SC ने दिल्ली-NCR में स्कूलों को बंद करने का दिया आदेश, अब सिर्फ ऑनलाइन क्लास
सुप्रीम कोर्ट ने NCR में 10-12 के स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही ग्रैप-4 के तहत प्रतिबंधों को जारी रखने के निर्देश दिए हैं, भले ही AQI लेवल 450 से नीचे आ जाए।
प्रदूषण के बेकाबू स्तर को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूरे दिल्ली-एनसीआर में स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने एनसीआर की सरकारों से इस पर तुरंत फैसला लेने को कहा है। दिल्ली में 10वीं और 12वीं की पढ़ाई भी ऑनलाइन कराने का आदेश दिया गया है। इन दो क्लासेज को छोड़कर राजधानी में बाकी स्टूडेंट्स के लिए स्कूल पहले ही बंद किए जा चुके हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी राज्यों को 12वीं कक्षा तक सभी क्लासों को ऑफलाइन मोड में कराने से तत्काल प्रभाव से रोक देना चाहिए।
AQI 450 से नीचे होने पर भी प्रभावी रहेगी टीम
अदालत ने पलूशन की खतरनाक स्थिति को रोकने के लिए सख्त उपायों को लागू करने में हुई देरी के चलते एक टीम गठित करने को कहा है। यह टीम ग्रैप-4 के प्रतिबंधों को लागू करेगी जो कि एक्यूआई 450 से नीचे होने पर भी प्रभावी रहेगी। न्यायाधीश अभय एस ओका और न्यायाधीश ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि सभी राज्यों का यह संवैधानिक कर्तव्य है कि वे नागरिकों को पलूशन मुक्त वातावरण प्रदान करें। पीठ ने कहा कि हम ग्रैप-4 के तहत प्रतिबंधों को जारी रखने का निर्देश देते हैं, भले ही एक्यूआई लेवल 450 से नीचे आ जाए।
राजधानी में ग्रैप-4 लागू, भारी वाहनो का प्रवेश प्रतिबंधित
शुरुआत में पीठ ने ग्रैप चरणों के तहत पलूशन रोकथाम के उपायों को लागू करने में देरी पर दिल्ली सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से सवाल किया था। इस पर दिल्ली सरकार के वकील ने पीठ को बताया कि ग्रैप का चौथा चरण सोमवार से लागू कर दिया गया है और भारी वाहनों के राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
कई इलाकों में AQI 1000 पार, अब बंद हुईं कक्षाएं
दिल्ली एनसीआर की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि कई इलाकों में एक्यूआई लेवल 1000 के पार पहुंच गया है। इसे देखते हुए राजधानी में ग्रैप-4 लागू करने का आदेश दिया गया था और अब 10वीं और 12वीं के स्कूली बच्चों की कक्षाएँ भी ऑनलाइन करने का आदेश आ गया है। हालांकि आज इस ग्रैप-4 के कार्यान्वयन से जुड़ी एक मीटिंग रद्द भी हुई है। इसे दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आयोजित किया था, लेकिन विभिन्न विभागों से जुड़े अधिकारियों के ना आने के कारण मीटिंग रद्द कर दी गई थी। हालांकि मंत्री राय ने उन अधिकारियों को फिर से शामिल होने का आदेश भेजा था।