Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Bone marrow transplant will be free in these 3 hospitals of Delhi

राहत : मरीजों को बड़ी सौगात, दिल्ली के इन 3 अस्पतालों में अब मुफ्त होगा बोन मैरो ट्रांसप्लांट

ब्लड कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के लिए दिल्ली के तीन अस्पतालों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की मुफ्त सुविधा शुरू होगी। निजी अस्पतालों में इसका खर्च करीब 15 से 20 लाख रुपये आता है।

Praveen Sharma हेमवती नंदन राजौरा, नई दिल्ली।Sat, 25 March 2023 06:25 AM
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दिल्ली में ब्लड कैंसर समेत अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के लिए केंद्र सरकार के तीन अस्पतालों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट (अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण) की मुफ्त सुविधा शुरू होगी। निजी अस्पतालों में इसका खर्च करीब 15 से 20 लाख रुपये आता है। सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री कोष की मदद से गरीब मरीजों के लिए यह सुविधा जल्द मिलने लगेगी।

सबसे पहले लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, उसके बाद सफदरजंग व राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इसे शुरू किया जाएगा। हाल ही में इन तीन सरकारी अस्पतालों और इस क्षेत्र में काम करने वाले निजी अस्पतालों के विशेषज्ञों के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य महानिदेशक ने बैठक कर इसे शुरू करने का फैसला लिया है। इसके लिए डॉक्टरों और नर्स कर्मियों को ट्रेनिंग देने और ट्रांसप्लांट के लिए बेड्स की सुविधा उपलब्ध कराने की तैयारी चल रही है।

लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, उम्मीद है कि डेढ़ से दो महीने के भीतर मुफ्त बोन मैरो ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएगा। बैठक में मौजूद गुरुग्राम के वरिष्ठ डॉक्टर राहुल भार्गव ने बताया कि स्वास्थ्य महानिदेशक ने इसे शुरू करने के लिए सकारात्मक आश्वासन दिया है। डॉ. भार्गव ने कहा कि वे निजी अस्पताल और सरकारी अस्पताल के बीच गठजोड़ कर इस सुविधा को ईएसआई फरीदाबाद में शुरू कर चुके हैं। अभी तक ईएसआई फरीदाबाद में 25 बोन मैरो ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं। जल्द ही यह सुविधा गरीब मरीजों के लिए केंद्र के अन्य तीन अस्पतालों में भी शुरू हो जाएगी।

कौन कर सकता है दान

बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए सबसे पहले भाई-बहन को डोनर के रूप में वरीयता दी जाती है। अगर इनके साथ मिलान नहीं हो पाता है तो किसी को भी डोनर के रूप में लिया जा सकता है। बोन मैरो रक्तदान की तरह होता है।

क्यों होती है जरूरत

बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत तब पड़ती है, जब बोन मैरो ठीक से काम करना बंद कर देता है या पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नहीं कर पाता है। इस ट्रांसप्लांट में यह जरूरी है कि रोगी का बोन मैरो डोनर के बोन मैरो से मेल खाता हो।

देश के इन सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा

● एम्स, दिल्ली

● एसजीपीजीआई, लखनऊ

● पीजीआई, चंडीगढ़

● इंदौर मेडिकल कॉलेज, मध्यप्रदेश

●ईएसआई, फरीदाबाद

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