दिल्ली में कोरोना मामलों ने मचाया हाहाकार, क्या जल्द लगेगा लॉकडाउन? सत्येंद्र जैन ने बताया
दिल्ली में तेजी से बढ़ते कोरोना मामले पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने माना है कि कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए तीसरी लहर है मगर दिल्ली की यह पांचवी लहर होगी।...
दिल्ली में तेजी से बढ़ते कोरोना मामले पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने माना है कि कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए तीसरी लहर है मगर दिल्ली की यह पांचवी लहर होगी। कोरोना के तेजी बढ़ते मामले ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण है, मगर लक्षण हल्के होने के नाते स्थिति नियंत्रण में है। दिल्ली में बुधवार को कोरोना के 10 हजार से अधिक मामले आए हैं। संक्रमण दर 11.86 फीसदी तक पहुंच गई है।
कोरोना की तीसरी लहर पर लॉकडाउन लगाने की बात से स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने इंकार किया है। सत्येंद्र जैन ने कहा कि फिलहाल दिल्ली में लॉकडाउन नहीं लगा रहे है। कोरोना के बीच पलायन के खतरे पर उन्होंने कहा कि मजदूरों को घबराने की जरूरत नहीं है। दिल्ली में निर्माण कार्य जारी रहेगा। दिल्ली में कोरोना के रोकथाम के लिए कई कड़े कदम उठाएं गए है जिसमें नाइट कर्फ्यू, वीकेंड कर्फ्यू के अलावा स्कूल व कॉलेज बंद कर दिए गए है।
जैन ने कहा कि विदेशों से दिल्ली आने वाले लोग इस ओमिक्रॉन वेरिएंट से सबसे ज्यादा संक्रमित पाए जा रहे हैं। राहत वाली बात यह है कि दिल्ली में फिलहाल ओमिक्रोन मरीजों को ऑक्सीजन लगाने की जरूरत नहीं पड़ी है। ज्यादातर मरीजों में मामूली लक्षण ही मिले हैं। सरकार दिल्ली के हालात पर निगरानी रख रही है। दिल्ली में बेड़ पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है। सरकारी के अलावा निजी अस्पतालों में भी कोविड मरीजों के लिए बेड आरक्षित कर दिया गया है।
जीटीबी अस्पताल में 650 बेड आरक्षित है जिसमें 20 पर ही मरीज है। अभी तक हमारे पास जो कोविड बेड है उसमें 5 फीसदी बेड ही भरे है। कल तक (मंगलवार) दिल्ली में कोरोना के 531 मरीज भर्ती हुए है। दिल्ली के निजी और सरकारी अस्पतालों में भर्ती हैं। कोरोना की पिछली लहर में इतने मामले आने पर 15 फीसद बेड भरे थे जो कि इस बार 5 फीसद के आसपास है। इसके अलावा पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध है।
ऑक्सीजन की स्थिति पर टेली मेंट्री यंत्र के जरिए रियल टाइम निगरानी की जा रही है। क्या सभी मरीजों का जीनोम सिक्वेसिंग हो रहा है इसपर उन्होंने कहा कि अब यह सभी के लिए जरूरी नहीं है। वो एक रिसर्च प्रक्रिया थी, ताकि ये पता लगाया जा सके कि कम्युनिटी में ओमिक्रॉन फ़ैल रहा है या नहीं। अब ज्यादातर मरीज ओमिक्रॉन के ही आ रहे हैं तो सभी की जीनोम सिक्वेंसिंग काराने की कोई जरुरत नहीं। हालांकि अभी भी रैंडम सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की जा रही है। अब ज्यादातर मरीज ओमिक्रॉन के ही आ रहे हैं।