Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Setback for AIIMS doctor in unnatural sex and rape case, Delhi court rejects his plea

अप्राकृतिक सेक्स और रेप केस में एम्स के डॉक्टर को झटका, दिल्ली की अदालत ने खारिज की अर्जी

दिल्ली की साकेत जिला अदालत से एम्स के एक डॉक्टर को झटका लगा है। डॉक्टर ने अपने खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मामले में कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से स्थायी छूट की मांग की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हिन्दुस्तानSun, 13 April 2025 07:00 AM
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अप्राकृतिक सेक्स और रेप केस में एम्स के डॉक्टर को झटका, दिल्ली की अदालत ने खारिज की अर्जी

दिल्ली की साकेत जिला अदालत से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक डॉक्टर को झटका लगा है। डॉक्टर ने अपने खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मामले में अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से स्थायी छूट की मांग की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुगंधा अग्रवाल की अदालत ने एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. दीपक गुप्ता की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यदि आरोपी को पेशी से स्थायी छूट दी जाती है, तो इससे पीड़िता का भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली से भरोसा टूट जाएगा। वहीं, आरोपी की उपस्थिति से उसे किसी प्रकार की असुविधा या अन्याय नहीं होगा। अदालत ने बताया कि दिल्ली पुलिस मामले में पूरक आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है। 16 अप्रैल को आरोप तय करने को लेकर बहस की जाएगी।

इन धाराओं में दर्ज हुई थी एफआईआर : डॉ. गुप्ता के खिलाफ हौज खास थाने में आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म), 377 (अप्राकृतिक यौन कृत्य), 313 (महिला की इच्छा के विरुद्ध गर्भपात कराना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत केस दर्ज है। आरोपी डॉक्टर पर सहकर्मी महिला के साथ विवाह का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप है। डॉ. गुप्ता ने दलील दी थी कि अदालत में पेश होने के चलते उन्हें ओपीडी अपॉइंटमेंट और गंभीर मरीजों की सर्जरी रद्द करनी पड़ती है। अदालत ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि यह बात स्वयं स्वीकारी गई है कि आरोपी प्रोफेसर होने के साथ-साथ सेमिनारों और सम्मेलनों में भी भाग लेते हैं। ऐसे में यह कहना कि केवल अदालत में पेशी के चलते मरीजों को नुकसान हो रहा है, उचित नहीं है। अदालत ने कहा कि सुनवाई की तारीख पहले से बताई जाती है, जिससे ऑपरेशन और अन्य जिम्मेदारियों की योजना पहले से बनाई जा सकती है। ऐसे में मरीजों के इलाज में किसी तरह की बाधा का तर्क स्वीकार्य नहीं है।

आरोपी के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज हो चुकी

गौरतलब है कि आरोपी डॉक्टर के खिलाफ पहली शिकायत जुलाई 2023 में दर्ज की गई थी। इसके बाद दिसंबर 2024 में पीड़िता को धमकी देने की शिकायत के आधार पर दूसरी एफआईआर दर्ज की गई। फरवरी 2025 में तीसरी एफआईआर दर्ज की गई, जब पीड़िता ने अस्पताल जाते वक्त धमकी भरे फोन कॉल मिलने की बात कही। केस वापस न लेने पर मारने की धमकी दी थी।

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