दिल्ली में लौटे मास्क वाले दिन, लेडी हार्डिंग ने 48 बेड किए रिजर्व; सौरभ भारद्वाज ने नए वैरिएंट पर क्या कहा
लेडी हार्डिंग अस्पकाल ने कोविड मरीजों के लिए 48 बेड रिजर्व कर दिए हैं। बच्चों के लिए 12 बेड आरक्षित हैं। दिल्ली में कोरोना के नए सब वैरिएंट से संक्रमित एक व्यक्ति मिला है, बुधवार को पुष्टि हुई।
राजधानी दिल्ली में मास्क वाले समय की वापसी होने वाली है। कोरोना के नए सब वैरिएंट जेएन.1 के पहले केस की बुधवार को पुष्टि हो गई है। वहीं दो लोग ओमिक्रोन वेरिएंट से संक्रमित मिले हैं। कोविड के बढ़ते मामलों के बीच, लेडी हार्डिंग अस्पताल ने मरीजों के लिए 48 बिस्तर रिजर्व कर दिए हैं। इसके अलावा लेडी हार्डिंग अस्पताल की नई बिल्डिंग में छह आईसीयू बेड और 30 बेड वाला एक वार्ड भी कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित किया गया है।
इसके अतिरिक्त, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत आने वाले कलावती सरन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में बाल रोगियों के लिए 12 बिस्तर आरक्षित किए गए हैं। हाल ही में अस्पताल के निदेशक ने सभी हितधारकों के साथ बैठक की थी और कोविड-19 से संबंधित सभी व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली थी। इससे पहले 23 दिसंबर को अस्पताल में मॉक ड्रिल की गई थी। बढ़ते मामलों को देखते हुए अस्पताल ने सभी स्वास्थ्यकर्मियों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है।
बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि नया कोविड वैरिएंट केवल माइल्ड (हल्की) बीमारी का कारण बनता है। भारद्वाज ने बुधवार को एएनआई को बताया, 'जेएन.1 ओमिक्रॉन का एक सब वेरिएंट है और एक हल्का संक्रमण है। यह दक्षिण भारत में फैल रहा है। घबराने की कोई जरूरत नहीं है। यह माइल्ड बीमारी का कारण बनता है।' इसी बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बुधवार को कहा कि 26 दिसंबर तक देश में कुल जेएन.1 वैरिएंट के कुल 109 मामले सामने आए हैं।
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने देश में कोरोनोवायरस मामलों में अचानक वृद्धि के बाद संदिग्ध या पॉजिटिव केस के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं। एम्स दिल्ली के निदेशक ने बुधवार को कोविड-19 आकस्मिक उपायों पर अस्पताल के सभी विभागों के प्रमुखों के साथ बैठक की। बैठक में, कोविड-19 परीक्षण पर नीति, पॉजिटिव मरीजों और उनके अस्पताल में भर्ती के क्षेत्रों पर चर्चा की गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वर्तमान साक्ष्यों के अनुसार, जेएन.1 वैरिएंट से कम खतरा है।