फीस दो या अपने बच्चे का नाम वापस लो, इस स्कूल का पैरेंट्स को मैसेज; क्या बताई वजह
दिल्ली के द्वारका की बाल भारती पब्लिक स्कूल आठवीं क्लास में पढ़ने वाले कुछ बच्चों के पैरेंट्स को एक मैसेज भेजा है जिससे अभिभावक काफी परेशान हैं। पैरेंट्स ने डीओई को इसे लेकर पत्र लिखा है।
दिल्ली के द्वारका में स्थित बाल भारती स्कूल ने आठवीं क्लास में पढ़ने वाले कुछ बच्चों के पैरेंट्स को एक मैसेज भेजा है जिससे अभिभावक काफी परेशान हैं। स्कूल का कहना है कि नौंवी से या तो स्कूल की फीस भरें या बच्चे का विदड्रॉ (नाम कटवा) कर लें। स्कूल ने यह मैसेज ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) और डीजी (वंचित समूह) श्रेणी वाले बच्चों के पैरेंट्स को भेजा है। आगे की पढ़ाई के लिए फीस मांगने को लेकर अभिभावकों ने शिक्षा निदेशालय (डीओई) को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है।
ईडब्ल्यूएस श्रेणी में आठवीं क्लास में पढ़ने वाले एक छात्र के पैरेंट्स ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'हमें बताया गया कि कोटा केवल आठवीं क्लास तक है। उसके बाद, हमें सामान्य श्रेणी में बच्चे का एडमिशन कराना होगा या टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) लेना होगा। उन्होंने कहा कि ये नियम हैं और हमें इसकी कॉपियां दी गईं। ऐसे लगभग 48 छात्र इस समस्या का सामना कर रहे हैं।'
एक अन्य पैरेंट ने कहा, 'पैरेंट्स को इस महीने की शुरुआत में ऑफिस बुलाया गया और बताया गया कि छात्र को कक्षा 9 में प्रमोट कर दिया गया है, लेकिन हमें फीस देनी होगी और उसे सामान्य श्रेणी में माना जाएगा।' बता दें कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत स्कूलों में अनिवार्य तौर पर कमजोर कैटेगरी के बच्चों को कोटा दिया जाता है। इसके तहत, दिल्ली के निजी स्कूलों को ईडब्ल्यूएस, डीजी और सीडब्ल्यूएसएन (विशेष आवश्यकता वाले बच्चों) श्रेणी के छात्रों के लिए कम से कम 25 प्रतिशत सीटें रिजर्व रखी जाती हैं। आठवीं क्लास तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा दी जाती है।
इसके अलावा, 2011 के दिल्ली राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपलसरी एजुकेशन रूल्स 2011 के अनुसार, सरकारी एजेंसियों द्वारा जिन निजी स्कूलों को जमीन आवंटित की गई है उन्हें 'प्रारंभिक शिक्षा के बाद माध्यमिक/उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी होने तक मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के अपने दायित्व को पूरा करना जारी रखना होगा, और अपने दायित्व की सीमा तक प्रतिपूर्ति के हकदार नहीं होंगे।' बाल भारती पब्लिक स्कूल शिक्षा निदेशालय की उस लिस्ट में शामिल है जिसे सरकारी एजेंसी ने जमीन आवंटित की है।