिलाफ साइबर वेस्ट पुलिस स्टेशन, गुरुग्राम में धोखाधड़ी का एक मामला दर्ज है। पुलिस के मुताबिक, कथित धोखाधड़ी के वक्त दोनों आरोपी जेल में थे। उन्होंने ई-कोर्ट के जरिए वकीलों के मोबाइल नंबर हासिल किए और उनसे पूछा कि क्या उनका कोई मुवक्किल जेल में है।
दहिया ने कहा, 'जेल में उनके मुवक्किल के बारे में पूछताछ करने पर उन्हें कैदियों के परिवार के सदस्यों के मोबाइल नंबरों की जानकारी मिली। खुद को जेल प्रशासन का कर्मचारी बताकर उन्होंने परिवार के सदस्यों से संपर्क किया और उन्हें बताया कि कैदी घायल हो गया है और उन्हें इसके लिए पैसा ट्रांसफर करना होगा। उन्होंने तीन कैदियों को ठगा है लेकिन हम आरोपियों से पूछताछ कर रहे हैं।' पुलिस ने बताया कि भोंडसी जेल के उपाधीक्षक की शिकायत पर भोंडसी पुलिस थाने में 24 नवंबर को मामले की प्राथमिकी दर्ज की गई थी।