दिल्ली में बढ़ रहे इस बीमारी के मामले, एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने किया आगाह, अपनाएं ये उपाय
एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने एक खास बीमारी को लेकर आगाह किया जिसके मामले राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते देखे गए हैं। एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने क्या कहा, कैसे बचें जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...
एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने एक खास बीमारी के लिए आगाह किया है। एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने लोगों को दूषित भोजन और पानी के सेवन के प्रति आगाह किया है जो हेपेटाइटिस ए की मुख्य वजह है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते कुछ हफ्तों के दौरान दिल्ली में 'हेपेटाइटिस ए' के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई देखी गई है। संस्थान के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. शालीमार ने इस बीमारी के प्रकोप पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने कहा कि अस्पताल में हेपेटाइटिस ए के मामलों में बढ़ोतरी देखी है।
प्रोफेसर डॉ. शालीमार ने कहा- मरीजों में अधिकांश बच्चे और 18 से 25 साल की उम्र के लोग हैं। वहीं गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. प्रमोद गर्ग ने कहा कि हेपेटाइटिस ए और ई से एहतियाती उपायों को अपना कर बचा जा सकता है। सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल, सुरक्षित भोजन और स्वच्छता बनाए रखकर हेपेटाइटिस ए और ई बीमारी को काफी हद तक फैलने से रोका जा सकता है। यह बीमारी मुख्य रूप से मल से दूषित पेयजल के जरिए फैलती है।
दोनों बीमारियां स्व-सीमित संक्रमण हैं। इनके उपचार के लिए किसी विशिष्ट एंटी-वायरल दवा की आवश्यकता नहीं होती है। इनका उपचार लक्षणों के आधार पर किया जाता है। डॉ. प्रमोद गर्ग ने बताया कि एम्स, दिल्ली के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग ने इन बीमारियों पर एक अध्ययन किया। इस अध्ययन से पता चला है कि हेपेटाइटिस ए और ई दोनों मिलकर लीवर फेल होने के लिए 30 फीसदी जिम्मेदार होते हैं। ऐसी स्थिति में मृत्यु दर 50 फीसदी से अधिक है।
गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. दीपक गुंजन ने बताया कि हेपेटाइटिस बी और सी वायरस क्रोनिक लिवर रोग का कारण बनते हैं। दोनों लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर और वायरल-हेपेटाइटिस से संबंधित मौतों के सबसे आम कारण हैं। हेपेटाइटिस बी और सी का संक्रमण संक्रमित रक्त के संपर्क में आने से होता है। जैसे बिना जांचे रक्त चढ़ाने, जन्म और प्रसव के दौरान मां से बच्चे में संक्रमण, असुरक्षित यौन संबंध बनाने और इंजेक्शन से नशीली दवाएं लेने से ये संक्रमण फैलता है।
डॉ. दीपक गुंजन ने कहा कि हेपेटाइटिस बी वायरस के संक्रमण का इलाज काफी लंबा चलता है। हालांकि हेपेटाइटिस सी वायरस के संक्रमण एंटीवायरल दवाओं के साथ 3 महीने के इलाज से 95 फीसदी से अधिक रोगी ठीक हो जाते हैं। लिवर फेल होना, लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर के कुछ रोगियों के लिए लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। हेपेटाइटिस के अलावा अन्य वजहों से भी लिवर खराब हो सकता है। इनमें अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, शराब का सेवन, दवाओं का सेवन और ऑटोइम्यून रोग शामिल हैं।
विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. समग्र अग्रवाल ने कहा कि लीवर फैटी होने की वजह अत्यधिक वजन, डायबिटीज या व्यायाम नहीं करना भी है। डॉ. गर्ग ने कहा कि भारत वायरल हेपेटाइटिस के सबसे अधिक लोड से गुजरने वाले देशों में से एक है। दुनिया के वायरल हेपेटाइटिस के मामलों में से लगभग 12 प्रतिशत भारत में ही है। भारत में 40 मिलियन लोग हेपेटाइटिस बी से लगातार संक्रमित हैं। यही नहीं 6 से 12 मिलियन लोग हेपेटाइटिस सी से लगातार संक्रमित हो रहे हैं।