दिवाली पर रामलला की पूजा करने वाले शहजाद पूनावाला पारसी हैं या मुस्लिम?
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला एक बार फिर चर्चा में हैं। दिवाली पर घर में रामलला का दरबार सजाकर पूजा करने वाले शहजाद पूनावाला के धर्म को लेकर भी बहस छिड़ गई है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला एक बार फिर चर्चा में हैं। दिवाली पर घर में रामलला का दरबार सजाकर पूजा करने वाले शहजाद पूनावाला के धर्म को लेकर भी बहस छिड़ गई है। कुछ लोग उन्हें मुस्लिम बताते हैं तो कुछ का दावा है कि वह पारसी समुदाय से आते हैं। टीवी डिबेट में हिंदूवादी विचारों को जोरशोर से रखने की वजह से चर्चित हो चुके शहजाद पूनावाला ने पिछले साल एक इंटरव्यू के दौरान अपनी धर्म, जाति और सरनेम को लेकर पूरी बात साफ की थी।
शहजाद पूनावाला ने पिछले साल 'मोजो स्टोरी' को दिए इंटरव्यू में बताया था कि वह मुस्लिम हैं। शहजाद ने धर्म और जाति को स्पष्ट करते हुए सरनेम पूनावाला होने की भी पूरी कहानी बताई थी। उन्होंने बताया कि वह शियाखानी मुस्लिम हैं। शियाखानी शिया समुदाय की एक उपजाति है।
पूनावाला ने कहा कि उनका असली सरनेम पूनावाला नहीं जमादार है। उन्होंने कहा, 'मेरे पिता और उनके भाइयों का सरनेम जमादार है। जब मेरे पिता ने अपना कारोबार शुरू किया तो चूंकि जमादार का मतलब होता है शौचालय साफ करने वाला, उन्हें कारोबार में बेहतर करने के लिए अपना सरनेम बदलने की जरूरत महसूस हुई तो उन्होंने अपना नाम पूनावाला कर लिया। मेरे पिता ने अपना सरनेम पूनावाला कर लिया, लेकिन असल में हमारा सरनेम जमादार है। जमादार पिछड़े वर्ग और पसमांदा होते हैं।'
पूनावाला ने कहा कि उनका परिवार बेहद धार्मिक था। उनके पिता समुदाय के नेता थे। उन्होंने कहा कि उनकी मां हर दिन मस्जिद जाती थीं और जब वह युवा थे तब वह भी हर दिन शाम को मस्जिद जाया करते थे। उन्होंने धार्मिक शिक्षा भी मस्जिद में ली है। उन्होंने कहा कि यह चांस की बात है कि वह मुस्लिम परिवार में पैदा हुए, लेकिन सांस्कृतिक पहचान भारतीय है। पूनावाला ने कहा कि वह भारतीय मुस्लिम हैं जो दुनियाभर के मुसलमानों से अलग हैं।
गौरतलब है कि दिवाली पर शहजाद पूनावाला ने अपने घर में भगवान राम का दरबार सजाया। उन्होंने अयोध्या के राममंदिर और वहां विराजमान रामलला की प्रति रखते हुए पूजा और आरती की। एक्स पर उन्होंने इसका वीडियो शेयर किया तो लोग तरह-तरह के कॉमेंट करने लगे। बहुत से लोगों ने उनका समर्थन करते हुए इसे भारतीय संस्कृतिक की तहजीब बताया तो बहुत से लोगों ने उनका विरोध किया।