जर्जर बिल्डिंग, टूटे डेस्क और क्षमता से ज्यादा बच्चे... उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सरकारी स्कूलों की जांच रिपोर्ट देख भड़का हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि रिपोर्ट स्पष्टतौर पर बता रही है कि शिक्षा निदेशालय के वरिष्ठ अफसर स्कूलों की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस मामले में 23 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी।
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली के निगम और राज्य सरकार के स्कूलों का निरीक्षण किया गया। इन स्कूलों की निरीक्षण रिपोर्ट सोमवार को हाईकोर्ट के समक्ष पेश की गई। रिपोर्ट में निगम के 6 लाख और दिल्ली सरकार के 10 लाख छात्रों की बदहाल स्थिति में पढ़ने के लिए मजबूर होने का ब्योरा देख अदालत भी चौंक गई।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल की ओर से पेश रिपोर्ट को देखकर कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सरकारी स्कूलों के हालात बेहद भयावह हैं।
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बदहाल पड़े स्कूलों की रिपोर्ट के अनुसार, स्कूलों की इमारतें जर्जर हो चुकी हैं। डेस्क टूटे पड़े हैं। कक्षाओं में क्षमता से ज्यादा बच्चे बैठते हैं। कई स्थान पर खतरनाक घोषित कर दी गई इमारतों में स्कूल चल रहे हैं। हाईकोर्ट ने रिपोर्ट को देखकर निगम और दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई।
बेंच के सामने अधिकारी ने रिपोर्ट पर सहमति जताई। बेंच ने इस पर कहा कि जो भी अधिकारी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। बेंच ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि रिपोर्ट स्पष्टतौर पर बता रही है कि शिक्षा निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी स्कूलों की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस मामले में 23 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी।
रिपोर्ट में यह खुलासा
●उत्तर-पूर्वी दिल्ली के नगर निगम के स्कूलों में पढ़ रहे छह लाख बच्चों को अभी तक कॉपी-किताब और अन्य सामग्री नहीं मिली है। बैठने के डेस्क खस्ता हाल हैं।
●भजनपुरा स्थित गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल सात वर्ष से टिनशेड में चल रहा है। यहां दोनों शिफ्ट में 3600 बच्चे पढ़ रहे हैं। सभी डेस्क टूटे हैं।
●यमुना विहार के ब्लॉक सी 1 में स्थित सर्वोदय कन्या विद्यालय भी दो शिफ्ट में चलता है। सुबह की शिफ्ट में पांच से छह हजार छात्राएं पढ़ती हैं। यहां एक सेक्शन में 70-80 छात्र हैं। इसी परिसर में एक पुरानी इमारत है। जिसका नवीनीकरण चल रहा है। चौंकानें वाली बात यह है कि अधूरी इमारत स्कूल को सौंप दी गई है।
●गोकुलपुर स्थित गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हालात यह हैं कि साइंस लैब, आर्ट लैब लाइब्रेरी में भी कक्षाएं चल रही हैं। एक कक्षा में डेढ़ सौ छात्र बैठते हैं। स्कूल की इमारत को खतरनाक घोषित किया जा चुका है।
●बदरपुर गांव स्थित सर्वोदय कन्या विद्यालय में दो शिफ्ट में 3600 छात्र पढ़ रहे हैं। हर साल बरसात के मौसम में बाढ़ की समस्या से छात्र जूझते हैं। इस गांव के चारों तरफ बांध नहीं है। हाल ही में आई बाढ़ के दौरान स्कूल में छह फीट तक पानी भर गया था।
‘हमारी आने वाली पीढ़ी का क्या होगा’
बेंच ने कहा कि किसी भी वरिष्ठ पदाधिकारी के बच्चे इन स्कूलों में नहीं पढ़ रहे। यही समस्या है। हमारी अगली पीढ़ी का क्या होने वाला है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि जेलें भरी हुई हैं। यह मुद्दा इसलिए उजागर हुआ क्योंकि यह हाईकोर्ट में आया। बेंच ने शिक्षा सचिव को कहा कि आपको वहां जाना चाहिए। वरिष्ठ लोग निगरानी नहीं कर रहे। बेंच ने शिक्षा सचिव को इस बाबत विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। शिक्षा सचिव ने कहा कि जल्द ही इन कमियों को पूरा कर लिया जाएगा।
निरीक्षण के निर्देश दिए थे
हाईकोर्ट ने 20 मार्च 2024 को शिक्षा विभाग के सचिव और याचिकाकर्ता वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सरकारी स्कूलों का निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे।