आयुष्मान भारत योजना के पात्र 46 हजार परिवार गायब
गाजियाबाद जनपद में आयुष्मान भारत योजना के लिए पात्र करीब 46 हजार परिवार गायब हैं। स्वास्थ्य विभाग इन परिवारों की कई माह से तलाश कर रहा है, लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि परिवार कहां है।...
गाजियाबाद जनपद में आयुष्मान भारत योजना के लिए पात्र करीब 46 हजार परिवार गायब हैं। स्वास्थ्य विभाग इन परिवारों की कई माह से तलाश कर रहा है, लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि परिवार कहां है। गायब परिवारों की सूची में सिर्फ शहरी ही नहीं ग्रामीण परिवार भी हैं।
केंद्र सरकारी की ओर से आर्थिक एवं सामाजिक रूप से कमजोर परिवारों के स्वास्थ्य के लिए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना के तहत गोल्डन कार्ड बनाए जा रहे हैं। इस योजना के लिए एनआईसी (नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर) ने जनपद में 1 लाख 47 हजार परिवारों की सूची स्वास्थ्य विभाग को सौंपी थी, लेकिन बाद में शासन ने इस लक्ष्य को कम कर दिया था। इससे बाद शासन की ओर से मिले लक्ष्य को घटाकर 1.04 लाख कर दिया गया था। शासन से मिले लक्ष्य के अंतर्गत इन परिवारों के गोल्डन कार्ड बनाए जाने थे। यह सूची वर्ष 2011 की मतगणना सूची के आधार पर जारी की गई थी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने घर-घर जाकर सूची के आधार पर परिवारों का सत्यापन करना शुरू किया तो महज आधे ही परिवार चिन्हित हो पाए। सूची के आधार पर स्वास्थ्य विभाग अब तक 57 हजार 572 परिवारों का ही सत्यापन कर सका है। बचे हुए 46 हजार 428 परिवारों का सत्यापन विभाग नहीं कर पा रहा है।
लक्ष्य नहीं हो पा रहा पूरा : कई महीनों से विभाग की टीम इन परिवारों की तलाश में जुटी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग को यह परिवार नहीं मिल पा रहे हैं। इसकी वजह से विभाग भी परेशान है। बचे हुए परिवारों का सत्यापन न होने की वजह से शासन से मिले लक्ष्य के अनुसार अभी तक आधा लक्ष्य ही पूरा हो सका है। यह भी विभाग के लिए चुनौती है।
जनपद के 31 अस्पताल ही पंजीकृत
आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत जनपद के 31 निजी और सरकारी अस्पताल ही पंजीकृत हैं। जबकि जनपद 200 से भी ज्यादा निजी अस्पताल हैं। इन सभी अस्पतालों को प्रशासन की ओर से नोटिस जारी किया जा चुका है। सभी को योजना में पंजीकृत कराने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे लोगों को योजना का लाभ मिल सके। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों से अब तक 638 और निजी अस्पतालों से 2580 लाभार्थियों को योजना का लाभ मिला है।
''एनआइसी से जो सूची जारी की गई थी वह वर्ष 2011 के आधार पर है। तब से अब तक अधिकतर परिवार दूसरी जगह जा चुके हैं या पारिवारिक बंटवारे की वजह से परिवार का मुखिया ही बदल गया। इसकी वजह से इन परिवारों को चिन्हित करने में दिक्कत हो रही हैं।'' -डॉ. एनके गुप्ता, सीएमओ