Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Sharjeel Imam cleverly gave a hate speech to provoke, delhi court said while framing charges in jamia nagar riots case

शरजील इमाम ने भड़काने के लिए चालाकी से भाषण दिया, आरोप तय करते हुए बोली दिल्ली की अदालत

दिल्ली के जामिया इलाके में वर्ष 2019 में हुए दंगे के मामले में आरोपी शरजील इमाम पर आरोप तय करते हुए अदालत ने कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं। अदालत ने कहा है कि वरिष्ठ पीएचडी छात्र होने के चलते आरोपी शरजील ने अपने भाषण को चालाकी से पेश किया।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हिन्दुस्तानSun, 9 March 2025 06:42 AM
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शरजील इमाम ने भड़काने के लिए चालाकी से भाषण दिया, आरोप तय करते हुए बोली दिल्ली की अदालत

दिल्ली के जामिया इलाके में वर्ष 2019 में हुए दंगे के मामले में आरोपी शरजील इमाम पर आरोप तय करते हुए अदालत ने कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं। अदालत ने कहा है कि वरिष्ठ पीएचडी छात्र होने के चलते आरोपी शरजील ने अपने भाषण को चालाकी से पेश किया।

शरजील ने अपने समुदाय के अलावा अन्य समुदायों का उल्लेख करने से परहेज किया, लेकिन चक्का जाम के पीड़ित सभी समुदाय के लोग थे। उसने केवल एक समुदाय के लोगों को ही चक्का जाम के लिए भड़काया। आरोपी शरजील न केवल भड़काने वाला था, बल्कि वह हिंसा भड़काने की बड़ी साजिश का सरगना भी था।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह की अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि शरजील ने खुले तौर पर एक समुदाय के मन में क्रोध और घृणा की भावना पैदा की। उन्हें उत्तर भारत के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर व्यवधान पैदा करने के लिए उकसाया। ऐसे शख्स की यह दलील नहीं सुनी जा सकती कि सार्वजनिक सड़कों पर भीड़ द्वारा किया गया दंगा उसके भाषण का परिणाम नहीं था और इसके लिए उसे आपराधिक दायित्व में नहीं डाला जा सकता।

अदालत ने माना है कि उसका भाषण क्रोध और घृणा को भड़काने के लिए था, जिसका स्वाभाविक परिणाम सार्वजनिक सड़कों पर गैरकानूनी सभा के सदस्यों द्वारा व्यापक हिंसा से हुआ। उसने अपने सांप्रदायिक भाषण के माध्यम से हिंसक भीड़ गतिविधि को भड़काकर उकसाया, जिसके लिए उसके खिलाफ धारा 109 आईपीसी के साथ धारा 153 ए आईपीसी भी उचित रूप से लागू होते हैं।

मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ कोर्ट

अदालत ने कहा है कि यहां यह ध्यान देने की जरूरत है कि चक्का जाम से कुछ भी शांतिपूर्ण नहीं हो सकता है। दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले शहर में किसी भी समय गंभीर मरीज को अस्पताल पहुंचाने की जल्दी होती है। चक्का जाम संभावित रूप से उनकी हालत खराब कर सकता है और अगर उन्हें समय पर चिकित्सा देखभाल नहीं मिलती तो उनकी मृत्यु भी हो सकती है। आवश्यक और आपातकालीन सेवाएं प्रदान करने वाले वाहन सड़कों पर हैं। चक्का जाम अनिवार्य रूप से जनता के जीवन और स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

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