दिल्ली में हीट स्ट्रोक से 2 और मरीजों की हालत बिगड़ी, अस्पतालों में 30 से अधिक लोग भर्ती; अबतक 4 की मौत
दिल्ली में एक बार फिर तापमान में बढ़ोतरी से हीट स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में शनिवार और रविवार को दो नए मरीज बेहोशी की हालत में पहुंचे।
दिल्ली में एक बार फिर तापमान में बढ़ोतरी से हीट स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में शनिवार और रविवार को दो नए मरीज बेहोशी की हालत में पहुंचे। डॉक्टरों ने इनको आईसीयू में शिफ्ट कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, भर्ती मरीजों में 31 साल का युवक और 63 वर्षीय महिला शामिल हैं। दोनों की स्थिति अभी गंभीर है। हीट स्ट्रोक की वजह से दिल्ली के चार बड़े अस्पतालों में अब तक 30 से अधिक लोग भर्ती हुए हैं। वहीं, चार लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। चारों मृतक लू लगने के कारण हीट स्ट्रोक के शिकार हुए थे।
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डॉक्टरों ने बताया कि शरीर का तापमान 104 डिग्री या इससे ज्यादा होना, पसीना निकलना बंद हो जाना, धड़कन तेज हो जाना या फिर दिमाग में गफलत, असंतुलन और दौरे की स्थिति होना आदि हीट स्ट्रोक के लक्षण हैं।
बढ़ता तापमान शरीर के थर्मल सिस्टम पर भारी
राजधानी में न्यूनतम तापमान सामान्य के मुकाबले कई डिग्री तक अधिक बना हुआ है। डॉक्टरों के मुताबिक, शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तक होता है। लंबे समय तक अधिक तापमान में रहने से शरीर का थर्मल सिस्टम फेल हो जाता है। यह स्थिति इंसान के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होती है।
एम्स के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर नीरज निश्चल बताते हैं कि मस्तिष्क के अगले हिस्से में हाइपोथैलेमस से शरीर का तापमान नियंत्रित होता है। यह शरीर के ताप की जांच कर इसकी बाहर के तापमान से तुलना करता है। अंदर का तापमान अधिक होने पर इसे ठंडा करने का शरीर को निर्देश देता है। बाहर के तापमान से तालमेल बैठाने की इस प्रक्रिया में सिस्टम फेल हो जाता है और शरीर का तापमान एकदम से बढ़ने लगता है।
डॉक्टर ने बताया कि तापमान अधिक होने पर शरीर के मेटाबोलिज्म पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। विभिन्न प्रकार के रसायन रिसते हैं, जिनसे शरीर को नुकसान होता है। उन्होंने बताया कि जब बाहर का तापमान अधिक होता है तो शरीर खुद को ठंडा रखने का प्रयास करता है, लेकिन जब शरीर का यह सिस्टम फेल हो जाता है तो खुद शरीर का तापमान बढ़ने लगता है, जैसे ही यह 104 डिग्री या इससे ज्यादा होता है तो व्यक्ति के दिमाग से लेकर शरीर के हर अंग पर असर पड़ता है।
अंग फेल होने की आशंका अधिक
शरीर पसीना निकाल कर खुद को ठंडा रखता है, लेकिन जब पसीना ज्यादा निकल जाता है तो शरीर में सोडियम और इलेक्ट्रोलाइट जैसे कई तत्वों की कमी हो जाती है। इसे अंग फेल होने लगते हैं। जब ज्यादा पसीना बहता है तो दिमाग का सिग्नल सिस्टम खराब होने लगता है। इससे चक्कर आने लगते हैं और अचानक बेहोशी आ जाती है।
जान भी जा सकती है
सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर जुगल किशोर बताते हैं कि अगर शरीर का तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक चला जाए तो इस स्थिति में ब्रेन डैमेज हो जाता है और तापमान के 44 तक पहुंचने के बाद मौत होने का खतरा बहुत अधिक होता है। यह पूरी प्रक्रिया बहुत तेजी से भी हो सकती है। ज्यादा पसीना बहने का असर स्किन, किडनी, हार्ट और ब्रेन सभी अंगों पर पड़ता है।