Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Court issues contempt notice to Delhi Police Commissioner for deliberate non-compliance of orders in gangrape case

दिल्ली पुलिस कमिश्नर को अवमानना नोटिस जारी, गैंगरेप मामले में अदालत के आदेशों का पालन न करने का आरोप

अदालत ने मामले में एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करने के दौरान कहा कि पीड़िता द्वारा संगम विहार के थानाधिकारी (एसएचओ) के समक्ष शिकायत दायर करने के लगभग 36 दिन बाद थाने में एफआईआर दर्ज की गई।

Praveen Sharma नई दिल्ली | भाषा, Sat, 3 Sep 2022 05:15 PM
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राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला के साथ हुए कथित गैंगरेप के मामले में दिल्ली पुलिस कमिश्नर को अवमानना ​​नोटिस जारी किया है। साथ ही, अदालत ने कहा कि इस मामले में घटनाओं का वर्णन और क्रम दिल्ली पुलिस के कामकाज की खराब और दयनीय स्थिति को दर्शाता है।

अदालत ने मामले में एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करने के दौरान कहा कि पीड़िता द्वारा संगम विहार के थानाधिकारी (एसएचओ) के समक्ष शिकायत दायर करने के लगभग 36 दिन बाद थाने में एफआईआर दर्ज की गई।

अदालत ने कहा कि अगस्त 2022 में तीन अदालती आदेश जारी किए जाने के बावजूद पुलिस कमिश्नर की ओर से जानबूझकर अनुपालन नहीं किया गया।

दिल्ली पुलिस कमिश्नर को कारण बताओ नोटिस जारी

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने 31 अगस्त को एक आदेश में कहा कि इसलिए, दिल्ली पुलिस कमिश्नर को इस बारे में कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए कि आदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही क्यों शुरू नहीं की जाए।

पुलिस कमिश्नर की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए पुलिस उपायुक्त (डीसीपी), दक्षिण दिल्ली को अधिकृत किए जाने संबंधी कोई सामग्री प्रस्तुत नहीं किए जाने का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा कि इसलिए प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि डीसीपी (दक्षिण) ने धोखाधड़ी का अपराध किया है।

अदालत ने कहा कि डीसीपी (दक्षिण) को भी एक नोटिस जारी किया जाए कि उपरोक्त अपराध के मद्देनजर कानून के उचित प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए जाएं।

अदालत ने पुलिस की कार्रवाई पर उठाए सवाल

अदालत ने कहा कि डीसीपी (दक्षिण) और पुलिस कमिश्नर सहित संबंधित पुलिस अधिकारियों का इरादा, जैसा कि घटनाओं के उपरोक्त विवरण से अनुमान लगाया जा सकता है, अदालत द्वारा जारी विभिन्न आदेशों को दरकिनार करना या उनका उल्लंघन करने का है...यह अदालत का कर्तव्य है कि वह अपने आदेशों को लागू करवाए, अन्यथा, अदालत द्वारा जारी आदेश मजाक और कागजी आदेश बनकर रह जाते हैं।

अदालत ने कहा कि इस मामले में, घटनाओं का वर्णन और क्रम दिल्ली पुलिस के कामकाज की खराब और दयनीय स्थिति को दर्शाता है...पूरा विषय सुधारात्मक कार्रवाई के लिए गृह सचिव, केंद्रीय गृह मंत्रालय के संज्ञान में लाये जाने की जरूरत है।

अदालत ने इससे पहले कहा था कि पुलिस अधिकारियों ने पीड़िता के साथ एक आरोपी की तरह व्यवहार किया और गैंगरेप पीड़ित महिला को दर-दर भटकने के लिए मजबूर किया। 

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