Hindi Newsएनसीआर न्यूज़reasons of kailash gahlot resignation from aam aadmi party

कैलाश गहलोत ने क्यों छोड़ दिया केजरीवाल का साथ, इस्तीफे की क्या असली कहानी

दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) को उस समय बड़ा झटका लगा जब ताकतवर मंत्री कैलाश गहलोत ने अचानक इस्तीफे का ऐलान कर दिया।

Sudhir Jha लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 18 Nov 2024 01:54 PM
share Share

दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) को उस समय बड़ा झटका लगा जब ताकतवर मंत्री कैलाश गहलोत ने अचानक इस्तीफे का ऐलान कर दिया। उन्होंने ना सिर्फ मंत्री पद छोड़ा बल्कि पार्टी से भी नाता तोड़ लिया। इस्तीफे के एक दिन बाद ही वह भाजपा में शामिल हो गए। कभी खुद को केजरीवाल का 'हनुमान' कहने वाले कैलाश का आखिर क्यों मोहभंग हो गया? क्या 'यमुना की सफाई और शीशमहल' की वजह से गहलोत ने राहें अलग कर लीं जैसा कि उन्होंने केजरीवाल को लिखे लेटर में बताया है या फिर पर्दे के पीछे कुछ और भी चल रहा था?

भाजपा में शामिल होते समय कैलाश गहलोत ने कहा कि यह रातोंरात लिया गया फैसला नहीं है। उनकी बात काफी हद तक ठीक भी है। दरअसल, 'आप' पर करीब से निगाह रखने वाले कई जानकार बताते हैं कि कैलाश गहलोत भले ही लंबे समय तक केजरीवाल के विश्वासपात्र रहे, लेकिन पिछले कुछ महीनों में चीजें बदल गईं थीं। ना तो वह पार्टी में सहज महसूस कर रहे थे और ना ही केजरीवाल को अब उन पर उतना भरोसा रह गया था।

मई के महीने में जब अरविंद केजरीवाल जेल गए उस समय तक कैलाश गहलोत उनके सबसे बड़े विश्वासपात्रों में शामिल थे। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के जेल से इस्तीफे के बाद केजरीवाल ने गहलोत पर ही सबसे ज्यादा भरोसा जताया। उन्हें वित्त समेत कई अहम मंत्रालय सौंपे गए। वह सरकार में सबसे ताकतवर मंत्री हो चुके थे। उन्होंने विधानसभा में दिल्ली का बजट भी पेश किया। हालांकि, जून में ही बड़ा फेरबदल करते हुए केजरीवाल ने गहलोत से वित्त, राजस्व समेत कई अहम मंत्रालय वापस लेकर आतिशी को सौंप दिए।

आम आदमी पार्टी के सूत्र बताते हैं कि इसके बाद से ही रिश्ते में खटास आने लगी। बताया जाता है कि अहम मंत्रालय छीन लिए जाने से गहलोत नाराज थे। रही सही कसर तब पूरी हो गई जब केजरीवाल ने इस्तीफे के बाद गहलोत को दरकिनार कर आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। विवादों से हमेशा दूर रहे और कम बोलने वाले गहलोत ने कभी अपनी नाराजगी को जाहिर नहीं होने दिया।

15 अगस्त के बाद गहलोत पर कम हो गया था पार्टी का भरोसा

'आप' सूत्रों का यह भी कहना है कि 15 अगस्त के बाद पार्टी का भरोसा गहलोत पर कम हो गया था। उन्हें शक की निगाह से देखा जा रहा था। दरअसल, केजरीवाल ने जेल से एलजी को लेटर लिखकर मांग की थी कि 15 अगस्त को आतिशी को तिरंगा फहराने का अवसर दिया जाए, लेकिन एलजी वीके सक्सेना ने यह हक कैलाश गहलोत को दिया। इसके अलावा एक तरफ जहां दिल्ली सरकार के सभी मंत्रियों का केंद्र और खासकर एलजी वीके सक्सेना के साथ टकराव दिखता था तो दूसरी तरफ गहलोत अक्सर उनके साथ मिलकर अपने विभाग का कामकाज करते दिखते थे। माना जा रहा है कि आप और गहलोत के बीच आई दरार के पीछे यह भी एक वजह है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें