7 साल पुराने केस में AAP के 2 विधायक अखिलेशपति त्रिपाठी और संजीव झा दोषी करार, 21 को होगी सजा
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट वैभव मेहता की अदालत ने मॉडल टाउन सीट से विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी एवं बुराड़ी से विधायक संजीव झा को दोषी ठहराते हुए कहा कि ये दोनों विधायक पुलिस को सबक सिखाना चाहते थे।
दिल्ली की एक अदालत ने 7 साल पुराने एक मामले में भीड़ का हिस्सा बनकर पुलिस कर्मियों पर हमला करने के जुर्म में आम आदमी पार्टी (आप) के दो विधायकों को आज दोषी करार दिया है। कोर्ट ने 'आप' के विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी व संजीव झा को गैरकानूनी तरीके से एकत्रित भीड़ का हिस्सा होने और पुलिस बल पर हमला करने के लिए उकसाने का दोषी ठहराया है। विधायकों की सजा पर 21 सितंबर को अदालत में सुनवाई होगी। यह मामला वर्ष 2015 में बुराड़ी पुलिस स्टेशन पर हमले से जुड़ा है।
राउज एवेन्यू कोर्ट स्थित अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट वैभव मेहता की अदालत ने मॉडल टाउन सीट से विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी एवं बुराड़ी से विधायक संजीव झा को दोषी ठहराते हुए कहा कि ये दोनों विधायक पुलिस को सबक सिखाना चाहते थे। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ये दोनों विधायक ना केवल भीड़ का हिस्सा थे, बल्कि भीड़ को उकसा रहे थे। अदालत ने कहा कि चश्मदीद गवाहों के बयानों के मुताबिक, वह इस तरह का बल प्रदर्शन कर पुलिस को डराने का प्रयास कर रहे थे। अदालत ने इन दो विधायकों के साथ ही 15 अन्य लोगों को भी दोषी करार दिया है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 20 फरवरी 2015 को 'आप' विधायक भीड़ के साथ बुराड़ी पुलिस स्टेशन पहुंचे। वहां उन्होंने कई पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी की। उनका आरोप था कि पुलिस अहपरहण के मामले में कार्रवाई नहीं कर रही है। भीड़ पुलिस से मांग कर रही थी कि आरोपियों को उनके सुपुर्द कर दिया जाए। पुलिस द्वारा आरोपियों को ना सौंपे जाने की बात कहे जाने पर विधायकों के नेतृत्व वाली भीड़ थाने पर हमला बोल दिया।
बचाव पक्ष ने कहा- शांतिपूर्ण था प्रदर्शन
इस मामले की सुनवाई के दौरान 'आप' विधायकों के वकील ने कहा कि जिस प्रदर्शन को लेकर मुकदमा दर्ज किया गया, वह शांतिपूर्ण था। बचाव पक्ष के वकील का कहना था कि उनके मुवक्किल विधायक भीड़ को शांत करने वहां पहुंचे थे। अपनी इस दलील को लेकर विधायकों की तरफ से 14 बचाव के गवाह पेश किए गए। इन गवाहों का कहना था कि पुलिस स्टेशन पर हमले से पहले ही विधायक वहां से चले गए थे, जबकि अदालत ने बचाव पक्ष की इन दलीलों एवं गवाहों के बयानों को खारिज करते हुए कहा कि बचाव पक्ष के गवाहों के बयानों में विरोधाभाष था।
अदालत ने यह भी कहा कि संजीव झा के बयानों में भी विरोधाभाष पाया गया। अदालत ने यह भी आरोपी विधायक द्वारा व बचाव पक्ष के गवाहों द्वारा दिए गए बयानों में सबसे बड़ा विरोधाभाष समय को लेकर था। विधायक ने घटनास्थल से जाने का जो समय बताया, उसके उलट गवाहों ने दूसरा समय बताया।
पुलिस ने साबित किया अपराध
अदालत ने पूरे मामले पर सुनवाई करते हुए पाया कि पुलिस ने आरोपी विधायक झा व त्रिपाठी पर आरोप साबित करने में सफलता पाई। पुलिस ने यह प्रमाणित किया कि घटना के समय दोनों विधायक वहां मौजूद थे। यहां तक की भीड़ को भड़काने में भी उनकी अहम भूमिका थी।
विधायकों के अलावा ये लोग भी ठहराए गए दोषी
अदालत ने दोनों विधायकों के अलावा बलराम झा, श्याम गोपाल गुप्ता, किशोर कुमार, ललित मिश्रा, जगदीश चन्द्र जोशी, नरेंद्र सिंह राव, नीरज पाठक, राजू मलिक, अशोक कुमार, रवि प्रकाश झा, इस्माइल इस्लाम, मनोज कुमार, विजय प्रताप सिंह, हीरा देवी व यशवंत को भी दोषी ठहराया है। हालांकि, इसके अलावा दस आरोपियों को बरी किया है। अदालत ने इसम मामले में सरकारी संपति को नुकसान पहुंचाने व आपराधिक साजिश के आरोपों को खारिज कर दिया है।
इन अपराधों में ठहराए गए दोषी
अदालत ने 'आप' विधायकों और और अन्य को दंगा फैलाने, सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने, सरकारी कर्मचारी को चोट पहुचांने और गैरकानूनी तरीके से एकत्रित होने के लिए दोषी पाया है।